प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा पुलिस विभाग

सिंगरौली : प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा पुलिस विभाग 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था के लिये जिम्मेदार पुलिस विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियों पर लगा ग्रहण।
प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा पुलिस विभाग
प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा पुलिस विभागAditya Shrivastava

राज एक्सप्रेस। प्रदेश सरकार के आदेशों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ा रहा पुलिस विभाग। 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था के लिये जिम्मेदार पुलिस विभाग के कर्मचारियों की छुट्टियों पर लगा ग्रहण। कर्मचारियों की मनोदशा चिंताजनक। पारिवारिक कलह का कारण बन रहा है साप्ताहिक अवकाश का बंद हो जाना। निराश कर्मचारियों में असंतोष का माहौल। पुलिस कर्मचारियों पुलिस के आलाधिकारी के संज्ञान में है मामला फिर भी अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

क्या है मामला :

मध्यप्रदेश सरकार की ताजपोशी के साथ ही पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिए सौगात ले कर आये मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार ने अनिवार्य साप्ताहिक अवकाश का फरमान जारी कर दिया गया था। वहीं अगर बात की जाए उक्त आदेश की तो ज़मीनी हकीकत की तो तस्वीरे कुछ और बयां कर रही हैं। अवकाश की जमीनी हकीकत बात करें तो सुरक्षा पॉइंट पर तैनात जवान से अवकाश की बात करने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए जवान ने स्पष्ट किया कि भोपाल से अवकाश के संबंध पत्र प्राप्ति के 1 माह तक ही सिमट कर रह गया ।

पुलिस जवान ने कहा कि :

किसी भी प्रकार का कोई साप्ताहिक अवकाश नही दिया जा रहा है। जिले के शहरी इलाकों में स्थित थानों-चौकियों का भी हाल बुरा है। थानों-चौकियों पर तैनात HCM से साप्ताहिक अवकाश पर बात की तो गोलमोल जवाब देते नजर आ रहे हैं ।

प्रभारी मंत्री प्रदीप जायसवाल के सिंगरौली दौरे पर किये गए पुलिस विभाग के अनिवार्य साप्ताहिक अवकाश के प्रश्न में उनके द्वारा स्पष्ट किया गया कि साप्ताहिक अवकाश जारी है । सिंगरौली जिले के कई थानों और पुलिस चौकियों में संपर्क उपरांत प्राप्त जानकारी भी ज़मीनी हकीकत से परे है एक तरफ जहाँ अनिवार्य साप्ताहिक अवकाश कागजों तक सिमट कर रह गया है वही थाने में संपर्क पर एच सी एम पहले तथ्यों को छुपाने लगे । जिले का यातायात थाना हो या कोतवाली सब का यही हाल है। 24 घंटे ड्यूटी ,वरिष्ठ अधिकारियों के डर और अनुशासन में बंधे पुलिस कर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश कितना आवश्यक हो जाता है यह तो उनकी व्यथा को सुनकर देखकर स्पष्ट होता है ।

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