शहडोल: प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदम

शहडोल, मध्य प्रदेश: प्रदूषण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय इस साल पर्यावरण को लेकर विशेष सचेत रहा, गणेश पूजा उत्सव को लेकर शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी में नगरीय निकाय के माध्यम से विसर्जन कुण्ड तैयार करवाए
प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदम
प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदमAfsar Khan

हाइलाइट्स:

  • प्रदूषण बोर्ड ने कुण्ड बनाकर कराया भगवान गणेश का विसर्जन

  • गणेश उत्सव के दौरान मां नर्मदा को प्रदूषण से बचाने का रहा विशेष प्रयास

  • जल को प्रदूषण मुक्त करने की पहल

  • गणेश विसर्जन के दौरान दिन भर विसर्जन स्थलों की निगरानी

राज एक्सप्रेस। प्रदूषण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय इस साल पर्यावरण को लेकर विशेष सचेत रहा, गणेश पूजा उत्सव को लेकर शहडोल, अनूपपुर, डिंडोरी, अमरकंटक में नगरीय निकाय के माध्यम से विसर्जन कुण्ड तैयार करवाए गए थे। जिससे संभाग से बहने वाली सोन, मुडऩा, उमरार, जोहिला व नर्मदा नदी को प्रदूषण से बचाया जा सके। सीधे नदी तालाबों में मूर्तियों के विसर्जन से मूर्तियों में प्रयुक्त होने वाले रसायन पेन्ट, प्लास्टर आफ पेरिस से जल प्रदूषित हो जाता था। इसलिए गणेश प्रतिमाओं को नदी तालाबों के घाटो पर बनाए गए कुण्डों में विसर्जित कराया गया। जिसे पर्यावरण शुद्धता के लिए अच्छी पहल माना जा रहा है। इसके लिए संभाग के पर्यावरण विदों ने क्षेत्रीय प्रदूषण कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रतिमाओं को कराया विसर्जित :

गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए संभागीय मुख्यालय में कंचनपुर के पास रोड ब्रिज के निकट सरफा नदी के पास विसर्जन कुण्ड बनाया गया था। इसके साथ ही पाली रोड में मुडऩा नदी पर विसर्जन कुण्ड का निर्माण कराकर गणेश प्रतिमाओं को विसर्जित कराया गया। अनूपपुर जिले में नए बस स्टैण्ड के पास ओवर ब्रिज के समीप विसर्जन कुण्ड बनाया गया था। उमरिया जिले में उमरार नदी के खलेसर घाट पर विसर्जन कुण्ड बनाकर प्रतिमाओं को विसर्जित कराया गया।

प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदम
प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदमAfsar Khan

प्रदूषण विभाग की विशेष नजर :

पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार मेहरा ने बताया कि, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी के निर्देशों पर गणेश उत्सव के दौरान मां नर्मदा को प्रदूषण से बचाने प्रदूषण विभाग की विशेष नजर रही। यहां गणेश प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए पुस्कर डैम की डाउन स्ट्रीम के समीप पक्का कुण्ड बनाया गया है। जिसमें श्रद्धा से गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन कराया गया। इसी तरह डिंडोरी जिले में नर्मदा को प्रदूषण से बचाने के लिए मंदिर से एक किलोमीटर दूर विसर्जन कुण्ड बनाया गया। जहां शहर में विराजे गणेश प्रतिमाओ को विसर्जित किया गया।

जल को प्रदूषण मुक्त करने की पहल :

गणेश विसर्जन के लिए संभाग के सभी नगरीय निकायों में इस बार कुण्ड बनाए गए थे। जिसमें कोतमा, भालूमाड़ा, जैतहरी, विजुरी, बाणसागर ,ब्यौहारी, जय सिंह नगर, नौरोजाबाद, पाली, चंदिया समेत कई स्थानों पर भी अलग से विसर्जन कुण्ड बनाए गए थे, जिसके चलते नदी-नालों व तालाबों के जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सार्थक पहल की गई। आने वाले समय में दूरस्थ अंचलों में धार्मिक आयोजनों के दौरान विसर्जित होने वाली प्रतिमाओं को नदी तालाबों में विसर्जित करने से रोकने के लिए कुण्डों का निर्माण कराने की पहल शुरू की जायेगी।

प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदम
प्रदूषण बोर्ड ने मूर्ति विसर्जन के लिए उठाये कारगर कदमAfsar Khan

निर्धारित स्थलों पर ही विसर्जन :

प्रदूषण विभाग की टीम गुरूवार को गणेश विसर्जन के दौरान दिन भर विसर्जन स्थलों की निगरानी करती रही, इसके लिए पहले से ही विभाग को टीम बनाकर निगरानी के निर्देश दिए गए थे। टीम की निगरानी की वजह से श्रद्धालुओं ने निर्धारित स्थलों पर ही गणेश प्रतिमाओं को विसर्जित किया, पीसीबी के अधिकारी और कर्मचारी शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और डिण्डौरी जिले में देर रात तक विसर्जन स्थलों की निगरानी में तैनात रहे, इस दौरान उन्होंने मूर्ति विसर्जन के लिए आये श्रद्धालुओं को जल प्रदूषण से संबंधित प्रचार-प्रसार भी किया।

वन विभाग को नहीं सरोकार :

गणेश चतुर्थी के अवसर पर पर्यावरण को लेकर वनविभाग सचेत नहीं रहा, वन भूमि में बहने वाले नदी-नालो में कहीं कुण्ड नहीं बनाए गए थे, जिससे लोगों ने मनमर्जी के नदी-तालाबों में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन किया। पर्यावरण विभाग प्रदूषण को लेकर जहां जगह-जगह कुण्ड बनाकर नदी तालाबों को दूषित होने बचाने के लिए रात दिन एक करता रहा। वही वनविभाग के अधिकारी सोते रहे।

सोन नदी के दिया पीपर घाट पर वनविभाग ने मूर्ति विसर्जन के लिए कोई इंतजाम नहीं किया था, जिससे स्थानीय व शहर के लोगों ने मूर्तियों को सीधे सोन नदी में प्रवाहित कर दिया। इसके बाद भी वनविभाग उदासीन बना रहा, जबकि वन क्षेत्रों के नदी-तालाबों में जलीय जीव-जंतु के अलावा वन्य प्राणी भी सीधे तौर पर नदियों और तालाबों से संपर्क में रहते हैं, मूर्ति विसर्जन के बाद निकलने वाले हानिकारक पदार्थों और कैमिकल का प्रभाव सीधे उन पर पड़ता है, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है, जो कि आने वाले समय में चिंता का सबब बन सकता है।

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