मध्य प्रदेश: मूर्तिकार पीओपी का इस्तेमाल कर दूषित कर रहें है पानी

छतरपुर, मध्य प्रदेश। मिट्टी सहित सामग्री से परंपरागत तौर से मूर्तियां बनाना हानिकारक नहीं है लेकिन पीओपी से बनी मूर्तियां जब विसर्जित होती है तो यह पानी में ज़हर घोल देती हैं।
मूर्तिकार पीओपी का इस्तेमाल कर दूषित कर रहें है पानी
मूर्तिकार पीओपी का इस्तेमाल कर दूषित कर रहें है पानीPankaj yadav

राज एक्सप्रेस। देश में गणेश चतुर्थी और नवरात्रि का त्यौहार समीप आते ही मूर्तिकार प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं। जब इन मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है, तो यह मूर्तियां पानी में पहुंचते ही जहरीली हो जाती हैं, जिस की वजह से पानी दूषित हो रहा हैं। मूर्तिकार द्वारा बनी हुई पीओपी की प्रतिमाओं से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां पानी में नष्ट न होकर जल को दूषित करती हैं। इसके बाद भी शहर में पीओपी का उपयोग मूर्ति बनाने में खुलेआम हो रहा है।

आयोजन समितियों को रखना होगा इस बात का ख्याल -

गणेश चतुर्थी के अवसर पर आयोजन समितियां पंडाल सजाकर भक्तिभाव के साथ मूर्तियों की पूजा करती हैं और इसके बाद इन मूर्तियों को जलस्त्रोतों में विसर्जित किया जाता है। मिट्टी सहित अन्य सामग्री से परंपरागत तौर से मूर्तियां बनाना हानिकारक नहीं है, लेकिन पीओपी से मूर्तियां बनाना हानिकारक होता है। यह मूर्तियां पानी को दूषित करती है।आयोजन समितियों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि, वे मिट्टी और प्राकृतिक सामग्री से बनी मूर्तियों को पंडाल में लाकर उनकी पूजा करें और पीओपी से बनाई जाने वाली मूर्तियों को न सजाएं।

पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि-

गणेश चतुर्थी और नवरात्रि में पण्डालों में पहले मिट्टी की मूर्तियां तैयार की जाती थीं और उनमें प्राकृतिक रंगों को स्थान दिया जाता था, लेकिन अब धीरे-धीरे प्लास्टर ऑफ पेरिस लोहे की सलाखें, पॉलिस्टर, कपड़े, प्लास्टिक सिंथेटिक पेंट आदि का उपयोग होने लगा है। प्लास्टर ऑफ पेरिस में सूखने की क्षमता अधिक होती है और इससे मूर्तियों में चमक अधिक आती है। इसके अलावा इससे निर्माण करने में लागत कम आती है। यही वजह है कि, मूर्तिकार मिट्टी के स्थान पर प्लास्टर ऑफ पेरिस का इस्तेमाल अधिक करते हैं। सिंथेटिक पेंट और प्लास्टर ऑफ पेरिस जैसे पदार्थों का इस्तेमाल होने से इनका जहर पानी के माध्यम से धीरे-धीरे लोगों तक पहुंच जाता है।

पीओपी पानी के संपर्क में आते ही होता है 'जहरीला'

पीओपी में भारी मात्रा में केमिकल्स होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। पीओपी पानी में पहुंचते ही जहरीला हो जाता है। पानी के संपर्क से यह मुलायम सफेद व चिप-चिपे जिप्सम में बदल जाता है। पीओपी के हिस्से 17 साल तक पानी में पड़े रहते हैं और तैरते रहते हैं। लेड, आर्सेनिक, मरकरी, कैडियम, जिंक आक्साइड और क्रोमियम ऐसे पदार्थ हैं, जो पानी में ऑक्सीजन और कार्बनडाई ऑक्साइड का स्तर घटा देते हैं। परिणामस्वरूप पानी में रहने वाले जीव.जंतुओं की मौत होने लगती है।

एक नजर इन बातों पर-

  • पीओपी की मूर्तियों को घुलने में काफी समय लगता हैं, लेकिन मिट्टी की मूर्तियां 45 मिनिट में पानी में घुल जाती हैं।
  • मिट्टी की मूर्तियां पर्यावरण की दृष्टि से फायदेमंद हैं।
  • मिट्टी की मूर्तियों को स्थापित कर उनकी पूजा करें और उन्हें पानी में विसर्जित करें।
  • मिट्टी की मूर्तियां विसर्जन करने से जल प्रदूषित नहीं होगा।
  • मिट्टी की मूर्तियां पर्यावरण और हमारे स्वास्थ दोनों के लिए उपयोगी होती हैं, इनमें किसी तरह का केमिकल नहीं इस्तेमाल किया जाता है।
  • मिट्टी से बनीं मूर्तियां ही खरीदें, क्योंकि मिट्टी को श्रद्धा का प्रतीक भी माना जाता है।

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