Sagar : जिला कलेक्टर की मदद से सागर पहुंचा चिन्नौर बीज

बालाघाट के चिन्नौर की महक अब सागर में भी, चिन्नौर चावल को कौन नहीं जानता। खुशबू से महकता है इसका भात, सबको प्रिय है, श्री विधि से होगी खेती, बनेगा बीज और खुशबूदार भात।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से बीज बुलाया गया है, अब सागर जिले में होगी धान की खेती।
मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से बीज बुलाया गया है, अब सागर जिले में होगी धान की खेती।Syed Dabeer Hussain - RE

सागर, मध्य प्रदेश। जिले में धान की खेती के बढ़ते हुए रकवे को देखते हुए जिला कलेक्टर दीपक सिंह के आवाहन और मदद से जिले में अब खुशबूदार चावल की पैदावार की बुनियाद रखी गई है। बालाघाट जिले के चिन्नौर चावल को कौन नहीं जानता। खुशबू से महकता इसका भात, सबको प्रिय है।

इसीलिए जिले में सागर विकासखण्ड के ग्राम बम्हौरी और रहली विकासखण्ड के ग्राम हिन्नौती व छिरारी में चिन्नौर की खेती की शुरूआत की जा रही है। इसके लिए बालाघाट जिले से बीज बुलाया गया है। चूकि बीज की मात्रा कम है, फिर भी 5 एकड़ के रक्वे के लिए ये बीज मुनासिब है। अनूप तिवारी जिला प्रबंधक कृषि के अनुसार चिन्नौर प्रजाति के इस बीज को बौने से पहले 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखा गया है इससे बीज का तेजी से अंकुरण हो सकेगा।

बीज को बोने से पहले, बीज उपचार किया जावेगा और 10.3 फुट की नर्सरी बैड जो जमीन से कम से कम 6-7 इंच ऊपर होगा इस बैड पर पॉलीथिन बिछाकर पकी हुई खाद का 60 प्रतिशत, 40 प्रतिशत खेत की बारीक मिट्टी अथवा कोकोपिट को मिलाकर बिछा दिया जावेगा। इस बैड पर उपचारित इन दानों को बिछाया जाकर मिट्टी खाद से तोप दिया जावेगा और पक्षियों से बचने के लिए पत्तों से ढककर पानी स्प्रेकर छोड़ दिया जावेगा। 7 दिन आयु की पौध हो जाने पर रोपाई शुरू की जा सकती है श्रीविधि में 7 से 15 दिन की बाल पौध को रोपा जाता है। रोपने से पहले पौधों की जड़ों को धोना नहीं है।

किसान ध्यान दें कि जड़ों में दाना भी लगा होना चाहिए। 25 गुणा 25 सेंटी मीटर की दूरी पर ये पौधे रोपित होंगे। मां जगत जननी स्व. सहायता समूह ग्राम छिरारी की महिला सदस्यों का कहना है कि वे किसान उत्पादक समूह का निर्माण कर धान प्रसंस्करण इकाई के माध्यम से सुगंधित धान की जिले में होने वाली विभिन्न प्रजातियों को प्रंसस्करण कर बाजार में लॉंच करेंगी। इसके पहले भी महिला समूहों ने देवश्री के नाम से बाजार में दुग्ध उत्पादों को लॉंच किया है और बाजार में अपनी धाक जमाई है।

केसली विकासखण्ड के ग्राम ऊंटकटा में शहडोल जिले से लाई गई परम्परागत सुगंधित धान, काला जीरा, जीरा फुल, होलंदी, विष्णुभोग की नर्सरी लगाई जा चुकी है। डॉ इच्छित गढपाले मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के अनुसार महिला स्व. सहायता समूहों को आधुनिक कृषि तकनीकी से जोड़ते हुए जिले के उत्पादन में वृद्धि किये जाने का प्रयास किया जा रहा है। सुगंधित धान की खेती कृषकों के लिए लाभ दायक साबित होगी। क्योंकि बाजार में प्रसंस्करण के उपरांत इनकी कीमतें सोयाबीन की तुलना में अधिक होंगी और जिला स्वयं की मांग को पूरा करने में सक्षम हो सकेगा।

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