सरकारी वन क्षेत्रों में वृक्ष लगाने के दावों की खुली पोल
हाईलाइट्स :
तेजी से उमरिया में घटा जंगल का दायरा
वन वृत्त के शहडोल-अनूपपुर में बढ़ी हरियाली
केन्द्र की रिपोर्ट में प्रदेश के 25 जिलों के हालात चिंता जनक
2 सालों में देखने को मिला फारेस्ट एरिया में बड़ा परिवर्तन
सरकारी वन क्षेत्रों में वृक्ष लगाने के दावों की खुली पोल
राज एक्सप्रेस। भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा दिसम्बर 2019 तक के लिए जारी की गई, इंडिया स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) के मुताबिक सरकारी रिकार्ड में वन क्षेत्रों में प्रदेश के जिलों में 2017 में जारी हुई रिपोर्ट में भारी गिरावट देखने को मिली है, 25 जिलों में फारेस्ट कवर एरिया कई वर्ग किलोमीटर कम हुआ है। महज 2 वर्षों में ही बड़ी गिरावट देखने को मिली, जो कि चिंताजनक है। वन क्षेत्र का दायरा कम होने से प्रदेश के वातावरण में भी परिवर्तन मौजूदा समय में देखने को मिल रहा है, जलवायु परिवर्तन उनमें से एक अहम कारण सामने आ रहा है। वन वृत्त शहडोल के दायरे में आने वाले उमरिया में फारेस्ट कवर एरिया में भारी गिरावट देखने को मिली। जबकि शहडोल और अनूपपुर जिले में फारेस्ट कवर का दायरा बढ़ा हुआ है।
उमरिया में घटे पेड़
बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अलावा जिले में सघन वन क्षेत्र है, जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4076 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 378.31 वर्ग किलोमीटर में घना जंगल, 1096.22 क्षेत्र में कम घना जंगल, 548.05 क्षेत्र में खुला जंगल है। 2017 में जारी हुई रिपोर्ट की अपेक्षा 2019 में आई रिपोर्ट में जिले में 9.42 वर्ग किलोमीटर फारेस्ट कवर एरिया कम हुआ है, जो कि चिंता जनक है। रिपोर्ट ने सरकारी दावों के पौध रोपण और सुरक्षा के सारे दावों की पोल खोलकर सामने रख दी।
अनूपपुर-शहडोल में बढ़ा घनत्व
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अनूपपुर और शहडोल में फारेस्ट कवर बढ़ा है, अनूपपुर का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3747 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 108.97 वर्ग किलोमीटर में घना जंगल, 345.30 वर्ग किलोमीटर में कम घना जंगल, 414.41 वर्ग किलोमीटर में खुला जंगल है। 2017 के मुकाबले अनूपपुर में 2019 में 21.51 वर्ग किलोमीटर का कवर बढ़ा है, शहडोल का भौगोलिक क्षेत्रफल 6205 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें 122 वर्ग किलोमीटर घना जंगल, 820.54 कम घना जंगल, 1028.17 वर्ग किलोमीटर खुला जंगल, ताजा रिपोर्ट में फारेस्ट कवर एरिया शहडोल में 48.71 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है।
चिंता जनक स्थिति में 25 जिले
2019 में जारी रिपोर्ट में प्रदेश के 25 जिलों में 2 वर्षों के अंतराल में फारेस्ट कवर एरिया में भारी गिरावट देखने को मिली है, जो कि काफी चिंताजनक है और आने वाले समय के लिए घातक भी है। अशोक नगर में 10.96, बालाघाट में 1.94, बडवानी में 6.01, भिण्ड में 1.25, भोपाल 25.33, बुरहानपुर में 14.44, दमोह में 6.82, धार में 34.75, गुना में 22.26, हरदा में 51.74, होशंगाबाद में 11.35, इन्दौर में 0.27, जबलपुर में 25.07, झाबुआ में 7.33, खरगौन में 2.94, मंदसौर मे 2.41, मुरैना में 1.83, रायसेन में 0.74, सागर में 19.46, सिहोर में 46.10, सिवनी में 33.41, शिवपुर में 26.00, सिंगरौली में 8.87, टीकमगढ़ में 16.36, उमरिया में 9.42 और विदिशा में 25.54 वर्ग किलोमीटर के दायरे में वन का घनत्व कम हुआ है।
खनन, सड़क निर्माण व पेड़ कटाई
फारेस्ट कवर एरिया के दो वर्ष में घनत्व कम होने के पीछे का कारण खनन गतिविधियों की बेइंतहाशा प्रतिबंधित क्षेत्रों में बढ़ोत्तरी, सड़क निर्माण के लिए काटे गये पेड़ और जंगलों में अवैध कटाई अहम कारण है। सरकार ने भले ही वन क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए पौध रोपण कर करोड़ों रूपये खर्च किये, लेकिन उमरिया सहित प्रदेश के अन्य जिलो में इसका असर दिखाई नहीं दिया। फारेस्ट कवर के रूप में चिन्हित जंगल की जमीन में पेड़ों की मौजूदगी नहीं है। सुरक्षा के नाम पर भी करोड़ों रूपये वन विभाग को आवंटित किया जाता है, बावजूद इसके भारी भरकम महकमें वाले वन विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही पर्यावरण के लिए घातक साबित होती नजर आ रही है। जानकारों का कहना है कि, अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में हालात और भी बदतर हो सकते हैं। सरकारों को इस मामले में अभी से चिंतन करने की जरूरत है।
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