नागदा जं., मध्य प्रदेश। नगरपालिका द्वारा शहर की जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से फिल्टर प्लांट तैयार किया, लेकिन पानी के फिल्टर में उपयोगी एलम का अभाव प्लांट में पिछले कुछ दिनों से बना हुआ है, जिसके कारण शहर की जनता को मटमैला पानी पीने पर विवश होना पड़ रहा है।
नगरपालिका द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट का निर्माण किया गया, लेकिन बारिश के दिनों में शहर की जनता को मटमैला पानी पीने के लिए विवश होना पड़ता है। कांग्रेस के जिला कार्यकारी अध्यक्ष सुबोध स्वामी ने शनिवार को फिल्टर प्लांट की व्यवस्था को परखा, जिसमें गंभीर अनियमिता सामने आई, जिसमें प्लांट में पानी का साफ करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाले एलम का अभाव दिखाई दिया। जब स्वामी ने एलम के गोदाम में जाकर देखा तो वह खाली पड़ा हुआ था, प्लांट के कर्मचारियों का कहना था कि 19 सितंबर से प्लांट में स्थानीय उद्योग से पीएसई लेकर पानी को साफ किया जा रहा है। कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि करोड़ों रुपए की लागत से बने प्लांट में प्री- सेटलिंग वाटर टैंक का अभाव है। स्वामी ने आरोप लगाया कि नगरपालिका में पदस्थ इंजीनियरों की लापरवाही का खामियाजा शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। फिल्टर प्लांट निर्माण में गंभीर अनियमितता की शिकायत मुख्यमंत्री से विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से करने की बात कहीं है।
गौरतलब है कि फिल्टर प्लांट में तीन दिन पूर्व क्लोरीन गैस की पाईप लाईन लीकेज हो गई थी, जिससे कुछ समय के लिए प्लांट परिसर में हड़कंप मच गया था, वह तो गनीमत रही कि वर्षो पुराने कर्मचारियों ने फ़िल्टर प्लांट इंचार्ज श्री राधाकृष्णन व्यास (विनोद व्यास) के साथ जोखिम उठाकर तुरंत क्लोरीन की लाईन को कंट्रोल कर लिया। इस दौरान नगरपालिका के कुछ अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन वह समस्या का सामना नहीं कर सके। क्लोरीन लीकेज होने से कुछ कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ने पर उनको प्राथमिक उपचार के साथ सोड़ा वाटर भी दिया गया।
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