शहडोल : सोहागपुर की ग्राम पंचायतों में खुलेआम चल रहा भ्रष्टाचार

शहडोल, मध्य प्रदेश : जनपद सहित वस्तु एवं सेवा कर विभाग मौन। सचिव चाचा ने भतीजे को ही सप्लायर बना खेला-खेल।
सोहागपुर की ग्राम पंचायतों में खुलेआम चल रहा भ्रष्टाचार
सोहागपुर की ग्राम पंचायतों में खुलेआम चल रहा भ्रष्टाचारSocial Media

शहडोल, मध्य प्रदेश। मुख्यालय के सोहागपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत खन्नाथ में वर्षों से जमे हुए सचिव अरुण कुमार मिश्रा द्वारा अपने भतीजे मनोज कुमार मिश्रा के साथ मिलकर कई वर्षों से फर्जी बिल लगाकर लाखों रुपया का आहरण कर रहे हैं। चाचा-भतीजे ने मिलकर पंचायत से लगभग 40 से 50 लाख रुपए की राशि का आहरण निर्माण कार्य के नाम पर किया है, सूत्रों की मानेँ तो सचिव के भतीजे के पास कोई दुकान नहीं है।

फर्जी बिल भी आ सकते हैं सामने :

ग्राम पंचायत खन्नाथ के सचिव ने भतीजे पर इतनी मेहरबानी दिखाई कि बिना जीएसटी के लाखों के बिल आंख मूंदकर पंचातय में लगा दिये। जबकि 2017 से ही जीएसटी के बिल पंचायतों में लगने थे, लेकिन कर कि चोरी की नीयत से बिना जीएसटी का बिल लगाकर पंचायत खुला भ्रष्टाचार किया गया है, सूत्रों की मानें तो सचिव जमकर रेत ,गिट्टी ,मुरूम ,ईट सहित कई चीजों का सप्लाई भतीजे से टिन नंबर 2346 720 2690 व विक्रेता आईडी 76 336 पर करवाया गया और बिना जीएसटी का बिल लगाए ही बिल पास कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो पंचायत में लगे बिलों की अगर सूक्ष्मता से जांच की जाये तो, ऐसे कई बिल सामने आयेंगे, जिसमें सामान की खरीदी ही नहीं की गई है।

सचिव चाचा, सप्लायर बना भतीजा :

खन्नाथ सचिव ने अपने निजी लाभ के लिए अपने भतीजे को मटेरियल्स के सप्लायर बनाकर जमकर लूट मचाते हुए वस्तु एवं सेवा कर की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जबकि मध्यप्रदेश पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 अंतर्गत पंचायतों व शासकीय सेवकों के द्वारा खुद या अपने किसी सगे रिश्तेदार के नाम पर, खुद के टेबिल या हस्ताक्षर से होकर किये जाने वाले भुगतानों का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। मध्यप्रदेश पंचायत राज्य एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 के पृष्ठ क्रमांक 189 अंतर्गत अध्याय 8 में पंचायत की स्थापना, बजट तथा लेखे में यह स्पष्टीकरण टीप किया गया है कि उपधारा के प्रयोजन के लिए अभिव्यक्ति का नातेदार जिसका अर्थ पिता, माता, भाई, बहन, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, ससुर, सास, साला, बहनोई, देवर, साली, भाभी, ननद, देवरी, जेठानी, दामाद या पुत्र वधु के नाम की फर्म के लिए भुगतान करना अधिनियम का उल्लंघन होगा।

बगैर खरीदी कर दी सप्लाई :

जिले की विभिन्न पंचायतों में वर्तमान में सैकडों की संख्या में ऐसी फर्म और उनके द्वारा लिये जा रहे भुगतान की जांच की जाये तो, यह बात सामने आयेगी कि जिन्होंने लाखों के बिल प्रस्तुत कर भुगतान लिये हैं, उनके द्वारा जिन वस्तुओं की बिक्री कर भुगतान उठाया गया है, उनके द्वारा बेची गई वस्तुओं की खरीदी ही नही की गई और न ही वस्तुओं के बिल ही उपलब्ध है। यहीं नही दर्जनों फर्म तो सिर्फ कागजों पर संचालित है, इनके द्वारा न सिर्फ वस्तु एवं सेवाकर बल्कि आयकर विभाग का भी लाखों का टैक्स चोरी किया जा रहा है।

वस्तु एवं सेवा कर की चोरी :

सूत्रों की मानें तो मनोज कुमार मिश्रा के पास न ही कोई दुकान है और न दुकान का अस्तित्व, फिर भी पंचायत में लाखों का बिल लगा रहे हैं। वह भी बिना जीएसटी के चाचा मेहरबान होने के कारण शासन के नियमों को दरकिनार कर बगैर जीएसटी की बिल लगाये गये हैं, पूरे मामले में अगर वस्तु एवं सेवा कर विभाग संज्ञान ले तो, लाखों रुपए की कर की चोरी का मामला सामने आ सकता है।

इनका कहना है :

हां सचिव मेरे चाचा है, मेरे पास दुकान नहीं है, मैं ठेकेदार हूं, माल लेकर बेचता हूं।

मनोज मिश्रा, मैटेरियल सप्लायर

हां दोनों रिश्तेदार तो हैं, लेकिन मुझे पूरा नहीं मालूम की आपस में क्या सांठ-गांठ है, आप उन्हीं से पूछ लीजिए।

राम प्रकाश पटेल, रोजगार सहायक, खन्नाथ

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