शहडोल : शहडोल से रसमोहनी पहुंचते लोहा बन गया सीमेंट

शहडोल, मध्य प्रदेश : विद्युत विभाग द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से विभिन्न ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कराये जाने वाले कार्याे में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।
शहडोल से रसमोहनी पहुंचते लोहा बन गया सीमेंट
शहडोल से रसमोहनी पहुंचते लोहा बन गया सीमेंटAfsar Khan

हाइलाइट्स :

  • ऊर्जा विभाग से अनुदान के साथ व्यापारी की भी काटी जेब

  • नौकरी कालरी की, ठेका एमपीईबी का

  • एसटीसी के स्टोर से ज्यादा ठेकेदार के स्टोर में है विभाग का माल

शहडोल, मध्य प्रदेश। विद्युत विभाग आये दिन किसी न किसी मामले को लेकर चर्चाओं में बना रहता है, अघोषित कटौती के बाद मनमाने बिल और फिर बिल कम कराने वाले गिरोह के कारण बीते माहों में विभाग ने खूब सुर्खियां बटोरीं, हांलाकि बुढ़ार स्थित कार्यालय के साथ अनूपपुर व अन्य कार्यालयों में हुए फर्जी बिलों और उनकी वसूली के महाघोटाला अभी नतीजे तक नहीं पहुंचा। वहीं विभाग द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से विभिन्न ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कराये जाने वाले कार्याे में एक बड़ी गड़बड़ी सामने आई है, हालांकि जानकारों का दावा है कि कथित ठेकेदार और उसके द्वारा की गई, मनमानी तो महज एक बानगी है। इस गड़बड़झाले के तार पकड़कर यदि ईमानदारी से जांच की जाये तो सैकड़ों घोटाले और करोड़ों का गड़बड़झाला सामने आ सकता है।

यह है मामला :

मध्यप्रदेश विद्युत वितरण लिमिटेड कंपनी के द्वारा विभिन्न उपभोक्ताओं की मांग पर उनसे शुल्क जमा कराने के बाद लंबी दूरी में दिये जाने वाले व्यवसायिक व घरेलू कनेक्शनों की प्रक्रिया की जाती है। जिले के रसमोहनी क्षेत्र के सतेन्द्र सोनी ने नामक कारोबारी के द्वारा राईस मिल की स्थापना के लिए विभाग में शुल्क सहित आवेदन किया गया। जिसके बाद यह काम ऑन रिकार्ड श्याम किशोर मिश्रा और ऑफ रिकार्ड संजय मिश्रा-कमल मिश्रा को मिला। विभाग के शहडोल स्थित एसटीसी स्टोर से इंचार्ज भोला प्रसाद पटेल के द्वारा स्टीमेट के अनुसार दो एचबीम (लोहे के पोल) तथा अन्य सामग्री ठेकेदार को दे दी गई, लेकिन जब रसमोहनी में ठेकेदार ने काम पूरा किया तो, वहां एचबीम की जगह सीमेंट की कांक्रीट वाले पोल खड़े कर दिये गये। दोनों ही खम्बो में लगभग 20 गुनी राशि का फर्क है।

यह थी शासन की योजना :

प्रदेश और केन्द्र सरकार के द्वारा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए स्माल-स्केल इंडस्ट्री अर्थात एसएएमसी योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में राईस मिल और ऐसे ही अन्य लघु उद्योगों के लिए अनुदान की योजना बनाई गई है, जिसमें विद्युत कनेक्शन और सिक्योरिटी के नाम पर न्यूनतम लगभग 5-5 हजार रूपये उपभोक्ता से जमा कराये जाने थे, बाकी का खर्च ऊर्जा विभाग की ओर से मिलने वाले अनुदान से पूरा होना था। सतेन्द्र सोनी के मामले में भी संभवत: इतनी ही राशि विभाग में जमा होनी थी, जबकि दो किश्तों में उपभोक्ता से तात्कालीन जेई क्षीरसागर पटेल ने 1 लाख 20 हजार व 20 हजार रूपये लिए। यदि विभाग के द्वारा इस योजना में सतेन्द्र सोनी के मामले को शामिल भी नही किया जाता तो, अधिकतम 50 हार्स पावर की राईस मिल के लिए अधिकतम 50 हजार रूपये का शुल्क लगना चाहिए था।

इस तरह होती है राशि तय :

विद्युत विभाग के पास जब किसी उपभोक्ता से विद्युत पोल और कनेक्शन के लिए गुजारिश की जाती है तो, उसका आवेदन उस क्षेत्र के जेई अर्थात कनिष्ठ अभियंता कार्यालय में लिया जाता है, जिसे अभियंता उस क्षेत्र के लाईन मैन को सर्वे के लिए देता है, लाईन मैन द्वारा सर्वे के बाद कनेक्शन में कितने सामान की आवश्यकता होती है, उसकी सूची बनाकर अभियंता को दी जाती है, अभियंता एस्टीमेट तैयार कर उसे ऑन लाईन विभाग की साईट में अपलोड करता है, जो एई और फिर ई के पास पहुंचती है। डी या ई के द्वारा इस पर स्वीकृति की मोहर लगाई जाती है, यदि विद्युत कनेक्शन में आने वाला खर्च 10 लाख से अधिक का है तो, मामला एसई तक जाता है। इस प्रक्रिया से यह साफ होता है कि इस मामले में कौन कहां-कहां तक कितना शामिल है।

जानिए संजय के रसूख को :

इस संबंध में सूत्रों पर यकीन करें तो, कोल इंडिया के एसईसीएल अंतर्गत जमुना-कोतमा क्षेत्र की झिरिया कॉलरी में संजय मिश्रा कार्यरत है। श्री मिश्रा स्थानीय कोल माईंस के अधिकारियों से सांठ-गांठ कर वहां सिर्फ हाजरी लगाने जाते हैं। बाकी अपने रिश्तेदार श्याम किशोर मिश्रा के नाम पर बी-क्लास की ठेकेदारी का लायसेंस लेकर विद्युत मण्डल में अर्से से यह कार्य कर रहे हैं। जमुना-कोतमा क्षेत्र में तथाकथित ठेकेदार के द्वारा बनाये गये खुद के गोदामों की अगर जांच कराई जाये तो, विद्युत मण्डल के स्टोर से रिलीज हुई सैकड़ों टन तारें, खम्भे व अन्य सामग्री मिल जायेगी।

उपभोक्ता से लिए 1 लाख 40 हजार :

रसमोहनी में सतेन्द्र सोनी नामक जिस उपभोक्ता के यहां लोहे की जगह सीमेंट की खम्भे लगा दिये गये, उसके द्वारा बताया गया कि इसके लिए उसने विद्युत विभाग को 1 लाख 40 हजार रूपये दिये, अलबत्ता उन्हें जमा किये गये शुल्क की कोई रसीद नहीं दी गई, बल्कि दूसरी तरफ काम कर दिया गया। श्री सोनी ने यह भी बताया कि उनके द्वारा 1 लाख 20 हजार रूपये कनिष्ठ अभियंता कार्यालय मे दिये थे और बाकी के 20 हजार रूपये शहडोल स्थित कार्यालय में ठेकेदार कमल किशोर मिश्रा को नगद दिये थे, स्टीमेट में यह जानकारी थी कि लोहे के खम्भे लगने हैं, लेकिन कांक्रीट वाले खम्भे लगाये हैं।

इनका कहना है :

मैंने क्षीरसागर पटेल को 1 लाख 20 हजार स्थानीय कार्यालय में व उसके कहने पर ठेकेदार कमल किशोर को शहडोल कार्यालय में 20 हजार दिये थे, मैंने विद्युत पोल के संदर्भ में कहा तो, मुझे ठेकेदार से संपर्क करने के लिए कहा गया।

सतेन्द्र सोनी, उपभोक्ता, संचालक राईस मिल

एस्टीमेट में सीमेंट वाले कांक्रीट के पोल का ही उल्लेख है, आप चाहे तो जानकारी ले सकते हैं, बाकी योजना की जानकारी मुझे नहीं।

संजय मिश्रा, कालरी कर्मचारी/ ठेकेदार

विभाग में दर्जनों एस्टीमेट रहते हैं, योजना और एस्टीमेट की वस्तु स्थिति मैं सोमवार को कार्यालय में देखकर ही बता पाऊंगा।

भोला प्रसाद पटेल, स्टोर इंचार्ज, एसटीसी, शहडोल

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