शहडोल : पंजीयन कार्यालय में दलालों का डेरा

शहडोल, मध्य प्रदेश : रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री या एग्रीमेंट कराना तो दूर, बिना रिश्वत यहां जानकारी तक नहीं मिलती।
पंजीयन कार्यालय में दलालों का डेरा
पंजीयन कार्यालय में दलालों का डेराAfsar Khan

हाइलाइट्स :

  • रिश्वत के लिये बना रखा है कोर्ड वर्ड

  • कोरोना काल में भी भूमि स्वामियों की काट रहे जेब

शहडोल, मध्य प्रदेश। रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्री या एग्रीमेंट कराना तो दूर, बिना रिश्वत यहां जानकारी तक नहीं मिलती। काम से लेकर जानकारी देने तक के बदले यहां तैनात बाबू या चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अच्छी खासी रिश्वत की मांग करते हैं। लिहाजा रजिस्ट्री, एग्रीमेंट या पावर ऑफ एटार्नी जैसे काम बिना जेब ढीली किए नहीं हो सकते। यहां दफ्तर की सीढिय़ों पर दलालों का कब्जा है। अंदर का हाल और भी बेहाल है, लोगों की जानकारी के अभाव का जमकर फायदा उठाया जाता है।

बच सकते हैं स्टांप ड्यूटी से :

कलेक्टर गाइड लाइन में यदि जमीन की कीमत ज्यादा हो तो आप दलालों से मशविरा लेकर बड़ी स्टांप ड्यूटी देने से बच सकते हैं। सूत्रों की मानें तो इसके लिए आपको दलालों से मिलकर रजिस्ट्री करने वाले साहब की जेब का वजन बढ़ाना होगा। ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन क्रेता और विक्रेता अपने-अपने फायदे के लिए दलालों के हाथों लुटने को मजबूर हो जाते हैं।

बिना फीस नहीं सरकती फाइल :

अंदर कुछ क्लर्को ने भी फीस फिक्स कर रखी है, बिना फीस लिए फाइल आगे नहीं सरकाई जाती है। बिल्कुल साफ दिखता है कि कुर्सी दर कुर्सी माया की बोली समझती है। इस चक्कर में ईमानदार बाबू भी बदनामी का टीका लगवा रहे हैं। अंदर की सेटिंग बाहर की जाती है, रजिस्ट्री करवाने वाला व्यक्ति अगर हां कर देता है तो रजिस्ट्री लिखने के बाद कोड वर्ड में समझा दिया जाता है, फिर कहीं पर अड़चन हीं आती है। रिश्वत की पेमेंट होने के साथ ही रजिस्ट्री दे दी जाती है।

भ्रष्टाचार हो सकता है बेनकाब :

जी हां, यह कड़वी सच्चाई है कि रजिस्ट्री करवाने पर कमीशन देना पड़ता है। कमीशन की सेटिंग न होने तक रजिस्ट्री भी नहीं लिखी जाती है। सूत्रों का कहना है कि सोहागपुर तहसील के रजिस्ट्रार कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना है, जहां पर बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता है। हालांकि जिला प्रशासन के कुछ आला अधिकारियों को भी इस गंदे खेल के बारे में सब कुछ पता है, मगर वह भी स्वार्थ के चक्कर में आंखों में पट्टी बांधकर बैठे हैं। विभागीय के आला अधिकारी गुप्त तरीके से जांच करें तो फैले भ्रष्टाचार को बेनकाब किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार हो सकता है बेनकाब :

जी हां, यह कड़वी सच्चाई है कि रजिस्ट्री करवाने पर कमीशन देना पड़ता है। कमीशन की सेटिंग न होने तक रजिस्ट्री भी नहीं लिखी जाती है। सूत्रों का कहना है कि सोहागपुर तहसील के रजिस्ट्रार कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना है, जहां पर बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता है। हालांकि जिला प्रशासन के कुछ आला अधिकारियों को भी इस गंदे खेल के बारे में सब कुछ पता है, मगर वह भी स्वार्थ के चक्कर में आंखों में पट्टी बांधकर बैठे हैं। विभागीय के आला अधिकारी गुप्त तरीके से जांच करें तो फैले भ्रष्टाचार को बेनकाब किया जा सकता है।

इनका कहना है :

मामला संज्ञान में आने के बाद एक जांच टीम का गठन किया गया है, मंगलवार को उसका अनुमोदन करने के बाद सभी वेंडरों की लायसेंस की जांच की जायेगी, रिपोर्ट मिलने पर कार्यवाही भी प्रस्तावित होगी।

डॉ.सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर, शहडोल

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