शहडोल: जोहिला क्षेत्र की कोयला खदाने अवैध रूप से हो रहीं संचालित

शहडोल, मध्यप्रदेश : जल एवं वायु सम्मति समाप्त होने के बावजूद बंद नहीं की ईटीपी पीसीबी ने कलेक्टर को रोक लगाने भेजा पत्र।
कोयला खदाने
कोयला खदानेAfsar Khan

राज एक्सप्रेस। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालय शहडोल के आर.ओ. संजीव कुमार मेहरा ने कलेक्टर उमरिया को पत्र लिखकर जोहिला क्षेत्र की तीन खदानों को खनिज विभाग के द्वारा जल एवं वायु अधिनियम के तहत जारी सम्मति की अवधि समाप्त हो जाने के बावजूद खदानों के संचालन होने पर खनिज विभाग के द्वारा ईटीपी बंद न करने के खिलाफ कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।

नियमों के तहत जल एवं वायु अधिनियम की धाराओं के तहत औद्योगिक संस्थानों को सम्मति जारी होती है, अवधि समाप्त होने से पहले रिन्यूवल कराना अनिवार्य होता है, कई माह बीत चुके हैं, लेकिन खदानों का संचालन किया जा रहा है, खनिज विभाग को रेत के अलावा कुछ और दिखाई नहीं देता। जिसका नतीजा है कि केन्द्र और राज्य सरकार के कायदे कोल प्रबंधन और खनिज विभाग रौंद रहा है।

ये हैं तीन अवैध कोयला खदान

एसईसीएल जोहिला क्षेत्र के दायरे में आने वाली विंध्या, कंचन और पिनौरा कोयला खदानों की जल एवं वायु अधिनियम के तहत जारी की गई सम्मति कई माह पहले समाप्त हो चुकी है, जबकि अवधि समाप्त होने से पहले ही पीसीबी के माध्यम से रिन्यूवल के लिए आवेदन करना अनिवार्य होता है। जल एवं वायु अधिनियम की सम्मति समाप्त हो जाने पर अगर खदान का संचालन हो रहा है तो वह अवैध माना जाता है। लंबे अर्से से यह खदानें अवैध रूप से संचालित हो रही हैं, जबकि खनिज विभाग को इन खदानों की ईटीपी पर रोक लगा देनी चाहिए थी।

विभाग ने तोड़े कायदे

कोयले के खदानों के संचालन का अधिकार भले ही कोल इंडिया की मिनी रत्न कंपनी एसईसीएल के पास है, जोहिला क्षेत्र इन खदानों को संचालित करा रहा है, लेकिन इलेक्ट्रानिक ट्रांजिट पास जारी करना और राज्य सरकार को रॉयल्टी खनिज विभाग के माध्यम से प्राप्त होती है। अगर जल एवं वायु अधिनियम की सम्मति समाप्त हो चुकी थी तो, खनिज विभाग को तत्काल प्रभाव से ईटीपी पर रोक लगा देनी थी, ऐसा न करके विभाग ने केन्द्र और राज्य सरकार के नियम को तोड़ा, कानून के उल्लंघन का दोषी जितना एसईसीएल प्रबंधन है, उतना ही खनिज विभाग भी है, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धाराओं के तहत अगर कार्यवाही हुई तो सभी पर गाज गिर सकती है।

उद्योग ने फिजा में घोला जहर

जोहिला क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कोयले खदानों और कोयले के स्टॉक यार्ड के हाल इतने बुरे हैं कि यहां पर जल, वायु, ध्वनि प्रदूषण बड़े पैमाने पर हो रहा है। इतना ही नहीं दूषित जल उपचार के प्रबंधन की भी कोई व्यवस्था कोल प्रबंधन के द्वारा अपनी कोयला खदानों और कोयला यार्डाे में नहीं की गई है। कोल यार्डाे में स्प्रिंकलर के साथ ही बाऊंड्रीवाल का भी निर्माण आवश्यक है, ताकि वायु प्रदूषण न बढ़े, लेकिन कालरी के अधिकारियों ने इस मामले मे भी कोई कारगर कदम नहीं उठाये। पूरा क्षेत्र प्रदूषण की भीषण चपेट में हैं।

ऐसे खुली पोल

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा कई बार एसईसीएल के अधिकारियों को पत्राचार किया गया, लेकिन गंभीरता बरतने के बजाय वह लापरवाह ही होते गये, उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत अगर कोई उद्योग पीसीबी से जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 एवं वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत वैध सम्मति के बगैर संचालित हो रहा है तो, वह अवैध है।

ईटीपी भी जारी नहीं होनी चाहिए, खनिज विभाग ने उच्च न्यायालय के आदेशों के साथ ही जल, वायु व पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन किया, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आखिरकार कलेक्टर को खदानों के लिए जारी ईटीपी पर रोक लगाने के लिए पत्र भेजना पड़ा, अगर समय रहते कोल प्रबंधन और खनिज विभाग के अधिकारी ध्यान दे देते तो, अधिनियम की धाराओं का उल्लंघन नहीं होता और पर्यावरण के प्रति भी बेहतर कार्य करने पर सम्मति भी जारी हो जाती।

एनजीटी के आदेश ठण्डे बस्ते में

पीसीबी के अधिकारियों के अनुसार कालरी प्रबंधन के द्वारा जल एवं वायु अधिनियम के तहत जारी होने वाली सम्मति के रिन्यूवल के लिए आवेदन किया जरूर है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था न होने के चलते प्रक्रिया विचाराधीन है। क्योंकि केन्द्र और राज्य सरकार के सख्त आदेश होने के साथ ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के द्वारा निर्देश जारी किए गये हैं कि बगैर प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था स्थापित किए बगैर उद्योगों को सम्मति जारी नहीं हो सकती, बल्कि इनके खिलाफ सख्त कार्यवाही के प्रावधान भी है, जोहिला क्षेत्र में अव्यवस्था पूरी तरीके से हावी है, जिसके चलते यह नौबत बन चुकी है।

कई बार प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था दुरूस्त करने के लिए पत्र लिखा गया, तीनों खदानों का कंसेंट समाप्त हो चुका है, रिन्यूवल प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था न होने के चलते जारी नहीं हो रहा है, खनिज विभाग के द्वारा ईटीपी पर रोक नहीं लगाई गई है, जिसके लिए पत्र जारी किया गया है, अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो, प्रावधानों के तहत सख्त कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी।

संजीव कुमार मेहरा क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल

पत्र अभी मिला नहीं है, अगर ऐसा है तो सोमवार कार्यालयीन समय में दस्तावेज देखने के बाद आवश्यक कार्यवाही की जायेगी।

श्रीमान सिंह बघेल सहायक खनिज अधिकारी उमरिया

मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है कि इन खदानों का कंसेंट समाप्त हो चुका है।

एस.एन. कापरी महाप्रबंधक जोहिला क्षेत्र

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