कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम
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Sehore : कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम को CM ने वीसी के माध्यम से किया संबोधित और कहीं यह बातें...

सीहोर, मध्यप्रदेश। आज सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में आयोजित 'कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम' में सीएम ने कहा कि, हम धीरे-धीरे रासायनिक खेती को कम कर प्राकृतिक की तरफ बढ़ें।

सीहोर, मध्यप्रदेश। आज सीहोर जिले के नसरुल्लागंज में 'कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम' आयोजित किया गया है, इस कार्यक्रम को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया है।

सीहोर में आयोजित 'कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम' में सीएम द्वारा VC के माध्यम से संबोधन

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि, धरती का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ रहा है। हम जितनी मात्रा में रासायनिक खाद डाल रहे हैं। कीटों को मारने के लिए अलग-अलग दवाइयां डालते है उससे सिर्फ कीट नहीं मरते, वो फसल जब हम भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं तो उससे हमारी सेहत को नुकसान पहुंचता है, कैंसर जैसी घातक बीमारी को जन्म देता है। वहीं, केमिकल फर्टिलाइजर से धरती से मित्र कीट समाप्त हो रहे हैं। केंचुआ समाप्त हो रहे हैं। धरती का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। पंजाब में जाकर देखिए खेती की उर्वरा शक्ति समाप्त हो रही है। ये धरती केवल मनुष्यों के लिए नहीं है, पशु-पक्षी, कीट-पतंगे, जीव-जंतुओं के लिए भी है, केमिकल फर्टिलाइजर ने अनकों जीव-जंतु, कीट मित्रों को भी समाप्त कर दिया है।

मैं प्रधानमंत्री को विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने धरती बचाने का अभियान चलाया है। मिट्टी बचाओ, धरती बचाओं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीएम ने कहीं यह बातें...

◆ हमें धरती को आने वाली पीढ़ियों के लिए रहने देना है या नहीं। ये धरती केवल अपनी बपौती नहीं है। हमारे बच्चों, आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है। उनको क्या स्वस्थ और जिंदा रहने का अधिकार नहीं है

◆ हम धीरे-धीरे रासायनिक खेती को कम कर प्राकृतिक की तरफ बढ़ें।अद्भुत है प्राकृतिक खेती। पिछले दिनों गुजरात के राज्यपाल आचार्य मध्यप्रदेश प्रवास पर आए थे। उन्होंने प्राकृतिक खेती पर बहुत अच्छा मार्गदर्शन दिया

◆ मुझे बताते हुए खुशी है कि प्राकृतिक खेती से उत्पादन नहीं घटता। चाहे वो गेहूं हो, धान हो, फल हो या सब्जियां हो, वो पूरी तरह से दोष रहित होती है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर रहती है। स्वाद भी उनका अलग रहता है।

◆ प्राकृतिक खेती 21वीं सदी की खेती है। प्राकृतिक खेती मतलब केमेस्ट्री की लैब से निकलकर प्रकृति की लैब में ले जाने वाली खेती है

◆ प्राकृतिक खेती मतलब लागत कम, मुनाफा ज्यादा। रासायनिक खाद से उत्पादन तो खूब दिखता है, लेकिन जब किसान कर्ज चुकाता है तो खलियान खाली हो जाता है। अधिकांश पैसा खाद, पेस्टिसाइड में खर्च हो जाता है

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