Salamatpur : रेलवे की दो पटरियों पर टिकी है सैकड़ों ग्रामीण की जान

सलामतपुर, मध्यप्रदेश : जुगाड़ के पुल से पार कर रहे नदी, अगर जरा सी भी चूक हुई या नजर झुकी तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, पिछले वर्ष ही एक वृद्ध महिला की यहां से गिरकर मौत हो चुकी।
पिछले वर्ष ही एक वृद्ध महिला की यहां से गिरकर मौत हो चुकी
पिछले वर्ष ही एक वृद्ध महिला की यहां से गिरकर मौत हो चुकीSyed Dabeer Hussain - RE

सलामतपुर, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश सरकार ने पूरे प्रदेश में 26 जुलाई से 11 वीं और 12 वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए स्कूल छात्रावास खोल दिए हैं। और इसके अलावा 5 अगस्त से स्कूलों में 9 वीं व 10वीं की कक्षाओं का संचालन भी शुरू हो जाएगा और सरकार अभियान को सफल बनाने के लियें करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। लेकिन मध्यप्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी (Dr. Prabhuram Choudhary) के विधानसभा क्षेत्र में ही स्कूल जाने के लिये छात्र.छात्राओं सहित ग्रामीणों को प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर दो रेलवे की पटरियों के सहारे नदी पार करना पड़ रही है।

जी हां हम आपको एक ऐसी ही तस्वीर दिखाते हैं जहां विकास के दावे और तरक्की के सारे वादे खत्म होते दिखाई देते हैं। हम खबरों में सुनते हैं संवाद का पुल टूट गया। खैर यहां तो पुल बना ही नहीं है। मामला है रायसेन जिले के सांची विकासखंड के ग्राम पंचायत गीदगढ़ का। जहां नदी पार करने के लिए छात्र-छात्राओं और हजारों ग्रामीणों को नदी पर रेलवे लाइन की दो पटरिया रखकर इस नदी को पार करना पड़ता है। अगर जरा सी भी चूक हुई या नजर झुकी तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है और कई बार तो हादसा हो भी चुका है। पिछले वर्ष ही एक वृद्ध महिला की यहां से गिरकर मौत हो चुकी ही। मगर उसके बाद भी प्रशासन मूकदर्शक बने बैठा है।

जुगाड़ का पुल गांव वालों ने ही बनाया है और 3 गांव के लोग 30 वर्षों से रोज यहां से अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर सफर तय करके दूसरी तरफ जाते हैं। यहां से छोटे व बड़े स्कूल के बच्चे को भी प्रतिदिन जोखिम भरा सफर तय करना पडता हैं। बच्चों का कहना है कि डर तो लगता है मगर हमें पढऩा है कुछ बनना है। इसलियें हम इस जुगाड के पुल से जान जोखिम में डालकर निकलते हैं। जब देश में चुनाव होते हैं तो सभी राजनीतिक पार्टियां बड़े.बड़े वादे करती हैं विकास के दावे करती है। मगर चुनाव होते ही यह उन भोली भाली जनता को भूल जाते हैं। जिन्होंने इन्हें उस कुर्सी पर बैठाया है। जहां से यह देश का विकास कर सकें। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इन ग्रामीणों की कब सुध लेता है कब तक इनको नदी पर पुल मिल पाता है। गांव में तीस वर्षों के बाद भी एक पुल का निर्माण नही हो पाया है।

ग्रामीण भी शासन, प्रशासन से कई बार शिकायतें करके थक चुके हैं। स्कूली बच्चों ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग करी है कि शीघ्र ही नदी पर पुल का निर्माण करा दें। जिससे हमें स्कूल जाने में अपनी जान जोखिम में ना डालना पड़े। सांची जनपद की ग्राम पंचायत गीदगढ़ के सरपंच प्रतिनिधि वृंदावन शर्मा ने 3 वर्ष पहले नदी पर दो लोहे के खंबे रखवा दिए थे। जिससे तीन गांव के सैकड़ों लोग निकलने लगे थे। लेकिन पुल के दोनों और निजी जमीन है। और इनके मालिक अपनी जमीन दे नहीं रहे हैं और तो और जमीन के मालिक बद्रीप्रसाद धाकड़ ने उन पर केस कर दिया। जो रायसेन न्यायालय में चल रहा है।

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