शहडोल: शहर में बिक रहा अमानक खाद-बीज, जिम्मेदार मौन

बाजारों में धड़ल्ले से अमानक खाद-बीज बिक रहा है क्योंकि कृषि विभाग इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है, जिसका फायदा खाद बीज विक्रय करने वाले व्यापारी उठा रहे हैं, जिससे किसान भगवान भरोसे खेती करने को मजबूर।
शहडोल: शहर में बिक रहा अमानक खाद-बीज
शहडोल: शहर में बिक रहा अमानक खाद-बीजसांकेतिक चित्र

शहडोल, मध्य प्रदेश। जिले में कृषि विभाग की लापरवाही का खामियाजा किसान भुगतने को मजबूर हैं, अब मानसूनी वर्षा शुरू हो गई है, इसलिए किसान अपने खेतों में बोनी जल्द से जल्द करने को मजबूर हो रहा है, जिला प्रशासन ने कृषि अधिकारियों सहित अन्य लोगों को इस ओर सजग रहने तथा किसानों को समस्या न होने के निर्देश दिये हुए हैं, विभागीय सूत्रों की मानें तो विभाग ने दुकानों से सैंपल लिया हुआ है, वहीं अभी तक उनके मानक या अमानक की रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन क्षेत्र में बीज-खाद व्यापारी धड़ल्ले से सामग्री का विक्रय रहे हैं।

घर तक पहुंचा रहे नकली बीज और दवा :

इस नकली खाद-बीज के कारोबार का आलम यह है कि व्यापारी किसानों के घर तक इसे उपलब्ध करा रहे हैं। यहां तक कि किसानों को यह सामग्री उधारी में भी दी जा रही है। कई किसान उनके बहकावे में आकर यह नकली खाद-बीज खरीद रहे हैं। अवैध व्यापार ग्रामीण क्षेत्र में अधिक बढ़ रहा है। नकली बीज की बोवनी करने पर फसल निकलना तो दूर की बात है, इनमें अंकुरण तक नहीं हो रहा है। इससे अच्छी तरह वाकिफ होते हुए भी कृषि विभाग के अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

कच्चे में हो रहा पूरा खेल :

जिले की लगभग दुकानों में किसानों को कच्चे बिल पर ही बीज-खाद बेचा जा रहा है, अगर फसल अमानक बीज के कारण खराब होती है तो, किसान को मुआवजा कहां और कौन देगा उपभोक्ता न्यायालय में भी जीएसटी बिल ही मान्य होगा, इसलिए हम कह रहे हैं कि किसान की खेती भगवान भरोसे हो रही है, वहीं जिले में कितने सैंपल लिये गये और उनकी जांच कब तक होगी, इसकी जानकारी भी जिम्मेदारों ने अभी तक साझा नहीं की है।

यह भी कहते हैं कायदे :

जानकारों का कहना है कि केन्द्र सरकार के नए निर्देश के अनुसार बीएससी ग्रेजुएशन पास ही कीटनाशक बेच सकते हैं, वहीं संभाग के अधिकांश दुकानदार पांचवी व दसवीं पास भी नहीं है, लाइसेंस धारियों का नाम ऑन लाईन होने के पारदर्शी रखा गया है, इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम कीटनाशक और बीज की दुकानें संचालित हो रही है, इस कारण किसानों को डुप्लीकेट कीटनाशक और बीज खरीदना पड़ रहा है, इससे किसान ठगी के शिकार हो रहे हैं। साथ ही क्षेत्र में बिना लायसेंस के भी दर्जनों की संख्या में दुकानदार खाद-बीज के साथ दवाई बेच रहे हैं।

कार्यवाही पर जिम्मेदार मौन :

मानसून की बारिश के बाद से ही जिले में बोवनी का दौर शुरू हो जाता है, लेकिन वे जो अपने खेत में बीज व कीटनाशक डाल रहें उसके संबंधित जानकारी ही नहीं मिल पाती। इस कारण अमानक खाद, बीज और दवाइयों का डर भी उनके मन में बैठा रहता है। बाजार में यह नकली सामग्री खुलेआम बेची जा रही है, लेकिन इसे पहचानना मुश्किल है कि यह खाद-बीज और दवा असली है या नकली, इस कारण किसान भी चिंतित हैं। नकली बीज अंकुरित ही नहीं होते। खाद फसल पर असर नहीं करती और नकली दवा फसल को और नुकसान पहुंचाती है। बाजार में कई व्यापारियों ने नकली खाद-बीज और दवा का कारोबार जमा लिया है, लेकिन कृषि विभाग के जिम्मेदार अफसर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बोवनी के समय रखें निगरानी :

क्षेत्र के किसानों का कहना है कि इस धोखाधड़ी से बचने के दो ही तरीके हैं, एक तो किसान खुद सतर्क रहे और दूसरा बोवनी के समय कृषि विभाग के अधिकारी ऐसी सामग्री पर नजर रखें और जांच करें। नकली पाई जाने पर संबंधित कंपनी और व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए, लेकिन अधिकारियों ने क्या कार्यवाही की यह तो वही जाने, क्यों अगर अभी सैंपल की जांच रिपोर्ट नहीं आई है, तो जिले में बैठे जिम्मेदारों की कार्य कुशलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं इसका ही फायदा नकली खाद-बीज बेचने वाले व्यापारी उठा रहे हैं। इस संबंध जब कृषि विभाग के अधिकारी जे.एस. पेन्द्राम से जानकारी लेने लिए फोन किया तो, उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

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