कार्यपालन यंत्री पर लगे गंभीर आरोप, कहा- फर्जी है शिकायत

विद्युत विभाग किसी न किसी कारण सुर्खियों में बना हुआ है, रिश्वत काण्ड, फर्जी बिल और अब नया मामला, जिसमें पीड़ित पति ने अपने उत्पीड़न की शिकायत करते हुए कार्यपालन अभियंता पर सनसनीखेज आरोप लगाये हैं।
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हाइलाइट्स

  • शहडोल से छतरपुर स्थानांतरित होकर जा चुके हैं अशोक शुक्ला

  • बचाव में यंत्री ने कहा - करोड़ों के घोटाले की फाईल जल्द खोलूंगा

शहडोल, मध्यप्रदेश। विद्युत मण्डल कार्यालय शहडोल में कार्यपालन अभियंता के पद पर पूर्व में कार्यरत ए.के.शुक्ला के ऊपर महिला कर्मचारी के पति के द्वारा चरित्र को लेकर गंभीर आरोप लगाये गये हैं, आरोपों की प्रति मानवाधिकार आयोग भोपाल से लेकर कलेक्टर शहडोल सहित ऊर्जा विभाग के भोपाल, सागर व शहडोल कार्यालय में भी भेजी गई है, हालाकि वर्तमान में ए.के.शुक्ला शहडोल से स्थानांतरित होकर छतरपुर जा चुके हैं, लेकिन आरोप यह भी है कि पूर्व के संबंध अभी तक बरकरार हैं और छतरपुर से हर वीकेण्ड पर श्री शुक्ला शहडोल आते हैं, उनका मकान भी अभी भी वहीं पर है, जहां पूर्व में पदस्थापना के दौरान था। उसी स्थान पर कथित महिला का आवास भी है।

15 जून की है शिकायत :

शहडोल के मेला ग्राउण्ड बाणगंगा कालोनी में रहने वाले युवक ने मानवाधिकार सहित अन्य अधिकारियों को भेजी गई शिकायत में कार्यपालन अभियंता ए.के.शुक्ला से घर परिवार मुक्त कराये जाने हेतु विषय का उल्लेख किया है, दो पन्नों की शिकायत में श्री शुक्ला पर आरोप लगाये हैं कि उसने पद का दुरूपयोग करते हुए उसकी पत्नी को बहलाफुसालकर आधुनिक सुविधाएं दे दी, जिस कारण पूरा परिवार टूटने के कगार पर है, शिकायत में यह भी लिखा गया कि कथित अधिकारी के इस बर्ताव के कारण मैं मानसिक रूप से परेशान हो चुका है, परिवार में आये दिन इस बात को लेकर विवाद हो रहा है। अंत में यह भी लिखा कि ग्लानिवश मैं कभी भी आत्महत्या कर सकता हूँ, जिसका जिम्मेदार अशोक शुक्ला ही होगा।

फर्जी है पूरी शिकायत :

इस संबंध में जब अशोक शुक्ला से संपर्क किया गया तो, उन्होंने इस शिकायत को ही निराधार बताया, उन्होंने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता का पता नहीं है, वह करीब 6 महीने से गुजरात में है, मुझे इस शिकायत की जानकारी मिली है, यह फर्जी तरीके से करवाई गई है, श्री शुक्ला ने आरोपों का भी एकसिरे न सिर्फ खण्डन किया, बल्कि यह भी कहा कि मैंने खुद इस शिकायत के खिलाफ की हुई है, इस मामले में जांच भी चल रही है, जल्द ही सच सामने आयेगा। हालांकि चर्चा की शुरूआत में श्री शुक्ला ने कथित युवक को जानने से इंकार किया, लेकिन अंत में उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता लॉकडाउन के कारण 6 महीने से गुजरात में फंसा हुआ है। जिस मामले की मैं जांच कर रहा हूं, उसे दबाने व मुझे परेशान करने के लिए यह फर्जी शिकायत हुई है, उन्होंने यह भी बताया कि यह शिकायत संजय पटेल नामक युवक व धनपुरी के जेई इजराइल खान के द्वारा सिंहपुर स्थित विद्युत कार्यालय के कम्प्यूटर में टाइप हुई थी, जल्द ही पूरा खुलासा सायबर सेल करेगी।

शुक्ला ने खोली दर्जनों की कलई :

अशोक शुक्ला के खिलाफ हुई शिकायत के संदर्भ में तो उन्होंने अपना पक्ष रखा ही, साथ ही उन्होंने कहा कि जब वे शहडोल में थे, तब विद्युत विभाग में करीब 39 करोड़ का घोटाला हुआ है, काफी सामग्री बेचकर राशि खुर्द-बुर्द की गई, इस पूरे घोटाले में संजय पटेल नामक युवक के साथ मीना उइके, प्रीति मार्काे, बृहस्प सिंह मरावी, रजनीश पाण्डेय, निक्की धुर्वे, योगेश दयाल श्रीवास्तव, लक्ष्मी कांत पाण्डेय, कल्याण सिंह राम किशन पटेल, राम सखेन्द्र पाण्डेय, बागरी आदि शामिल हैं, यही नहीं श्री शुक्ला ने कहा कि इस पूरे मामले में के.के.अग्रवाल तक की मौन सहमति है, जो जांच के निष्कर्ष तक नहीं पहुंच रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि श्री अग्रवाल के माध्यम से ही प्रीति मार्काे का जबलपुर से व लक्ष्मीकांत पाण्डेय का गोहपारू से ट्रांसफर वापस शहडोल किया गया, यही नहीं उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर जो आरोप लगे थे, उनकी 6 स्थानों जगह से जांच हुई, जिसमें कलेक्टर, मजिस्ट्रेट, एसपी , आईजी, डीआई, एडशिनल एसपी, लोक अभियोजन अधिकारी आदि ने मुझे क्लीन चिट दी, पूर्व में लगे महिला उत्पी़ड़न व एसटीएससी के आरोप भी फर्जी निकले।

जांच से आयेगा सच सामने :

कार्यपालन अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे अधिकारी के ऊपर सनसनी खेज आरोप लगाना अपने आप में बड़ा मामला है, अशोक शुक्ला के ऊपर चरित्र को लेकर लगे आरोप कितने सही हैं, यह तो जांच के बाद सामने आयेगा, लेकिन यदि किसी भ्रष्टाचार के मामले को सामने न लाने के लिए यदि ऐसे अधिकारी पर दबाव बनाया जा रहा है तो, यह उससे भी संगीन मामला है, कार्यपालन अभियंता द्वारा जिस 39 करोड़ के भ्रष्टाचार की बात कही जा रही है, अन्य शिकायतों की तरह भ्रष्टाचार का यह जिन्न भी सामने आना चाहिए, इसके लिए कलेक्टर व कमिश्नर शहडोल सहित सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों की भी जिम्मेदारी बनती है कि किसी विभाग के अंदर छिड़ी इस लड़ाई का सच सबके सामने लाने के लिए प्रयास करें।

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