खण्डवा: ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकान

खालवा (खण्डवा), मध्य प्रदेश : मामला खालवा ग्राम पंचायत का है आकंठ में डूबी जनपद पंचायत खालवा की ग्राम पंचायत वैसे तो पंचायती राज को ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास के लिए ही लागू किया गया था।
ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकान
ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकानGaurav Jain

हाइलाइट्स

  • बरसों से उपसरपंच ही चला रहे हैं पंचायत

  • दबंग उपसरपंच बरसों से राज्य धड़ल्ले से बांटे जा रहे हैं पट्टे

  • मामला ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकान

  • भ्रष्टाचारी जनप्रतिनिधि और उनको मौन सहमति देने वाले अधिकारियों की जुगलबंदी

  • खालवा की जनता के साथ कब तक न्याय हो पायेगा

राज एक्सप्रेस। बरसों से उपसरपंच ही चला रहे हैं पंचायत, इसे खालवा की बदनसीबी ही कहेंगे कि, यहां चुना तो सरपंच ही जाता है परंतु राज कोई और ही करता है। क्या यह केवल इत्तेफ़ाक़ से होता है या इसके पीछे भी कोई सुनियोजित षड्यंत्र काम कर रहा है। यहां जोड़-तोड़ की राजनीति में माहिर उपसरपंच ही कर रहे हैं बरसों से पंचायत पर राज। मामला भ्रष्टाचार में आकंठ में डूबी जनपद पंचायत खालवा की ग्राम पंचायत खालवा का वैसे तो पंचायती राज को ग्रामीणों के सर्वांगीण विकास के लिए ही लागू किया गया था।

परंतु आदिवासी बहुल खालवा तहसील में सब कुछ शासन की मंशा अनुसार नहीं चल रहा है जी हां मुख्यालय की ही ग्राम पंचायत खालवा में बरसों से उपसरपंच ही पंचायत को संचालित कर रहे हैं। यही नहीं खालवा ग्राम पंचायत में सचिव का प्रभार भी ग्रामीण रोजगार सहायक ही देख रहा है। ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का आलम यह है कि, एक भी शासकीय योजना का सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं कर पा रहे अधिकारी :

कहने को तो खालवा में तहसीलदार ,जनपद सीईओ और इनसे निचले दर्जनों अधिकारी मौजूद हैं। परंतु जो अधिकारी मुख्यालय की ग्राम पंचायत को ही भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें नियमानुसार संचालित नहीं कर पा रहा है। उनसे दूरदराज के ग्रामों की पंचायतों के सही संचालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकान
ग्राम पंचायत को बना दिया प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकानGaurav Jain

खालवा के सैकड़ों ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है कि ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है जिसके चलते कई बार तो ऐसा लगता है की खालवा ग्राम पंचायत ग्राम पंचायत ना होकर किसी प्रॉपर्टी ब्रोकर की दुकान नजर आने लगती है। जहां पर कोई भी सौदेबाजी कर जमीनों के पट्टे अर्जित कर सकता है। यही नहीं ग्राम पंचायत का एकमात्र मंच जिस पर बरसों से इंदिरा गांधी की मूर्ति सुशोभित थी उसे भी दबा दिया गया है। यात्री प्रतीक्षालय को कूड़ा घर बना दिया गया। ग्राम के आवारा पशुओं के लिए संचालित की जाने वाली कांजी हाउस को भी मुख्य जगह से उठाकर दूर खेतों में स्थापित कर दिया गया।

नेताओं के दबाव में काम फिर से चालू :

ग्राम में कुटीरो का मामला हो या प्रधानमंत्री आवास का रुपयों की खनक से सब कुछ अपात्र लोगों को भी अर्जित हो जाता है। यही नहीं तहसील मुख्यालय पर स्थित शासकीय चिकित्सालय के पास भी अतिक्रमणकारियों की बाढ़ सी आई हुई है। अभी हाल ही में सरस्वती शिशु मंदिर के पास बनाई जा रही दुकानों का विवाद भी गहरा गया था जिस पर ग्रामीणों के विरोध करने पर कार्य रोक दिया गया था परंतु उच्च राजनीतिक पहुंच और ग्राम में अपना रसूख रखने वाले नेताओं के दबाव में काम फि र से चालू कर दिया गया।

भ्रष्टाचार के गड्ढे भरे जा रहे :

यह वही खालवा है जहां के पट्टों में हुए भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक विजय शाह ने खुले मंच से जांच करवाने का कहा था परंतु तत्कालीन तहसीलदार डोडवे के द्वारा क्या जाँच की गई और उस पर क्या कार्रवाई हुई यह अभी भी हर खालवावासी के लिऐ यक्ष प्रश्न बना हुआ है। वक्त अच्छे-अच्छे घाव भर देता है उसी तरह यहां भी समय के साथ भ्रष्टाचार के गड्ढे भरे जा रहे हैं। अब देखना यह होगा कि बरसों से जम कर बैठे भ्रष्टाचारी जनप्रतिनिधि और उनको मौन सहमति देने वाले अधिकारियों की यह जुगलबंदी कितने समय तक चलती है और शासन को कितना नुकसान और पहुंचाती है।

अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ा :

निर्माणाधीन दुकानों के मामले को लेकर खालवा तहसीलदार श्री गोलकर से बात की गई तो उन्होंने मैं अभी बाहर हूँ कल ही बता पाऊंगा कहकर पल्ला झाड़ लिया एवं खालवा जनपद पंचायत के मुख्य कार्य पालन अधिकारी के.के. उईके को भी फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। अब अधिकारियों की इस तरह की लचरकार्य प्रणाली से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खालवा की जनता के साथ कब तक न्याय हो पायेगा।

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