सूचना का अधिकार एवं सीएम हेल्पलाइन को अफसरों ने बना रखा है मजाक

जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभागों ने जहां जानकारी देने से बचने के लिए अलग-अलग नियम बना रखे हैं वहीं इसके तहत की जाने वाली अपील भी मजाक बन कर रह गईं हैं।
सूचना का अधिकार
सूचना का अधिकारराज सुनील सोनी

भिण्ड, मध्य प्रदेश। जिले में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत विभागों ने जहां जानकारी देने से बचने के लिए अलग-अलग नियम बना रखे हैं वहीं इसके तहत की जाने वाली अपील भी मजाक बन कर रह गईं हैं। आलम यह है कि महज 90 दिन में जिस प्रकरण का निराकरण पूरी तरह करना है, उसकी सुनवाई महीनों तक चलती रहती है। इससे अधिकारियों की मंशा खुद ही स्पष्ट हो जाती है। इसी तरह मप्र शासन ने जनता के हित में सीएम हेल्पलाइन शुरु की थी ताकि इनका लाभ आमजन को को समय पर मिल सके और भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खुलकर सामने आ सके, जिसमें जमकर लीपापोती की जा रही है।

संबंधित विभाग के अफसर जमीनी स्तर पर काम करने की बजह दफ्तर में बैठकर संबंधित अधिकारियों द्वारा इसका निराकरण कर झूठी वाहवाही लूटी जा रही है और सीएम हेल्पलाइन से कॉल होता है कि आपका निराकरण हो गया है तो इसकी पोल खुल जाती है संबंधित अफसर कागजों में निराकरण झूठी प्रशंसा पाने में लगे हुए हैं। इतना ही नहीं हर सोमवार को कलेक्टर भी सीएम हेल्पलाइन की मॉनीट्रिंग करते हुए अफसरों को फटकार लगाते है फिर भी निकारण होना मुनासिब नहीं हो पा रहा है और लोग न्याय पाने के लिए कभी इस दफ्तर तो कभी उस दफ्तर भटक रहे है लेकिन संबंधित विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजह एक दूसरे के पाले में गेंद उछालते हुए देखे जा रहे हैं फिर भी ऐसे अधिकारियों पर वरिष्ठ अधिकारी कार्रवाई करने की जहमत नहीं बना पा रहे है और संबंधित के हौंसले बुलंद है जो पीडि़तों को न्याय दिलाने की बजह सिर्फ कागजों में ही काम करन में विश्वास रखते हैं जनता का भला हो न हो इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।

जिले में सूचना का अधिकार के तहत कई विभागो में लोगों ने जानकारी लेने के लिए आवेदन लगाये और सालों बीत कई फिर भी उन्हें जानकारी नहीं मिल पा रही है केन्द्र सरकार की मंशा को अफसरों मजाक बनाकर रख दिया है, इसी तरह सीएम हेल्पलाइन पर हजारों केश पेंडिंग़ पड़े हुए हैं जिनका भी समय पर निराकरण नहीं होता है सालों-साल केश ऑनलाइन पेंडिंग पड़े होकर संबंधित पर शिकायत कटवाने के लिए अधिकारी दबाव बना रहे है इस तरह का आलम सूचना का अधिकार एवं सीएम हेल्पलाइन का अधिकारियों ने बना रखा है।

2005 में लागू हुआ था कानून, जनता को नहीं मिल रहा लाभ

केन्द्र सरकार ने जनता के हित में 2005 में सूचना का अधिकार के तहत कानून बनाकर जनता को अच्छी सुविधा दी थी, जिसके तहत वह सारी जानकारियों हर स्तर से प्राप्त कर सकते हैं बाद में इसके दायरे में सुप्रीम कोर्ट तक लिया गया और कुछ समय तक इसका क्रियान्वयन सही तरीके से किया गया, लेकिन अधिकारी तथा नौकरशाह व नेताओं को काफी परेशानी होनी लगी और ऐसे तथ्य उजागर होने लगे जिनको अधिकारी तथा कार्यालय गोपनीय रखना चाहते थे, बीते 15 वर्षो में सूचना के अधिकार का अधिकारियों द्वारा तोड़ निकाल दिया गया और किसी भी स्तर पर शहर में सूचना के तहत जानकारी प्राप्त करना ''लोहे के चने चबाने जैसा हो गया है '' जिसके तहत अधिकारी यह कहकर टालने लगे कि आपका प्रश्न वाचन जबाव होने की बजह से यह जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती है जिले के हर विभाग में सूचना के अधिकार को अफसरों ने मजाक बनाकर रख दिया है आम जनता को किसी तरह की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी जा रही है सब गोलमाल करने में लगे हुए हैं।

अपीलकर्ता को जानकारी देने की बजह उलझाते अधिकारी

सूचना का अधिकार के तहत जो सरकार मनसा थी जो भी जानकारी मांगी जाये उसे सहज रूप से दी जाये, कई सूचना के अधिकार जानकरी प्राप्त करने वाले अपने सैकड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी राजस्व व अन्य अधिकारियों को जानकारी प्राप्त नहीं कर पा रहे है उन्हें कई दिनों तक समय लग जाता है। प्रावधानों के तहत प्रथम तथा द्वितीय अपील के बाद तीसरी अपील होने के बाद सूचना आयुक्त का प्रावधान है और जानकारी न मिलने पर उसमें भारी अर्थदंड संबंधित से प्रस्तुतकर्ता को दिलाने का भी प्रावधान किया गया है।

सूचना का अधिकार धारा 5 के तहत पूछे जाने वाले प्रश्न को उलझाये रखने में अधिकारियों ने महारथ हांसिल कर रखी है और प्रावधान को बुरी तरह से फेल करने के प्रयास में दिनों दिन लामबंध होते जा रहे हैं, क्योंकि यह कानून केन्द्र सरकार द्वारा बनाया गया है इसलिए इस कानून का लाभ पूरा जनता को मिले इसके लिए मॉनीट्रिंग के लिए भी केन्द्र सरकार को अपने स्तर से व्यवस्था करना चाहिए ताकि जनता को सहज में हर जानकारी उपलब्ध हो सके और अपने हित में उसका उपयोग कर सके।

सीएम हेल्पलाइन की अधिकारी उड़ा रहे धज्जियां

मप्र सरकार द्वारा शुरु की गई सीएम हेल्पलाइन सुविधा का प्रारंभ में अच्छा खासा असर हुआ और पीडि़त लोगों को इस सुविधा का पूरा लाभ मिला, लेकिन अधिकारियों ने इसकी भी धज्जियां उड़ा दी और फर्जी तरीके से सीएम हेल्पलाइन निराकरण कर सभी शिकायतों का खात्मा किया जाने लगा, क्योंकि इसमें अधिकारियों की सही जानकारी देने से उनकी कार्यो की पोलखुल रही थी, इसलिए सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतकर्ता को खात्मा लगवा दिया जाता है अभी देखने में आ रहा है कि जिलेभर के कार्यालयों में 30 से 60 शिकायतें पेंडिंग हुई है और उनका किसी तरह का निराकरण नहीं हो पा रहा है।

हर जिले में इसकी समीक्षा होने के बाद कई अधिकारियों को नोटिस दिये जाते हैं लेकिन इसकी जिम्मेदारी तय नहीं होने से इसका असर किसी अधिकारी पर नहीं हो रहा है और किसी अधिकारी पर निलंबन की कार्रवाई नहीं होती है इसलिए सीएम हेल्पलाइन को हल्के में ले रहे हैं। जनता के हित में दोनों योजनाओं पर केन्द्र व राज्य सरकार को विचार करना चाहिए कि जनता के हित में बनाई गई योजनाएं सफल हो और जनता को इसका लाभ मिले इसके लिए प्रयास किये जायें।

इनका कहना है:

मेरी गली में साफ-सफाई नहीं हुई जिसको लेकर सीएम हेल्पलाइन पर कई बार शिकायत करा चुका हूं, जिसके बाद भी गली दलदल में तब्दील है।

विनोद गोयल, जामना रोड भिण्ड

ग्राम पंचायत निवारी में मैंने सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन आज दिनांक तक मुझे जानकारी नहीं मिली है।

विकाश शर्मा, ग्राम निवारी

राजकुमार शर्मा, अकोड़ा

मैंने नगर परिषद संबंधित जानकारी मांगने क लिए सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन आज तक प्राप्त नहीं हुई तो सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करायी, जिसके बाद भी अधिकारी टहला रहे हैं।

सुधीर चौधरी वार्ड क्र.11 मिहोना

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