उमरिया: ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगे जा रहे अभिभावक

कोरोना जैसी इस महामारी में राज्य सरकार ने स्कूलों से अपील की है कि, पालकों से केवल टूशन फीस ही लेवें पर ऐसे समय में भी सैंट जोसेफ स्कूल ने लूट मचा रखी है और मनमाने दाम पर किताब बेच रहे हैं।
उमरिया: ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगे जा रहे अभिभावक
उमरिया: ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ठगे जा रहे अभिभावकSocial Media

उमरिया, मध्य प्रदेश। जिले के पाली में संचालित निजी विद्यालय सैंट जोसेफ के संचालक सैफेस्टियन जार्ज के द्वारा उनकी स्कूल में पढ़ रहे सभी बच्चों को लीड ऐप पुस्तक के नाम जमकर लूटा जा रहा है, इस ऐप की पुस्तक खुद ही प्रबन्धन के द्वारा मनमाने रेट में बिक्री की जा रही, जिसका मूल्य 3200 से लेकर 5000 तक अभिभावकों के द्वारा बताया गया है और सबसे बड़ी बात तो यह कि यह मूल्य मात्र 3 से 4 पुस्तकों का हैं, अब सोचने की बात यह है कि आखिर इतनी मंहगी पुस्तकों में ऐसा क्या है जिससे नर्सरी से फर्स्ट एवं थर्ड के बच्चों को लाभ होगा।

नियमों की उड़ा रहे धज्जियां :

एक ओर देश में महामारी के चलते शासन प्रशासन एवं न्यायालय तक ने यह आदेश जारी किए हैं कि कोई भी निजी विद्यालय सिर्फ ट्यूशन फीस के अलावा और किसी अन्य मद का पैसा नहीं लेगा वहीं न्यायालय एवं शासन-प्रशासन की धज्जियाँ उड़ाते हुए स्कूल प्रबंधन अपनी व्यवस्था में लगा हुआ है। अगर देखा जाय तो जिले में इसके अतिरिक्त भी कई निजी स्कूल हैं लेकिन कहीं भी ऐसा मामला सामने नहीं आया, वहीं पुस्तक को लेने प्रबन्धन के द्वारा माता-पिता के मोबाइल पर मैसेज़ किया गया कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चो को पुस्तक लेना अनिवार्य है जो कि विद्यालय से ली जाएं।

कीमत सुनकर उड़े होश :

अभिभावकों ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंता की और विद्यालय पहुंचे और किताबें ली तो सबके होश ही उड़ गए क्योंकि किताबें महज़ तीन या चार थी और उनका शुल्क 3200 से 5000 था, जब नगर के बुद्धजीवियों को यह बात की भनक लगी कि, प्रबन्धन के द्वारा जम कर लोगों को किताबों के नाम से लूटा जा रहा, तो सभी एक जुट होकर स्कूल पहुंचे और वहां के संचालक सैफेस्टियन जार्ज से बात करने की कोशिश की गई, तो वह भड़कते हुए बोले की हम किसी की कोई बुक वापिस नहीं करेंगे और बच्चों के भविष्य को लेकर धमकी भी दी गई। पुस्तकों पर भी किसी प्रकार का कोई दर अकिंत नही थी और जो लोगों ने किताबे खरीदी उन्हें रसीद भी नहीं दी गई।

बाधित की गई जांच :

जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो इस मामले की जांच करने के लिए जिले से गठित टीम ब्लॉक शिक्षा अधिकारी राणा प्रताप सिंह, बीआरसी महेंद्र मिश्रा और उनके टीम ने विद्यालय परिसर पहुंच कर पुस्तकों की जांच की गई तो पाया गया कि प्रबंधन के द्वारा परिसर से पुस्तकें गायब करवा दी गईं और दूसरे दिन गठित टीम ने सभी परिजनों को बुलावाकर शाला आकर जांच की जहां पर जांच टीम और परिजनों के बीच बातें सुनी गई। इसी बीच प्रबधंन के कुछ ऐसे लोग जिनका विद्यालय से कोई लेना देना नहीं था उनके द्वारा जांच में बाधा डाला गया और फिर काफी बहस की गई।

एफआईआर के नाम पर वापिस हुई किताब :

उपायुक्त आदिम जाति विभाग आनन्द राय सिन्हा मौके पर पहुंच कर समझाइश दी गई कि आप सभी अपनी शिकायत दर्ज कराये जो भी शिकायत होगी, उसकी निष्पक्षता से जांच की जाएगी। घण्टों बहस चलने के बाद जब मामला नहीं सुलझा तो परिजनों ने कहा कि अब हम एफआईआर करवाएंगे और आगे की जांच थाने के माध्यम से ही होगी। ऐसा सुनते ही सैफेस्टियन जार्ज के द्वारा जितने भी परिजन वहां मौजूद थे सबकी किताबें वापिस कर उन्हें उनके पैसे वापिस किये गए, अब देखना यह होगा कि न्यायालय की अवहेलना एवं प्रशासन के नियमों के उल्लंघन के बाद प्रबन्धन के खिलाफ क्या कार्यवाही की जाएगी।

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