राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या बनी है समस्या का सबब, जेलों की स्थिति में सुधार के उद्देश्य से अनेक कदम उठाए गए हैं और सुरक्षा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि, एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक-देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की संख्या मुख्य समस्या बनती जा रही है। मध्यप्रदेश भी इस समस्या से अछूता नहीं है।
जेलों की स्थिति में सुधार के लिए अनेक कदम
सूत्रों ने कहा कि राज्य की एक वर्ष पुरानी सरकार ने शुरूआत में ही 10 नई जेल बनाने का निर्णय लिया है। इसके मुताबिक केन्द्रीय जेल इंदौर और उपजेल गाडरवारा, कुक्षी तथा मैहर एवं खुली जेल रीवा सहित जिला जेल बैतूल, रतलाम, राजगढ़, मुरैना और मन्दसौर में नई जेल बनाई जा रही हैं। राज्य सरकार ने जेलों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग संबंधी आधुनिक उपकरण लगवाये हैं।
अब जेल से ही कैदी कोर्ट रूम में हाजरी लगाकर अपना पक्ष रख सकेंगे। इस व्यवस्था से कैदियों को अदालत तक ले जाने और लाने का खर्चा बचेगा और उनकी सुरक्षा की चिन्ता से भी मुक्ति मिलेगी। राज्य सरकार ने छिन्दवाड़ा जिला मुख्यालय में नये जेल कॉम्पलेक्स (संकुल) के निर्माण के लिए लगभग 225 करोड़ रुपए भी मंजूर किए हैं। इससे प्रदेश में पहली बार एक ही संकुल में केन्द्रीय जेल, जिला जेल तथा खुली कॉलोनी तैयार की जाएगी। इंदौर में नयी केन्द्रीय जेल के निर्माण की भी सैद्धांतिक सहमति हो गई है। शिवपुरी जेल बनना शुरू हो गयी है और भिंड जेल का कार्य प्रगति पर है।
केन्द्रीय जेल भोपाल में दस माह पहले ही खुली जेल शुरू हो गयी है। केन्द्रीय जेल नरसिंहपुर परिसर में 20 बंदियों के लिये खुली जेल के निर्माण के लिए सवा 2 करोड़ रुपयों से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है। जेलों की व्यवस्थाओं में सुधार के लिए प्रहरियों के आधारभूत प्रशिक्षण पर भी जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें बेहतर बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया करायी जा रही हैं।
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