सुसनेर स्वास्थ्य विभाग में कोविड-19 सामग्री की खरीदी में महा घोटाला

सुसनेर, मध्य प्रदेश : मामला कोविड-19 से लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की गई सामग्री की खरीदी का।
स्वास्थ्य विभाग में कोविड19 सामग्री की खरीदी में लाखों का घोटाला
स्वास्थ्य विभाग में कोविड19 सामग्री की खरीदी में लाखों का घोटालाPriyanka Yadav - RE

हाइलाइट्स :

  • खुलासे से मचा हड़कम्प

  • लाखों का हो सकता है घोटाला

  • मामला दबाने के प्रयास हुए शुरू

सुसनेर, मध्य प्रदेश। जिला स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कोविड-19 से लड़ने के लिए खरीदी गई मास्क, सेनेटाइजर, पीपीई कीट सहित अन्य सामान की खरीदी में गड़बड़झाले का खुलासा हो जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और मामले को दबाने के प्रयास शुरू हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार इस खरीदी में ही लाखों का घोटाला हो सकता है। इस घोटाले में आगर के एक रसूखदार राजनेताओं से जूडे व्यक्ति का हाथ हो सकता है। अप्रेल 2020 में 19 लाख 60 हजार रूपये की खरीदी करके सामग्री को सुसनेर, सोयत, बडागांव और नलखेडा के स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजा गया था। इसके अलावा आगर जिलें की अन्य जगहों के अस्पतालों में भेजने के लिए भी 25 से 30 लाख रूपये की सामग्री स्वास्थ्य विभाग ने खरीदी है। इसमें एन 95 मास्क के नाम पर दूसरे मास्क महंगे दामों पर खरीदे गए इसके अलावा जो सेनेटाइजर खरीदा गया वह निर्धारित मापदंडो का है या नहीं। इस बात का भी परीक्षण नहीं किया गया। इस वजह से भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

इन बातों की जांच से खुल सकते हैं सारे राज :

महामारी से निपटने के उपायों के नाम पर की गई इस खरीदी में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ियों के लिए प्रशासन कुछ बातों की जांच कर लें तो सारी सच्चाई सामने आ सकती हैं। इतने बड़े पैमाने पर खरीदी के लिए कोटेशन कब आमंत्रित किए गए थे और किन-किन कम्पनियों ने अपने कोटेशन डाले थे। इतनी बड़ी खरीदी के लिए कौन-कौन से समाचार पत्रों में विज्ञिप्ति जारी की गई थी। जब उच्च गुणवत्तावाली कम्पनियों के सेनेटाइजर कम कीमत में बाजार में उपलब्ध थे तो फिर सब स्टेंडर्ड क्वालिटी का सेनेटाइजर बनाने वाली कम्पनी से मंहगे दामों पर सेनेटाइजर क्यों खरीदा गया। इसके अलावा मास्क खरीदने के लिए किन कम्पनियों से या मास्क का निर्माण कर उसे बाजार में बेचने वाले समूह से भाव की छानबीन की गई।

स्वास्थ्य विभाग के अलावा अन्य विभाग करे जांच :

अब इस पूरे मामले को दबाने में जुटे स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की कोशिश यही है कि मामले की जांच स्वास्थ्य विभाग के जिम्मे हो ताकि वे सारे मामले पर पर्दा डाल सके। जिला प्रशासन के जिम्मेदार अगर मामले की तह तक पहुंचना चाहते हैं, तो फिर स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर इस मामले की जांच अन्य विभाग से करवाए तभी सच्चाई सामने आ सकती है। अन्यथा न हीं सूत्रों के अनुसार खुलासे के बाद प्रशासन के जिम्मेदारों ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग से जवाब तलब किया है।

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