रेफर करने की प्रवृत्ति छोड़ें, उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर इलाज करें : डॉ. चौधरी

भोपाल, मध्यप्रदेश : मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने यह बातें शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान कहा सभी चिकित्सकों को उपचार करने की दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ कार्य करना चाहिए।
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने दी डॉक्टरों को समझाइश।
शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने दी डॉक्टरों को समझाइश।Social Media

भोपाल, मध्यप्रदेश। शासकीय अस्पतालों में पिछले दो वर्षों में बच्चों की गहन चिकित्सा इकाई (पीआईसीयू), स्पेशल न्यू वॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) सहित अन्य इन्फ्रा-स्ट्रक्चर उपलब्ध कराए गए हैं। अस्पतालों के सिविल सर्जन और शिशु रोग विशेषज्ञों को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर बच्चों का इलाज करना चाहिए। छोटी-मोटी कमियों को लेकर दूसरे अस्पताल में रेफर करने की प्रवृत्ति छोड़ना होगी। सिविल सर्जन और अन्य सभी चिकित्सकों को उपचार करने की दृढ़ इच्छा-शक्ति के साथ कार्य करना चाहिए। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने यह बातें शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान कहीं।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 की तुलना में हाल ही में जारी हुए पांच के आंकड़े प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी को दर्शाते हैं, लेकिन हमें अभी और बहुत कुछ करना है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक जब मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेते हैं, तो उनके मन में अपना कॅरियर बनाने के साथ-साथ समाजसेवा का भी मन होता है। उन्होंने कहा कि नवजात बच्चों के लिए अस्पतालों में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ और पैरामेडिकल स्टॉफ की भी पद-स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि एक साल पूर्व केवल 20 जिलों में एसएनसीयू थे। शासन द्वारा अब सभी जिला चिकित्सालयों में एसएनसीयू की स्वीकृति दी गई है। कुछ में कार्य प्रगति पर है और अधिकांश जिलों में एसएनसीयू बना दिए गए हैं। जिन जिलों में एसएनसीयू निर्माणाधीन है, उन्हें भी जल्द पूरा किया जाएगा।

मैं हर सोमवार दो जिला अस्पतालों के मरीजों से करता हूं सीधा संवाद :

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने कहा कि बच्चों के उपचार के साथ-साथ जरूरी है कि शिशु रोग विशेषज्ञ बच्चों के माता-पिता और अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य और किए जा रहे उपचार की जानकारी से समय-समय पर अवगत कराएं। इससे अभिभावकों का उपचार और चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा मजबूत होता है। डॉ. चौधरी ने कहा कि शासकीय चिकित्सालयों में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं और उपलब्ध करवाई जा रही चिकित्सा सेवाओं की वह सीधे मरीजों से जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सोमवार को दो जिला चिकित्सालयों में भर्ती मरीजों और अस्पताल के चिकित्सकों से वीडियो-कॉल कर सीधा संवाद कर जानकारी प्राप्त करते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को पीएससी और सीएससी स्तर तक जारी रखेंगे। एमडी एनएचएम प्रियंका दास ने आईएमआर और एमएमआर पर विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की। यूनिसेफ की मध्यप्रदेश की चीफ फील्ड ऑफीसर सुश्री मार्गरेट ग्वाडा और डॉ. मनीष सिंह ने शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम पर जानकारी दी।

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