नाग पंचमी 13 को, मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : श्रावण मास का अहम पर्व नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा करने से सदा के लिए इससे मुक्ति मिल जाती है।
नाग पंचमी 13 को
नाग पंचमी 13 कोSyed Dabeer Hussain - RE

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। श्रावण मास का अहम पर्व नाग पंचमी 13 अगस्त शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूजा करने से सदा के लिए इससे मुक्ति मिल जाती है। बहोड़ापुर स्थित बालाजी धाम काली माता मंदिर में नाग पंचमी पर्व पर तीन दिवसीय कालसर्प दोष निवारण महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है, जिसकी तैयारियां शुरू कर दी गईं हैं।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के महंत पंडित किशोर कुमार शर्मा एवं ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि कालसर्प दोष महायज्ञ सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक होगा, जिसके अंतर्गत कालसर्प दोष निवारण शांति पूजा हवन के साथ मंगल दोष ,चांडाल योग, ग्रहण दोष, अंगारक योग, पितृदोष, नवग्रह दोष के साथ शिव महा रुद्राभिषेक की शांति पूजा देश के प्रतिष्ठित शिवालयों के वैदिक विद्वानों व आचार्य द्वारा की जाएगी। पूजा में बैठने के लिए जातकों के पंजीयन मंदिर समिति द्वारा शुरू किए जा चुके हैं। इस पूजा में ऐसे जातक जो बीपीएल कार्ड धारक होंगे, उन्हें समिति द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया जाएगा।

सावन में रुद्राभिषेक का महत्व :

सावन माह में महादेव को रुद्राभिषेक विशेष प्रिय है। युजवेंद्र मे इसे महादेव को प्रसन्न करने का महाउपाय कहा गया है। वैसे तो इसे पूरे सावन में किसी तिथि या बार को किया जा सकता है, क्योंकि सावन माह का हर दिन महादेव को समर्पित होता है, लेकिन सावन के सोमवार, शिवरात्रि और प्रदोष तिथि को रुद्राभिषेक करने के लिए विशेष शुभ तिथि मानी जाती है। इसके अलावा सावन के शुक्लपक्ष की द्वितीया और नवमी को रुद्रा अभिषेक के लिए काफी अच्छी तिथि माना जाता है। मान्यता है कि हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी तिथि को शिव जी के साथ गौरी मां साथ में रहती है। शिव पुराण के रुद्र संहिता में सावन में शिव महा रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। मान्यता है, कि रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं, साथ ही ग्रह जनित दोष और रोगों से मुक्तिभी मिलती है। रुद्राभिषेक का फल भक्तों को तत्काल मिलता है। इससे घर की पुरानी बीमारियां दूर होकर आर्थिक संकट भी दूर होते हैं तथा संतान सुख, वैभव और यश की प्राप्ति होती है।

यजुर्वेद के अनुसार भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से लाभ तथा जल से अभिषेक करने से वर्षा होती है। कुशा के जल से अभिषेक करने से रोग और दुखों से छुटकारा मिलता है। दही से अभिषेक करने से पशुधन, भवन तथा वाहन की प्राप्ति होती है। गन्ने के रस से अभिषेक करने से शीघ्र विवाह तथा धनसंपदा बढ़ती है। मधु शहद से अभिषेक करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है तथा पापों का नाश होकर पति सुख प्राप्त होता है। तीर्थ के जल से अभिषेक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारियां नष्ट होती हैं। दूध से अभिषेक करने से पुत्र प्राप्ति, रोगों से मुक्ति मिलती है तथा मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। घी से रुद्राभिषेक करने से वंश वृद्धि बढ़ती है। सरसों के तेल से शिव रुद्राभिषेक करने से रोग तथा शत्रुओं का नाश होता है।

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