राज एक्सप्रेस। 5 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म करने वाले आरक्षक को फांसी की सजा सुनाते हुए न्यायालय ने अपने दिए फैसले में लिखा है कि आरोपित को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए, जब तक कि उसके प्राण न निकल जाएं। अभियुक्त समाज के लिए संकट या खतरा हो और समाज में सौहार्द्र बनाए रखने में विसंगति हो तो ऐसे मामले में वह सजा का हकदार है। मामला विरल से विरलतम कोटि का है, जिसके अंतर्गत मृत्यु की सजा ही दिया जाना उचित है। कोर्ट ने अपहरण-दुष्कर्म के मामले में 7 माह में सजा सुनाई।
पंचम अपर सत्र न्यायालय अनिता सिंह की अदालत ने यहां विशेष सशस्त्र बल जबलपुर की ई-कंपनी 6वीं प्रशिक्षण वाहिनी में पदस्थ आरक्षक संतोष (34)पिता बुद्धसिंह मरकाम (कुक) को यह सजा सुनाई है। मामला यह है कि 24 जून 2019 को जेल के सामने बस स्टैंड के नजदीक अपने माता-पिता और अन्य स्वजनों के साथ सो रही 5 वर्षीय बालिका को संतोष जेल के पीछे उठाकर लेकर गया, जहां उसने उससे दुष्कर्म किया।
बालिका को सुबह लहूलुहान और गंभीर हालत में पाया गया। बाद में सीसीटीवी फुटेज के आधार पर यह खुलासा हुआ कि बालिका को ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करने वाला विशेष सशस्त्र पुलिस बल जबलपुर की ई-कंपनी कैंप छठवीं प्रशिक्षण वाहिनी में पदस्थ कुक (ट्रेड आरक्षक कुक) है, यह मंडला जिले के बीजाडांडी के भौंह गांव का निवासी है। इस मामले में स्टेशनगंज पुलिस ने आरोपित के खिलाफ मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया। पंचम अपर सत्र न्यायालय व अनन्य विशेष अनिता सिंह की अदालत ने उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई। मामले में दोषी आरक्षक 27 जून से केंद्रीय जेल में बंद है।
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