ग्वालियर : दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस को भी मतदाताओं से आस

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : प्रद्युम्न सिंह, इमरती, मुन्नालाल ने सिंधिया के साथ छोड़ी थी कांग्रेस। मतदाता अपनी पसंद का बटन आज दबाकर ईव्हीएम में बंद कर देंगेे प्रत्याशियों की किस्मत।
दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस को भी मतदाताओं से आस
दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस को भी मतदाताओं से आसSyed Dabeer Hussain - RE

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। राजनीति मेें कभी हाथ के लिए वोट मांगते थे और अब कमल के लिए मांग रहे हैं, क्योंकि जो राजनीति चल रही है उसके हिसाब से दल बदलते ही निष्ठा बदल जाती है। अब कांग्रेस भले ही कहे कि कांग्रेस को धोखा देकर जो गए हैं उनको सबक सिखाया जाए, लेकिन कांग्रेस में भी तो भाजपा से आए हुए लोग चुनावी मैदान में हैं इसलिए आया राम गया राम का जो मुद्दा था वह दोनों ही दलों पर लागू होता है।

उप चुनाव में दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है, क्योंकि दोनों के क्षेत्र में ही कांग्रेस ने पूरी ताकत लगाने का काम किया। वहीं भाजपा नेताओं ने भी अपने मंत्रियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंकी और उप चुनाव के ऐलान से पहले ही उनके विधानसभा क्षेत्रो में करोड़ों के विकास कार्यों की सौगात दी थी। अब उस सौगात का कितना असर उप चुनाव में होता है यह परिणाम आने पर ही पता चलेगा। इस उप चुनाव मेें भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा सबसे अधिक दांव पर लगी हुई है, क्योंकि ग्वालियर-चंबल को उनका गढ़ माना जाता है और जब उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी तो अंचल से अधिकांश विधायक उनके साथ खड़े हुए थे। अब उन पूर्व विधायकों को जिताने का सबसे अधिक दारोमदार सिंधिया के कंधे पर था और इसके लिए उन्होंने जमकर मेहनत भी की। अब उनकी मेहनत का कितना परिणाम आता है यह 10 नवंबर को पता चलेगा। वहीं कमलनाथ एंड कंपनी ने भी सिंधिया के गढ़ में अधिक मेहनत की है।

प्रद्युम्न सिंह व सुनील के बीच ग्वालियर में मुकाबला :

ग्वालियर विधानसभा में प्रदेश सरकार के मंत्री एवं सिंधिया के सबसे करीबी प्रद्युम्न सिंह भाजपा से मैदान में हैं जबकि कांग्रेस से सुनील शर्मा चुनावी मैदान में है। 2018 के विधानसभा चुनाव में जब प्रद्युम्न को सिंधिया ने टिकट दिया था तो एक ही रथ पर सुनील को साथ लेकर सिंधिया ने कहा था कि अगर प्रद्युम्न जीते तो एक नहीं बल्कि दो विधायक मिलेंगे। अब वहीं दोनों आमने सामने हैं। प्रद्युम्न क्षेत्र की जनता के हित के लिए लम्बे समय तक लड़ते आएं है और मंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने क्षेत्र में काफी विकास कार्य तो कराएं ही साथ ही जनता से भी नजदीकी बनाए रखी है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा भी जनहित के मुद्दों को लेकर संघर्ष करते रहे हैं। इस उप चुनाव में दोनों ही दलों को अपने दल के लोगों से भितरघात का भी डर रहेगा।

पूर्व में जो पहले थे वह फिर आमने-सामने :

ग्वालियर पूर्व विधानसभा में उप चुनाव में प्रत्याशियों का दल बदला है लेकिन हैं दोनों आमने-सामने। मुन्नालाल पहले कांग्रेस से लड़े और जीते थे जबकि सतीश भाजपा से लड़े और हारे इस बार कांग्रेस से मैदान में हैं। इस विधानसभा में मुन्ना को फायदा सबसे अधिक यह है कि यहां भाजपा के कार्यकर्ता एवं नेता पूरी इमानदारी से लगे हुए हैं जबकि सतीश के लिए कांग्रेसी ही बंटे हुए नजर आ रहे हैं। वैसे दोनों ही प्रत्याशी क्षेत्र की जनता की परेशानी में काम आने वाले रहे हैं और उनका गरीब तबके में खासा समर्थन भी है।

डबरा में भी इमरती-राजे के बीच मुकाबला :

डबरा विधानसभा में एक बार फिर इमरती व सुरेश राजे के बीच मुकाबला हो रहा है। इससे पहले भी दोनों एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उस समय राजे भाजपा से थे तो इमरती कांग्रेस से। इमरती को उनकी छवि का फायदा मिलता रहा है, क्योंकि वह जनता के बीच तो रहती ही हैं साथ ही देशी अंदाज में ही बात करती हैं जबकि वह प्रदेश सरकार में महिला बाल विकास मंत्री हैं। अब इमरती को जिताने के लिए सिंधिया जहां पसीना बहा चुके हैं, वहीं नरोत्तम मिश्रा भी अपनी जिम्मेदारी को निभा चुके हैं। रणनीति में माहिर मोहन सिंह राठोर कांग्रेस के हर चक्र को तोडऩे में माहिर माने जाते हैं। वहीं कांग्रेस के सुरेश राजे के लिए कांग्रेस के कई नेता महीनों से डबरा क्षेत्र में रहे और कमलनाथ ने भी सभा कर समर्थन मांगा। अब मंगलवार को मतदाता किसको पसंद करते हैं इसका फैसला ईव्हीएम में बंद कर देंगे।

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