शहडोल : 32 साल पुराने लंबित मामले पर न्यायालय का फैसला

शहडोल, मध्यप्रदेश : कलेक्टर का फर्जी हस्ताक्षर कर स्वयं का टीए बिल आहरित करने वाली महिला अधिकारी को तीन वर्ष का कारावास।
32 साल पुराने लंबित मामले
32 साल पुराने लंबित मामलेAfsar Khan

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में 32 साल पुराने लंबित गबन और फर्जीवाड़े के मामले पर जबलपुर न्यायालय ने आरोपी महिला अधिकारी को अपने पूर्व में पारित निर्णय 07 मई 2013 में भादावी की धारा 409 के अधीन 3 वर्ष के सश्रम कारावास की पुष्टि करते हुए 467, 468 धाराओं के अधीन अपराध का भी दोषी मानते हुए 1-1 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड और 06-06 माह के सश्रम कारावास एवं 10-10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है। शासन की ओर से विश्वजीत पटेल जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने पैरवी की।

क्या था मामला :

जानकारी के मुताबिक, गत 10 अप्रैल 1987 को तत्कालीन कलेक्टर द्वारा आरक्षी केंन्द्र शहडोल में लिखित शिकायत की थी, कि आरोपी आरती अंबर द्वारा तत्कालीन परियोजना अधिकारी डोकरा जिला ग्रामीण विकास अधिकरण शहडोल के पद पदस्थ रहते हुये गंभीर अनियमित्ताएं की गई , शासकीय राशि का गबन एवं पांच भुगतान वाउचरों में हेराफेरी करते हुए कैश बुक में अधिक धन राशि डालकर, धनराशि को स्वंय प्राप्त किया गया तथा जिले के 8 विकासखंड के 57 महिला संगठनों से शिकायतकर्ता अधिकारी को धोखा दिया और उनके साथ संयुक्त बैंक खाते खोलकर उनके चैक पर हस्ताक्षर कराकर 1,45,767 रुपये आहरण किया।

निचली अदालत ने दी थी राहत:

शिकायत के आधार पर थाना कोतवाली में आरोपी आरती अंबर के विरूद्ध धारा 420,409, 467, 468 भादवि के तहत अपराध पंजीबद्ध कर वाद विवेचना की गई, आरोपी आरती अम्बर के विरूद्ध राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो द्वारा धारा 409, 467,468 भादवि का अभियोग पत्र न्यायालय पेश किया गया। विचार उपरांत अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपने पारित निर्णय 07 मई 2013 में धारा 409 भादवि में अपराध प्रमाणित पाये जाने पर अभियुक्ता को 03 वर्ष का कारावास एवं दस हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया था भादवि की धारा 467,468 का अपराध प्रमाणित न पाये जाने पर दोषमुक्त किया गया था।

शासन की अपील पर फैसला

अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित धारा 467,468 भादवि में दोषमुक्ति के निर्णय के विरूद्ध शासन की ओर से अभियोजन द्वारा सत्र न्यायालय शहडोल के समक्ष अपील प्रस्तुत की गई। अपील को न्यायालय द्वारा स्वीकार करते हुये अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया है।

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