अधिकारी और नेता दिन भर करते रहे मंथन, किसकी गलती से कम हुआ मतदान
अधिकारी और नेता दिन भर करते रहे मंथन, किसकी गलती से कम हुआ मतदानSudha Choubey - RE

Gwalior : अधिकारी और नेता दिन भर करते रहे मंथन, किसकी गलती से कम हुआ मतदान

ग्वालियर, मध्यप्रदेश : भाजपा समर्थकों के घर से न निकलने के कारण मतदान की चली चर्चा। कांग्रेस एवं निर्दलीय पार्षदों ने घर-घर जाकर लोगों से किया संपर्क।

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। नगरीय निकाय चुनाव में ग्वालियर नगर निगम सीमा में कम मतदान की समीक्षा गुरूवार को की गई। नेता एवं अधिकारी अपने-अपने स्तर पर यह समझने का प्रयास करते रहे कि आखिर कहां गलती हुई। किस वजह से कम मतदान हुआ। अधिकारी कार्यवाही के डर से मंथन कर रहे थे, जबकि भाजपा नेता यह सोच रहे थे कि कम मतदान का फायदा कांग्रेस को हुआ या नहीं। कई लोगों का मानना है कि भाजपा नेताओं द्वारा प्रत्याशियों को टिकिट देने में हुई गलती का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस बार चुनाव में काम नहीं किया जिसके चलते कम मतदान हुआ। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इस बार भाजपा का रिकॉर्ड तोड़कर कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव में अपना परचम लहरा सकती है।

ग्वालियर नगर निगम में भाजपा 1962 से काबिज है। हर बार परिषद में भाजपा के मेयर रहे हैं। इस रिकॉर्ड को तोड़ने की कोशिश कई बार की गई, लेकिन कांग्रेस सहित अन्य पार्टियां कभी सफल नहीं हुई। लेकिन इस बार जिस तरह से वोटर लिस्ट एवं मतदाता पर्ची को लेकर गड़बड़ हुई है उससे यह तिलिस्म टूटता नजर आ रहा है। ग्वालियर नगर निगम में 49.30 प्रतिशत मतदान हुआ। कम मतदान का ठीकरा भाजपा द्वारा प्रशासन पर फोड़ा गया और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अव्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई। भाजपा के इस रूख से प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्यवाही का खतरा बढ़ गया है। यही वजह है कि गुरूवार को अधिकारी अपने बचाव के लिए कम मतदान का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने की जुगत में लगे रहे। अधिकारियों का मानना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने वार्डों में जाकर काम नहीं किया और न ही सभी लोगों से संपर्क किया इसके चलते कम मतदान हुआ है। वहीं भाजपा नेता अधिकारियों पर अव्यवस्थाओं का आरोप लगाने का प्रयास करते रहे। कुल मिलाकर इस बार के नगरीय निकाय चुनावों का जो परिणाम आएगा यह बेहद दिलचस्प रहेगा।

पोलिंग बूथ पर खड़े रहे दिखे कार्यकर्ता, वार्डों में नहीं पहुंचे :

इस बार नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा नेताओं द्वारा जिस तरह से प्रत्याशियों को टिकिट दिए गए वह नाराजगी की सबसे बड़ी वजह बने। भाजपा के सात बड़े दिग्गज नेता अपने-अपने समर्थकों को टिकिट दिलाना चाह रहे थे, लेकिन सभी की इच्छा पूर्ति होना संभव नहीं थी। लेकिन जिस तरह की परिस्थितियां बनी उसमें भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी की गई। नए और बाहर से आए प्रत्याशियों को टिकिट दे दिया गया जिसके चलते संगठन के लोगों ने भी काम नहीं किया। भाजपा कार्यकर्ता पोलिंग पर खड़े तो रहे लेकिन वार्डों में जाकर लोगों से चर्चा नहीं की। इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

कई वार्डों में नहीं पहुंच पाई सुमन शर्मा :

भाजपा कार्यकर्ताओं में बहुत ज्यादा नाराजगी थी। यह बात कई बार सामने आई। लेकिन वरिष्ठ नेताओं ने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने का प्रयास नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ भाजपा की महापौर प्रत्याशी सुमन शर्मा अधिकतर वार्डों में नहीं पहुंच पाई। लोगों की शिकायत यह भी रही कि कांग्रेस प्रत्याशी शोभा सिकरवार एक वार्ड में पांच-पांच बार पहुंची, जबकि भाजपा प्रत्याशी सुमन शर्मा भाजपा कार्यकर्ताओं तक पहुंच नहीं बना सकी। देखना यह है कि 17 जुलाई को एबीएम मशीनें किसके हक में परिणाम देती हैं।

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