शिक्षा प्रमुख सचिव ने कहा शिकायतें आई तो अधिकारियों पर करेंगे कार्रवाई

भोपाल, मध्यप्रदेश: मान्यताओं में बीआरसीसी का अंतर्मन काला, बिगड़े सिस्टम का नहीं कोई रखवाला, कोरोना आपदा के चलते अगले 1 साल के लिए जारी की गई थी मान्यता।
शिक्षा प्रमुख सचिव ने कहा
शिक्षा प्रमुख सचिव ने कहाSyed Dabeer-RE

भोपाल, मध्यप्रदेश। सर्व शिक्षा अभियान के तहत पूरे प्रदेश में नियम विरुद्ध काम कर रहे बीआरसीसी की नियत में एक बार फिर ईमान नहीं दिख रहा है। कोरोना आपदा को देखते हुए शासन ने पहली से आठवीं तक सभी स्कूलों को मान्यता दे दी है। इसके बावजूद बीआरसीसी प्राइवेट स्कूल संचालकों को परेशान कर रहे हैं।

राज्य के अन्य जिलों की बात तो दूर खुद भोपाल में ही सभी बीआरसीसी प्राइवेट स्कूल संचालकों को फोन लगाकर कार्यालय तलब कर रहे हैं। वजह स्पष्ट है कि अभी तक बीआरसीसी मान्यताओं में जो अपने निजी हित पूरे करने जो व्यवसायिक परिपाटी अपना आए हैं उस पर अभी भी इनकी नियत साफ नहीं है। इस मामले में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने मोर्चा संभाला है। एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर अजीत सिंह का कहना है कि कोरोना आपदा को लेकर सरकार ने पहली से आठवीं तक चल रहे समस्त प्राइवेट स्कूलों को 31 मार्च 2021 तक नवीनीकरण करते हुए मान्यता जारी की है। यानी स्थिति स्पष्ट है कि अगले 1 वर्ष तक के लिए सभी स्कूलों को मान्यता मिल गई है। उसके बाद दुखद पहलू यह है कि प्रदेश भर में बीआरसीसी प्राइवेट स्कूल संचालकों को फोन लगाकर परेशान कर रहे हैं। अजीत सिंह का कहना है कि भोपाल में कई स्कूल संचालकों को परेशान किया गया। यह फंदा ग्रामीण पुराना और नया शहर एवं बैरसिया को मिलाकर चार बीआरसीसी है। आरोप है कि इन सभी से प्राइवेट स्कूलों के संचालक परेशान है। नजदीकी जिले रायसेन सीहोर विदिशा सागर जैसे जिलों में यही हाल हैं। छतरपुर में जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी बीआरसीसी को निर्देशित किया है कि शासन का निर्देश अलग बात है लेकिन मान्यताओं में जो अभी तक की जो परंपरा चली आई है उसको निभाने के लिए स्कूल संचालकों को तैयार किया जाए। हालांकि इस संदर्भ में विभाग की प्रमुख सचिव का कहना है कि अगर शासन के नियमों का किसी जिले में इस प्रकार के उल्लंघन का मामला सामने आता है तो जवाबदार पर बड़ी कार्रवाई होगी।

प्रदेश भर में बीआरसीसी नियम विरुद्ध कर रहे काम :

मध्य प्रदेश राज्य शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश यादव का आरोप है कि पूरे प्रदेश में बीआरसीसी नियम विरुद्ध काम कर रहे हैं। इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो चुकी है उसके बावजूद राज शिक्षा केंद्र में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को इसकी सुध नहीं है। जब बीआरसीसी को हटाने की बात आती है तो मामला कलेक्टर ऊपर छोड़ दिया जाता है। यादव ने सवाल उठाया है कि जब राज्य स्तर से नीतियां बनती है फिर आखिर कलेक्टर पर राज शिक्षा केंद्र का नियंत्रण क्यों नहीं है। यादव के अनुसार राज शिक्षा केंद्र में विसंगतियां सिर चढ़कर बोल रही है। उन्होंने बताया है कि राज्य शिक्षा केंद्र में कमिश्नर को छोड़ दे तो 90% अयोग्य अमला बैठा हुआ है जो जिलों में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी यानी कलेक्टरों को निर्देश जारी करता है।

शिक्षा अधिकारियों पर कार्रवाई हेतु संभाग आयुक्त को पत्र :

सागर संभाग में जिला शिक्षा अधिकारियों के कार्य व्यवहार की जांच और इन पर कार्रवाई करने के लिए कमिश्नर को पत्र लिखा गया है। समाजसेवी और वरिष्ठ पत्रकार धीरज चतुर्वेदी ने सागर संभाग आयुक्त को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि छतरपुर एक ऐसी जगह है जहां जो अधिकारी आता है तो अपना सेवा काल और जीवन का पूरा कालखंड यही निकालता है। उन्होंने कहा है कि छतरपुर में मौजूदा शिक्षा अधिकारी से जिले के शिक्षक परेशान हैं। बेवजह शिक्षकों को निलंबित करना फिर रातों-रात उनकी बहाली कर देना जांच का विषय है। उन्होंने बताया कि जिले में जितने भी बीआरसीसी हैं वह अनियमितताओं के आरोपों से हमेशा घिरे रहे हैं। स्कूल संचालक स्वयं बीआरसीसी पर अर्थ प्रताड़ना के आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने पन्ना और टीकमगढ़ जिला शिक्षा अधिकारियों की भी जांच कर कार्यवाही की मांग की है।

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