शहडोल : राजनीति का अखाड़ा बना सरकारी जिला चिकित्सालय

शहडोल, मध्य प्रदेश : 23 दिनों में 26 बच्चों की सिलसिलेवार मौत के बावजूद शहडोल का सरकारी जिला चिकित्सालय सिविल सर्जन को हटाने की मांग को लेकर राजनीति का अखाड़ा बन चुका है।
राजनीति का अखाड़ा बना सरकारी जिला चिकित्सालय
राजनीति का अखाड़ा बना सरकारी जिला चिकित्सालयSocial Media

शहडोल, मध्य प्रदेश। 23 दिनों में 26 बच्चों की सिलसिलेवार मौत के बावजूद शहडोल का सरकारी जिला चिकित्सालय सिविल सर्जन को हटाने की मांग को लेकर राजनीति का अखाड़ा बन चुका है। विरोध प्रदर्शन कर रहे चिकित्सक अड़े हुए हैं, उनकी सिर्फ एक ही मांग है, सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार को हटाया जाये। सिविल सर्जन की नियुक्ति प्रदेश की सरकार ने किया है, चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों को भारी परेशानी हो रही है।

प्रदेश शासन द्वारा जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन के पद पर जब से दंत चिकित्सक डॉ. जी.एस. परिहार की नियुक्ति की गई है, तब से जिला चिकित्सालय के अधिकांश चिकित्सक विरोध प्रदर्शन करते हुए हड़ताल पर चले गये हैं। 23 दिनों में 26 बच्चों की एक के बाद एक हुई मौत से जहां एक ओर मरीज एवं उनके परिजन अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर चिंतित नजर आते हैं। वहीं दूसरी ओर अस्पताल की व्यवस्था सुधरने की बजाय और ज्यादा खराब होती नजर आ रही है। चिकित्सकों की हड़ताल की वजह से मरीजों को भारी परेशानी हो रही है, न तो भर्ती मरीजों का इलाज उचित तरीके से हो पा रहा है और न ही ओपीडी में आने वाले मरीजों की उचित जांच हो पा रही है।

सिविल सर्जन कैसे हुए पदमुक्त :

पूरे संभाग में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शहडोल जिला चिकित्सालय का नाम आता है, जहां शहडोल जिला ही नहीं, अपितु उमरिया, अनूपपुर एवं छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिलों से मरीज बड़ी संख्या में प्रतिदिन आकर अपना इलाज कराते हैं। 23 दिनों में एसएनसीयू में भर्ती 26 बच्चों की सिलसिलेवार मौत के बाद शहडोल से लेकर भोपाल तक मामला गरम हो गया था, जिसके चलते मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी को शहडोल पहुंचकर स्थिति का जायजा लेना पड़ा, इतना ही नहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश पाण्डेय एवं सिविल सर्जन डॉ. विक्रम बारिया को पदमुक्त कर दिया गया।

कमिश्नर-कलेक्टर का प्रयास विफल :

सिविल सर्जन डॉ. परिहार की नियुक्ति का विरोध कर रहे चिकित्सकों को समझाईश देने एवं मनाने के लिए कमिश्नर नरेश पाल एवं कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह को जिला चिकित्सालय पहुंचकर बैठक लेना पड़ी और तमाम प्रयास कलेक्टर, कमिश्नर द्वारा किये गये, परन्तु उनका यह प्रयास विफल हो गया और हड़ताली चिकित्सक लगातार सिविल सर्जन डॉ. परिहार को हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

आश्वसन पर तीन दिन का समय :

विरोध प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों ने 18 दिसम्बर को अल्टीमेटम दिया था कि 24 घंटे के अंदर यदि उनकी मांग नहीं मानी गई तो, वे सामूहिक रूप से इस्तीफा दे देंगे, परन्तु 19 दिसम्बर को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मेघ सिंह सागर के इस आश्वासन पर कि शासन को निर्णय लेने का समय दिया जाये, कम से कम तीन दिन की प्रतिक्षा और करें, तब अंतिम निर्णय करें। सीएमएचओ के इस आश्वासन पर हड़ताली चिकित्सकों ने तीन दिन तक और इमरजेंसी ड्यूटी करते रहकर हड़ताल जारी रखने की बात कही है।

इनका कहना है :

मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों के सहयोग से ओपीडी में आने वाले मरीजों एवं अस्पताल में भर्ती मरीजों की चिकित्सा हो रही है। जो भी निर्णय लेना है, वह शासन को लेना है।

डॉ. जी.एस. परिहार, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय, शहडोल

सिविल सर्जन को हटाने का अधिकार शासन के पास हैं। चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन एवं मांग के संबंध में शासन स्तर पर विचार-विमर्श चल रहा है। हड़ताली डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी, जिन्हें मैनें समझाईश देकर कहा है कि तीन दिनों का समय शासन को और दिया जाये, इस पर वह मान गये हैं।

डॉ. मेघ सिंह सागर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, शहडोल

मैंने सीएमएचओ को इस संबंध में आवश्यक निर्देश दे दिये हैं और सीएमएचओ की समझाईश पर हड़ताल कर रहे डॉक्टर काम पर वापस आ गये हैं।

डॉ. सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर, शहडोल

विरोध प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों का ज्ञापन शासन को प्रेषित कर दिया गया है, इस संबंध में कलेक्टर समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।

नरेश पाल, कमिश्नर, शहडोल

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