अब नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी
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Gwalior : अब नहीं होगी ऑक्सीजन की कमी, विभाग ने पहली व दूसरी लहर से लिया सबक

कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर से सबक लेने के बाद इस बार तीसरी लहर से निपटने के लिए प्रशासन पहले ही तैयारी कर चुका है। इसके तहत ग्वालियर में बेड से लेकर आक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना की पहली एवं दूसरी लहर से सबक लेने के बाद इस बार तीसरी लहर से निपटने के लिए प्रशासन पहले ही तैयारी कर चुका है। इसके तहत ग्वालियर में बेड से लेकर आक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। इससे यदि लिक्विड आक्सीजन मिलने में कोई दिक्कत भी आए तो भी 500 मरीजों को अनवरत आक्सीजन उपलब्ध कराई जा सकती है।

कोरोना की पहली लहर में जेएएच के सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल में एक समय में सवा सौ मरीज भर्ती रहे थे। जिसमें 40 फीसद मरीजों को आक्सीजन की जरुरत पड़ी थी। जबकि दूसरी लहर में जेएएच में 700 मरीज एक समय में भर्ती रहे,जिसमें 76 फीसद मरीजों को आक्सीजन पर रखना पड़ा था। पहली लहर में सिलिंडर की उपलब्धता थी, इसलिए एक दिन में 1200 सिलिंडर से काम चल गया था। जबकि दूसरी लहर में चार आक्सीजन टैंक की उपलब्धता के साथ एक वक्त में 550 सिलिंडर की आवश्यकता पड़ी थी। जिससे हालात बिगड़ गए थे। इस बार तीसरी लहर से पहले निजी व सरकारी अस्पतालों को आक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया गया। इसमें प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग काफी हद तक सफल भी हुआ हैं। अब ग्वालियर में 5 से 25 लीटर आक्सीजन पर एक समय में 500 मरीजों को इलाज दिया जा सकता है। यदि हमें बाहर से लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई नहीं भी मिलती है तो भी एक समय में 500 मरीजों को आक्सीजन की उपलब्धता कराई जा सकती है। हवा से आक्सीजन तैयार करने के लिए अलग-अलग अस्पतालों में कुल 13 आक्सीजन प्लांट लगाए गए हैं, जो प्रति मिनट 6019 लीटर आक्सीजन तैयार करते हैं। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में 200 आक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता हो चुकी है।

किस मरीज को कितनी दी जाती है आक्सीजन :

जेएएच के निश्चेतना विभाग की प्रो डा नीलिमा टंडन के अनुसार एक स्वस्थ्य व्यस्क व्यक्ति एक मिनट में 12 से 16 बार सांस लेने में 5 से 6 लीटर आक्सीजन लेता है। हवा में 21 फीसद आक्सीजन होती है। जब मरीज को आक्सीजन अलग से दी जाती है तो उसमें आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाकर दिया जाता है। किसी भी मरीज को उसकी रोग की गंभीरता के आधार पर 1 लीटर से 60 लीटर तक आक्सीजन दी जा सकती है। वायपेप पर मरीज को अधिकतम 30 लीटर आक्सीजन दी जा सकती है। जबकि हाइ लो मशीन से 60 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन दी जा सकती है और वेटिंलेटर से 10 से 35 लीटर तक आक्सीजन दी जा सकती है।

सरकारी अस्पतालों की क्षमता :

जयारोग्य अस्पताल :

  • कार्डियोलाजी विभाग में 300 एलएमपी

  • ट्रामा में 900 एलएमपी

  • न्यूरोलाजी विभाग में 250 एलएमपी

हजार बिस्तर अस्पताल एनएचआइ :

  • डीआरडीओ में 2000 एलएमपी

कुल 3450 एलएमपी

नोट: 25 लीटर प्रति मिनट 138 मरीजों को दी जा सकती।

जिला अस्पताल एनएचआइ :

  • डीआरडीओ में 200 एलएमपी

  • हजीरा अस्पताल एनएचआइ में 500 एलएमपी

  • मोहना अस्पताल सीएसआर में 200 एलएमपी

  • हस्तिनापुर सीएसआर में 200 एलएमपी

कुल 1100 एलएमपी

नोट : 25 लीटर प्रति मिनट 44 मरीजों को दी जा सकती।

निजी अस्पतालों की क्षमता :

  • आइटीएम में 169 एलएमपी

  • बीआइएमआर में 500 एलएमपी

  • आरजेएन अपोलो में 500 एलएमपी

  • केडीजे में 300 एलएमपी

कुल 1469 एलएमपी

नोट: 25 लीटर प्रति मिनट 58 मरीज को दी जा सकती है।

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