अशोकनगरः शहर में बढ़ रहा है प्रदूषण, प्रशासन लापरवाह

अशोकनगर, मध्यप्रदेशः शहर में वाहनों के प्रदूषण की जांच के बिना ही इन वाहनों का धड़ल्ले से परिचालन हो रहा है जिसकी ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं।
शहर में बढ़ रहा है प्रदूषण, प्रशासन लापरवाह
शहर में बढ़ रहा है प्रदूषण, प्रशासन लापरवाहSandeep Jain

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली क्षेत्र में इन दिनों ध्वनि और वायु प्रदूषण अत्यधिक बढ़ रहा है जिसका कारण शहर में सैकड़ों वाहन ऐसे हैं जो वर्षों पुराने होकर खटारा हो गये हैं और प्रदूषण फैला रहे हैं, जिससे लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं जिसकी ओर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

नियमों के अधीन नहीं हुई जांचः

यहां नियमों के अधीन वाहनों के प्रदूषण की मानकों के आधार पर कोई जांच नहीं हुई है और जो वाहन मानकों को पूरा नही करते उन्हें भी परिचालन की स्वीकृति मिली है। नगर में टू व्हीलर और थ्री व्हीलर वाहन व स्कूली वाहन ओवरलोड के साथ धड़ल्ले से चल रहे हैं। प्रदूषण की जांच सुविधा होने के बाद भी जांच नहीं होती है।

केंद्रीय मोटर यान नियम, 1989 के नियम 115/7 के प्रावधानों को लागू करने का मतलब था कि, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित व प्रदूषण जांच केंद्रों को प्राथमिक करना, इनके कार्य संचालन की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिये कई योजना बनायी गयी, लेकिन शत प्रतिशत धरातल पर नहीं उतर पायी।

नाबालिग भी चला रहे तीन पहिया वाहनः

शहर में बिना लाइसेंस और नाबालिगों के द्वारा तीन पहिया वाहन चलाये जा रहे हैं जिससे स्टेशन और अन्य क्षेत्रों में दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में जाने वाले वाहन क्षमता से अधिक सवारी को बैठाते हैं जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है।

ध्वनि प्रदूषण का हो रहे शिकारः

नगर में सबसे ज्यादा तीन पहिया वाहन हैं। जो काफी पुराने होने के कारण ध्वनि प्रदूषण के साथ वायु प्रदूषण फैला रहे हैं, जिससे मुख्य मार्ग बस स्टैंड लेकर रेलवे स्टेशन तक दुकानदार काफी परेशान हैं, उनका कहना है कि उक्त मार्ग से दिनभर तेज आवाज के तीन पहिया वाहनों के गुजरने से कानों पर काफी फर्क पड़ा, उन्हें सुनाई तक कम पड़ने लगा है।

वहीं प्रगति के कारण वाहनों में तेज हार्न के उपयोग का क्रेज बढ़ा है। मनुष्य की अपनी क्षमता 80 डेसिबल होती है, 25 डेसिबल पर शांति का वातावरण होता है। 80 डेसिबल से अधिक शोर होने पर मनुष्य में अस्वस्थता आ जाती है या बेचैनी होने लगती है। 130-140 डेसिबल का शोर अत्यंत घातक होता है। इससे अधिक शोर होने पर मनुष्य के बहरे होने का खतरा होता है।

क्या है कहनाः

"अगर नगर में वाहन प्रदूषण फैला रहे हैं तो अभियान चलाकर इनकी जांच की जाएगी दोषी पाए जाने पर लायसेंस निरस्त किया जाएगा।"

(रोहित दुबे थाना प्रभारी मुंगावली)

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