Shahdol : भाड़े पर चल रहे रेलवे क्वाटर

शहडोल, मध्यप्रदेश : संभागीय मुख्यालय के रेलवे कालोनी में कुछ ऐसे क्वार्टर हैं, जो खाली पड़े हैं, रेलवे ने उन्हें परित्यक्त घोषित कर रखा है। बावजूद, उसमें लोग बड़े ठाठ से ऐशोआराम कर रहे हैं।
भाड़े पर चल रहे रेलवे क्वाटर
भाड़े पर चल रहे रेलवे क्वाटरराज एक्सप्रेस, ब्युरो

हाइलाइट्स :

  • रेलवे को लग रहा प्रतिमाह लाखों का चूना।

  • जिम्मेवार की मदद से सुनियोजित जालसाजी।

संक्षिप्त विवरण : रेलवे क्वार्टरों पर अवैध कब्जा जमा लिया गया है, कुछ दबंग क्वार्टरों को भाड़े पर भी चला रहे हैं, कुछ रेल के अधिकारी भी इस भाड़े के कारोबार में शामिल हैं, क्वार्टरों को भाड़े पर लगाकर हाउस रेंट का खेल चल रहा है, जिससे रेलवे को प्रतिमाह बड़ी चपत लग रही और राणा जैसे लोग कमाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं बाहरी तत्वों के कब्जे से रेल परिसर व कालोनियां असमाजिक तत्वों का अड्डा बन गयी हैं।

शहडोल, मध्यप्रदेश। संभागीय मुख्यालय के रेलवे कालोनी में कुछ ऐसे क्वार्टर हैं, जो खाली पड़े हैं, रेलवे ने उन्हें परित्यक्त घोषित कर रखा है। बावजूद, उसमें लोग बड़े ठाठ से ऐशोआराम कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसकी भनक स्थानीय रेल प्रशासन को न हो, पूर्व में अंकित यदुवंशी रेल उप मंडल अभियंता ने कहा था कि अनूपपुर, अमलाई सहित अन्य क्षेत्रों में जो बाहरी लोग रह रहे है, उनके मकान खाली कराये गये है, उसी तर्ज पर शहडोल मुख्यालय में भी मकान खाली कराये जायेंगे, साथ ही परित्यक्त भवनों में रह रहे लोगों के पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई होगी, लेकिन जिम्मेदारों ने इस ओर से आंखे मूंद रखी है, जिससे जहां रेल प्रशासन को नुकसान हो रहा है, वहीं अवैध तरीके से रह रहे लोगों के कारण कालोनी की फिजा भी बिगड़ रही है।

प्रबंधन को हो रही क्षति :

स्थानीय रेल आईओडब्लयू में पदस्थ जानकारों की माने तो, जब तक उक्त परित्यक्त भवनों से बिजली और पानी की सप्लाई नहीं काट दी जाती तब तक कोई खाली नहीं माना जाता। यहां पेंच यह भी है कि परित्यकत भवन में अगर गेट व खिड़की के रहने तक बिजली-पानी नहीं काटने का प्रावधान है। क्योंकि, रेलवे उसको स्टोर रूप में इस्तेमाल में ला सकता है, इसी का फायदा कुछ लोग उठा रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि राणा नामक व्यक्ति द्वारा अपने फायदे के लिए रेल प्रबंधन को चूना लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। जानकारों की माने तो इस संबंध में रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारियों को हस्ताक्षेप करना चाहिए, लेकिन उनकी चुप्पी भी समझ से परे है।

रेल क्वार्टर पर बाहरी का कब्जा :

रेल परिसर के सुरक्षित और पर्याप्त जगह के साथ मुफ्त की बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था देख रेलवे क्वाटर भाड़े पर लेने वालों की कमी नहीं है। वैसे रेलकर्मी इसमें सबसे आगे हैं जिनका मकान रेलवे क्वार्टरों के इर्द-गिर्द ही स्थित है। सूत्रों की मानें तो किरायेदारों के वेष में असामाजिक तत्व भी रेलवे कॉलोनियों में जगह पा रहे हैं। रेलवे की खाली पड़ी जमीन ही नहीं रेलवे कर्मचारियों के लिए बनाये गये कई क्वार्टर पर बाहरी लोगों का कब्जा है। जहां अधिकारी की चाटुकारिता कर दबंग या तो खुद रहते हैं या घरों को भाड़े पर लगाकर वर्षों से मोटी कमाई कर रहे हैं। इससे पहले भी क्वार्टरों को खाली कराने का आदेश दिया गया था, लेकिन सिर्फ आईवॉश के अलावा कुछ नहीं हुआ।

खुलेआम हो रहा गोरखधंधा :

विभागीय रिकार्ड के मुताबिक क्वार्टर सुविधा लेने वाले रेलकर्मी विभाग से हाउस रेंट का भी भुगतान उठा रहे हैं। ऐसे कई मामले रेलवे क्वार्टरों में नाजायज दखल को लेकर देखा जा सकता है। विभागीय लोगों का कहना है कि वरीय अधिकारियों से लेकर छोटे कर्मचारी तक रेलवे में कायम इस गोरखधंधे का लाभ लेने से हिचक नहीं रहे हैं। जबकि विभाग के जिम्मेवार सभी तथ्यों से अवगत होते हुए भी ऊपरी कमाई के नाजायज हिस्से से लाभ पाने के लिए मौन साधे हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा विभाग ही इस भ्रष्ट खेल को संरक्षण दे रहा है। सूत्रों की माने तो कई क्वार्टरों की स्थिति अच्छी होने के बावजूद ऊपरी कमाई के लोभ में खतरनाक घोषित करने से भी विभाग के जिम्मेवार बाज नहीं रहे हैं। एक बार क्वार्टर के खतरनाक घोषित हो जाने पर उक्त जगह को खाली कर देना का नियम है।

नियमों की चढ़ा दी बलि :

रेलवे के नियमों के मुताबिक परित्यक्त भवनों का पानी, बिजली और शौचालय व्यवस्था को विच्छेद कर ध्वस्त करना आवश्यक है, परन्तु सभी नियमों को दरकिनार कर सिर्फ कागज पर क्वार्टरों को खतरनाक घोषित कर क्वार्टर दे दिया जा रहा है। ताकि लोग उक्त क्वार्टर में रहें और पानी, बिजली और शौचालय जैसी रेलवे से मिलने वाली सुविधा का उपभोग कर सकें, लेकिन विभाग के कागज में उक्त कर्मी का जिक्र नहीं है। चर्चा है कि ऐसे कर्मी को रेलवे से निर्धारित हाउस अलाउंस मिल रहा है, स्थिति इतनी बदतर है कि विभाग के वरीय अधिकारियों को पूरे मामले की जानकारी रहने के बावजूद ऐसे दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है। जिससे हाउस अलाउंस का गोरखधंधा तेजी से फल-फूल रहा है। वरिष्ठ कार्यालय अगर पूरे मामले को संज्ञान लेकर जांच करे तो, कई रेल कर्मचारी सहित जिम्मेदार इस पूरे खेल में नपते नजर आयेंगे।

इनका कहना है :

आप ने जानकारी दी है, मैं इस मामले को दिखवाता हूं।
आलोक सहाय, डीआरएम, बिलासपुर डिवीजन

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