रतलाम, मध्यप्रदेश। रेलवे के कद्दावर नेता माहुरकर का बीती रात निधन हो गया। सौम्य व्यवहार के कारण सभी चहेते रहे श्री माहूरकर पूरे जीवन काल में रेल कर्मचारियों के लिए अनेक बार अनगिनत संघर्ष किए । दादा के नाम से मशहूर माहूरकर का जन्म 16 मार्च 1935 में उज्जैन में हुआ था, जन्मभूमि उज्जैन होने से उन्हें रतलाम मण्डल से विशेष लगाव रहा है।
बता दें कि दादा माहुरकर रेलवे में 55 वर्ष से मज़दूर संघ में सक्रिय थे व गार्ड के पद से सेवानिवृत हुए थे। माहुरकर को महाराष्ट्र सरकार द्वारा द्रोणाचार्य अवार्ड से नवाजा गया था वे ट्रेड यूनियन के एकमात्र ऐसे नेता थे जिन्हें यह सम्मान दिया गया था। इनके द्वारा 'गार्जियन' नामक पुस्तिका प्रकाशित की गयीं थी जिसका विमोचन तत्कालीन रेलमंत्री सुरेश प्रभु द्वारा किया गया था, माहुरकर ने आखरी दिन तक रेल कर्मचारियों के हित की लड़ाई लड़ी, लॉकडाउन में परेशान हुए रेलकर्मचारियों के लिये वरिष्ट अधिकारियों से चर्चा कर कर्मचारियों को राहत देने की बात कही।
इनके दुखद निधन पार पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक श्री आलोक कंसल, मण्डल रेल प्रबंधक रतलाम श्री विपिन गुप्ता, अपर मण्डल रेल प्रबंधक के.के. सिन्हा व वेस्टर्न रेलवे मज़दूर संघ के अध्यक्ष श्री शरीफ खान पठान, मण्डल मंत्री श्री बी.के. गर्ग, मण्डल अध्यक्ष श्री रफीक मंसूरी, सहायक मंडल महामंत्री दीपक भारद्वाज, मीडिया प्रभारी गोरव दुबे ने शोक व्यक्त करते हुए इसे रेलकर्मचारियों व संगठन के लिये अपूरणीय क्षति बताया।
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