राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बकस्वाहा क्षेत्र के जबलपुर मार्ग पर 2 किमी के रास्ते में करीब एक दर्जन से ज्यादा स्टोन क्रेशर मशीनें लगी हैं। यहां से निकलने वाले धूल से लोगों को मुफ्त में श्वांस की बीमारी मिल रही है। वहीं 100 मीटर दूर खुले स्कूल में बच्चों का जीना मुश्किल है। कई बार यहां से वरिष्ठ अधिकारी गुजरे हैं लेकिन रसूखदारों की मशीनों की वजह से उन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही।
क्षेत्र में लगातार बढ़ रहा है प्रदूषण का खतरा :
नगर से जबलपुर के लिए जाने वाले मार्ग में जुझारपुरा के पास कई क्रेशरे लगी हैं। जुझारपुरा के स्कूल में 127 बच्चे पढ़ते हैं लेकिन क्रेशर से उड़ने वाली धूल और अवैध ब्लास्टिंग से वे बेहद परेशान हैं। अभिभावकों का कहना है कि, ब्लास्टिंग के डर से बच्चे खुले मैदान में खेलना तो दूर खाना-खाने के बारे में भी नहीं सोचते। खनिज विभाग द्वारा बकस्वाहा में 13 लोगों को क्रेशर की अनुमति दी गई है, लेकिन कुछ ऐसे भी क्रेशर हैं जो बिना अनुमति के चल रहे हैं।
पनप रही है धूल से बीमारियां :
क्रेशर से निकलने वाली धूल दमा, श्वास जैसी बीमारी बांट रही हैं। बीएमओ डॉ. एलएल अहिरवार ने बताया कि जिले के अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है कि, क्रेशर की धूल से सिलिकोसस नामक बीमारी का खतरा पनपने लगता है। पत्थर खदानों में काम करने वाले मजदूरों को यह बीमारी शत्-प्रतिशत हो सकती है। धूल से जमीन बंजर हो रही है तो वहीं अक्सर धुंध भी देखने को मिलती है।
मामला काफी गंभीर है, मेरे पास यदि कोई शिकायत आती है तो मैं अपने स्तर से जांच करवाकर कार्यवाही करूंगा।
करन सिंह कौरव, तहसीलदार, बकस्वाहा
क्रेशर की धूल से टीबी, अस्थमा, सिलकोसिस, दमा जैसी बीमारियां अधिक हो रही हैं। क्रेशर के आसपास रहने वाले लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
डॉ. केपी बामोरिया, बीएमओ
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