पटवारी बना करोड़ों की संपत्ति का मालिक
पटवारी बना करोड़ों की संपत्ति का मालिकMukesh Chodhary

शिवपुरी: कुछ वर्षों में पटवारी बना करोड़ों की संपत्ति का मालिक

करैरा, शिवपुरी: कांग्रेस नेता के लिखित पत्र पर जिला कलेक्टर शिवपुरी को तत्काल पटवारियों के तबादले के निर्देश जारी, लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा आज तक कोई तबादला नही किया गया।

राज एक्‍सप्रेस। करैरा अनुविभाग के आधा दर्जन से अधिक ग्रामों के पटवारियों के तबादले को लेकर प्रदेश किसान कांग्रेस के महासचिव मानसिंह फौजी ने प्रदेश के कैबिनेट राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से मिलकर लिखित पत्र पर जिला कलेक्टर शिवपुरी को तत्काल पटवारियों के तबादले के निर्देश जारी किए, लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा आज तक कोई तबादला नही किया गया।

पटवारी व राजस्व विभाग की लापरवाही :

गौरतलब है कि, आदर्श गांव सिरसौद में पटवारी की मिली भगत से करोड़ों रुपए की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर दिन-प्रतिदिन अवैध अतिक्रमण बढ़ते जा रहे हैं। समय-समय पर सरकार द्वारा आदेश जारी किए जाते रहे हैं कि, सरकारी जमीनों से अवैध अतिक्रमणों को तत्काल प्रभाव से हटाया जाए , लेकिन पटवारी व राजस्व विभाग की लापरवाही और भू माफियाओं से मिलीभगत के चलते सिरसौद में अवैध अतिक्रमण हटाने के स्थान पर दिन-प्रतिदिन अतिक्रमण बढ़ते गए। इन मामलों में पटवारी जमीन माफियाओं से मोटी रकम वसूल कर अपनी जेब गर्म करने में जुटा हुआ है, जिससे भू-माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। आदर्श गांव मे सैकड़ों बीघा जमीन भू-माफियाओं की चपेट में चली गई है। सन् 2002 में सैकड़ों बीघा भूमि गोचर के रूप में खाली पड़ी हुई थी, जिस पर पशु चारण किया जाता था, परंतु आज की स्थिति गोवंश सड़कों पर मरने को मजबूर है।

किसान कोर्ट-कचहरी व हाईकोर्ट में जाने को मजबूर :

पटवारी द्वारा राजस्व मामलों में कई जमीनों में अपनी झूठी रिपोर्टों और प्रतिवेदन देकर किसानों को परेशान किया जाता रहा है, जिससे किसान कई मामलों में आपस में उलझ गए हैं। बिना मौके का मुआयना लिये ही, पटवारी द्वारा घर पर बैठकर ही मनमाने तरीके से प्रतिवेदन बना लिया जाता है। पटवारी की गलत रिपोर्ट और प्रतिवेदनों के चलते किसान कोर्ट-कचहरी और हाईकोर्ट में जाने को मजबूर हैं।

किसानों के लाखों रुपए कोर्ट कचहरियों में बर्बाद :

पटवारी की इन काली करतूतों के चलते किसानों के लाखों रुपए कोर्ट-कचहरियों में बर्बाद हो रहे हैं। पटवारी गलत नीतियों का गलत परिणाम किसान भुगत रहें हैं। सन् 2016-17 में करीब एक सैंकड़ा लोगों को अवैध अतिक्रमण के मामलों में नोटिस जारी किए गए थे, जिसमें गरीब और निम्न वर्ग के लोगों को ही सिर्फ अवैध अतिक्रमण से बेदखल किया गया था। जबकि पैसे वाले और उच्च वर्ग के लोगों के साथ पटवारी नीरज लोधी ने सिरसोद का कार्यभार संभालते ही मिलीभगत कर जातिवाद और रिश्तेदारी के चलते इन मामलों को दबा दिया, जिससे पटवारी ने बड़े स्तर पर मोटी रकम वसूली और इस रकम में से उच्चाधिकारियों को भी उनका हिस्सा दे दिया गया, जिसके चलते वरिष्ठ अधिकारियों ने इन मामलों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। परिणाम स्वरूप अवैध अतिक्रमण धारियों के हौसले बुलंद होते गए हैं।

अवैध अतिक्रमण हटाने के निर्देश जारी :

हाल ही में सीएम और डीएम द्वारा अवैध अतिक्रमण को हटाने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं, परंतु सिरसौद पटवारी और करैरा राजस्व अमला आदेशों को हवा में उड़ाते नजर आ रहा है। समय-समय पर झूठी रिपोर्ट देकर अवैध अतिक्रमण सिर्फ कागजों मे ही हटाये गये। जबकि वास्तविक स्थिति मे देखा जाये तो रसूखदार और पटवारी के रिश्तेदार अवैध रूप से काबिज हैं।

पटवारी बना करोड़ों की संपत्ति का मालिक

हाल ही के कुछ वर्षों में पटवारी की संपत्ति में कई गुना इजाफा हुआ है, यदि पटवारी की संपत्ति की जांच की जाए, तो करोड़ों में सामने आ सकती है। भ्रष्टाचार में लिप्त पटवारी ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम से अनेक प्लॉट, खेती की जमीनें हैं और कईं आलीशान मकान बना रखें। इस प्रकार पटवारी की संपत्ति में दिन दूनी-रात चौगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। आखिर पटवारी के पास आय से अधिक संपत्ति आई कहां से यह भी जांच का विषय है, जिसकी वरिष्ठ अधिकारियों को जांच करानी चाहिए।

राजस्व मंत्रालय के निर्देश के बाद भी पटवारियों पर नहीं की कार्यवाही:

राजस्व मंत्रालय के पत्र क्रमांक 3156 दिनांक 02/08/2019 को जारी पत्र पर स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि, करैरा के भ्रष्टाचार मे लिप्त पांच पटवारियों पर तत्काल कार्यवाही कर अन्य तहसीलों मे स्थानांतरण किया जाये। भ्रष्टाचार मे लिप्त करैरा के पटवारियों मे नीरज लोधी, बलराम धाकड़, राकेश गुप्ता, भानू जाटब, रामबाबू गोस्वामी के नाम शमिल हैं। परन्तु करैरा के अधिकारियों के कमाऊ पूत होने के कारण कोई इन पर कार्यवाही करने को तैयार नहीं हैं। अधिकारी भी सिरसोद के भ्रष्टा पटवारी को अपनी गाड़ी मे आगे बिठाकर चलते हैं, जिससे अनुमान लगाया जा सकता भ्रष्टाचार की जड़े करैरा तहसील में गहराई तक पहुंच चुकी हैं। करैरा एसडीएम से जानकारी लेने के लिये फोन लगाया गया तो फोन रिसीव नही किया गया।

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