केंद्र की योजना नाम बदलकर प्रदेश में होगी संचालित
केंद्र की योजना नाम बदलकर प्रदेश में होगी संचालितSyed Dabeer Hussain - RE

CM Solar Pump Yojana : केंद्र की योजना नाम बदलकर प्रदेश में होगी संचालित

भोपाल, मध्यप्रदेश : केंद्र की कुसुम योजना प्रदेश में सीएम सोलर पंप योजना के नाम से चलेगी। योजना के लिए केंद्र से मिली अनुदान राशि किसानों को देगी सरकार।

भोपाल, मध्यप्रदेश। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बेहतर सामंजस्य और जुगलबंदी की ये बेहतर उदाहरणों में से एक है। केंद्र सरकार एक योजना संचालित करती है, जिसे कुसुम योजना नाम दिया गया है, लेकिन मप्र में यह योजना बदले हुए नाम से संचालित होगी। इसे मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना कहा जाएगा। सबसे बड़ी बात यह कि इस योजना के लिए अनुदान की राशि केंद्र सरकार से ही मिलेगी। राज्य सरकार उसे ही किसानों को देगी। इस तरह पूरी योजना में राशि तो केंद्र सरकार से मिलेगी, लेकिन नाम मप्र का होगा।

केंद्र सरकार को भी योजना का नाम बदलकर संचालित करने में किसी तरह की आपत्ति नहीं है। लिहाजा केंद्र ने भी मप्र को कुसुम योजना को मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के नाम से संचालित करने पर सहमति दे दी है। केंद्र से सहमति मिलने के बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। इस योजना के तहत केंद्र सरकार से 30 फीसदी अनुदान राशि मिलेगी। इस राशि को मप्र ऊर्जा विकास निगम के माध्यम से किसानों को दिया जाएगा। सोलर पंप लगाने के लिए बाकी राशि का इंतजाम किसानों को स्वयं करना होगा।

दो लाख पंप लगाने की योजना :

मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के तहत राज्य सरकार प्रदेश में गैर परंपरागत बिजली के उपयोग को बढ़ावा देने की कोशिश में है। इसके लिए जो कार्यक्रम तय किया गया है, उस हिसाब से मार्च 2024 तक मप्र में दो लाख सोलर पंप लगाए जाएंगे। इसे आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप में भी शामिल किया गया है।

7.5 एचपी तक के लिए मिलेगी अनुदान की राशि :

योजना के तहत जो प्रावधान किया गया है, उस हिसाब से किसानों को 7.5 एचपी तक के सोलर पंप के लिए ही अनुदान की राशि मिलेगी। वैसे किसान इससे अधिक क्षमता के सोलर पंप लगाने के लिए स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन अनुदान की राशि केवल 7.5 फीसदी तक के पंप पर होने वाली खर्च के हिसाब से ही मिलेगी। लागत के लिए मानक तय किए गए हैं। उसी हिसाब से अनुदान की राशि तय होगी।

योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर गठित होगी कमेटी :

योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर कमेटी गठित होगी। इस कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। कमेटी में कलेक्टर के अलावा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, उप संचालक कृषि, सहायक संचालक उद्यानिकी, प्रबंधक जिला सहकारी बैंक, अधीक्षण यंत्री बिजली वितरण कंपनी भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे। इसके अलावा जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी, मप्र ऊर्जा विभाग निगम इस कमेटी के सदस्य सचिव होंगे। यह कमेटी योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी।

जहां बिजली कनेक्शन नहीं, वहीं संचालित होगी योजना :

ऐसे क्षेत्र जहां परंपरागत तरीके से बिजली की आपूर्ति नहीं होती, ऐसे क्षेत्रों में ही यह योजना संचालित होगी। इसके लिए जरूरी होगा कि आवेदक के पास बिजली कनेक्शन नहीं हो। एेसे क्षेत्र जहां बिजली वितरण कंपनियों द्वारा बिजली आपूर्ति के लिए अधोसंरचना का विकास नहीं किया गया हो। इसके अलावा कृषि पंपों के लिए स्थायी कनेक्शन से वंचित किसानों को भी योजना के लिए पात्र माना जाएगा। योजना का लाभ लेने के लिए पहले किसानों को अपने अंश की राशि जमा कराना होगा।

जरूरत 150 दिनों की, मिलेगी 330 दिनों तक बिजली :

सोलर पंप से एक वर्ष की अवधि में 330 दिनों तक औसतन 08 घंटे तक बिजली मिलती है, वहीं किसानों को कृषि कार्य के लिए अधिकतम 150 दिनों तक ही बिजली की आवश्यकता होती है। यानी किसानों को जितनी बिजली की जरूरत है, उससे अधिक बिजली का उत्पादन इन सोलर संयंत्रों के माध्यम से किया जा सकेगा।

अन्य कामों में भी होगा बिजली का उपयोग :

एक निश्चित समय तक ही किसानों को बिजली की आवश्यकता को देखते हुए सोलर पंपों से उत्पादित बिजली के उपयोग के लिए अन्य विकल्पों को भी अपनाया जाएगा। योजना के तहत चाफ मशीन चलाने, आटा चक्की, कोल्ड स्टोरज, ड्रायर बैटरी चार्जर में भी यहां से उत्पादित बिजली का उपयोग हो सकेगा। इसके लिए यूनिवर्सल सोलर पंप कंट्रोलर यानी यूएसपीसी को बढ़ावा दिया जाएगा।

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