CAB को लेकर सिंधिया ने पहले किया समर्थन बाद में दी सफाई

भोपाल, मध्यप्रदेश : जहां देशभर में नागरिकता संशोधन बिल 2019 को लेकर लोगों और राजनीति गलियारे में हंगामा मचा है वहीँ प्रदेश के कांग्रेस नेता सिंधिया ने भी अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।
CAB को लेकर सिंधिया ने पहले किया समर्थन बाद में दी सफाई
CAB को लेकर सिंधिया ने पहले किया समर्थन बाद में दी सफाईSocial Media

राज एक्सप्रेस। देशभर में नागरिकता संसोधन बिल 2019 को लेकर हंगामा मचा हुआ है।राजनीति गलियारे समेत कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यह बिल लोकसभा में पास होने के बाद अब राज्यसभा में भी पास हो गया है, जिसे लेकर विपक्ष अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। इसी विषय पर कांग्रेस महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट करते हुए इस बिल को संविधान के विपरीत बताया।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि,

इस सम्बंध में कांग्रेस महासचिव सिंधिया ने पहले इस बिल को संविधान के विपरीत बताकर भारत की सभ्यता और वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा के समान होना बताया बाद में ट्वीट के जरिए सफाई देते हुए कहा कि, यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और भारतीय संस्कृति के विपरीत भी। उनका यह बयान चर्चा का विषय बन गया। दरअसल सिंधिया इंदौर में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। जहां उनके साथ स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट भी मौजूद थे।

इससे पहले भी दे चुके है विपक्ष के समर्थन में बयान :

इस बिल के संबंध में जहां यह कहा कि, हमारे संविधान के निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर ने संविधान लिखने के समय जात- पात के दृष्टिकोण से नहीं देखा था, वहीं करीब तीन हजार सालों से भारत माता की माटी ने सभी को अपनाया है। यह वासुदेव कुटुंबकम भारत की विशेषता रही है।

इस बयान से पहले जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने पर भी विपक्ष की मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर चुके है, लेकिन विपक्ष द्वारा बिल को लेकर विरोध किया जा रहा है।

आखिर क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक

नागरिकता संशोधन विधेयक में बांग्लादेश, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव है। मौजूदा क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है। इस विधेयक में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है।

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