इन्द्र के जाल में फंसी आधा दर्जन से अधिक पंचायत
इन्द्र के जाल में फंसी आधा दर्जन से अधिक पंचायतRaj Express

Shahdol : इन्द्र के जाल में फंसी आधा दर्जन से अधिक पंचायत

शहडोल, मध्यप्रदेश : रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने के बाद 36 लाख का हुआ भुगतान। वाणिज्य कर विभाग सहित जनपद ने नहीं दिया ध्यान। वेण्डर, सचिव सहित सरपंच ने शासकीय राशि से खेली होली।
Summary

ऑनलाइन सिस्टम में भी पंचायत कर्मियों द्वारा वेण्डर के साथ गोलमाल कर विकास के लिए आई राशि दबा ली गई है। वेण्डर द्वारा रजिस्ट्रेशन कैंसिल होने के बावजूद लाखों रूपये के बिल लगाकर वाणिज्य कर विभाग की आंखो में धूल झोंका गया है। यह मनमानी किसी एक पंचायत की नहीं बल्कि यह कारनामा आधा दर्जन से अधिक ग्राम पंचायतों में एक साथ हुआ है, जिसमे सभी ग्राम पंचायतों में वेण्डर द्वारा बंद हुए जीएसटी नंबर का उपयोग कर लाखों रूपये की राशि अपने खाते में ली है।

शहडोल, मध्यप्रदेश। शासन की योजनाओं में पैंतरेबाजी करके शासन का पैसा कैसे निकाल लिया जाता है, इसका उदाहरण बुढ़ार जनपद की कई ग्राम पंचायतों में आसानी से देखने मिल जाएगा। ग्राम पंचायत की राशि का आहरण करने के लिए इन्द्रकुमार सिंह ग्राम जमुनिहा, पोस्ट केशवाही द्वारा लाखों की सामग्री की सप्लाई दिखाई है, मजे की बात तो यह है कि उक्त फर्म का रजिस्टे्रशन विभाग द्वारा 26 जुलाई 2018 को किया था, इसके बाद संभवत: कर न जमा करने के फेर में 31 जनवरी 2020 को उक्त फर्म को बंद कर दिया गया, लेकिन उक्त फर्म के संचालक द्वारा लगातार आधा दर्जन पंचायतों में फर्म के बंद रहने के दौरान भी बिल लगा कर भुगतान लिया गया।

इन पंचायतों में लगे बिल :

इन्द्रकुमार सिंह ग्राम जमुनिहा, पोस्ट केशवाही नामक फर्म द्वारा कोटा, टेंघा, कुड्डी, खांड, टेंघा, धुम्माडोल, हर्री, सिरौंजा, केशवाही, जमुनिहा, मझौली, छिल्पा, बचरवार सहित अन्य पंचायतों में लाखों का भुगतान हुआ है, ऐसा नहीं है कि फर्म संचालक को यह ज्ञात न हो कि उसकी फर्म का रजिस्टे्रशन कैंसिल हो चुका है, चर्चा है कि फर्म संचालक ने कर चोरी की नीयत से लाखों के बिल पंचायतों में लगाये और वाणिज्य कर विभाग में जमा होने वाला कर जमा नहीं किया।

पंचायतों में लगे फर्जी बिल :

जनपदों की ग्राम पंचायतों में हुए कारनामों पर वाणिज्य कर विभाग के अधिकारियों की चुप्पी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है एवं इस बात का पुख्ता सबूत है कि यह पूरा खेल ग्राम पंचायत के सचिव-सरपंच एवं वेण्डर की सांठ-गांठ से खेला गया है। तभी तो 4 वर्षाे से बंद फर्म को लाखों के भुगतान होते रहे, सूत्रों की माने तो अगर जिन-जिन पंचायतों में उक्त फर्म संचालक द्वारा बिल लगाये गये हैं, उनकी जांच जनपद स्तर के अधिकारियों द्वारा की जाये एवं वाणिज्य कर विभाग खरीदी-बिक्री की जांच करे तो, बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है।

चारागाह बनी योजनाएं :

ग्राम विकास के सपने को लेकर पंचायतीराज व्यवस्था की शुरुआत की गई थी, वह धीरे-धीरे अपने मूल कार्यो से बदल अब पंचायत के राहनुमाओ का चारागाह बनकर रह गयी है, पंचायत के विकास के लिए आई राशि का ऐसा बंदरबांट किया गया कि साइकल में चलने वाले पंचायत के पदाधिकारी आज लक्जरी गाड़ियों में घूम रहे हैं, एक ओर जहां पंचायत के सरपंच-सचिव द्वारा चहेते वेण्डर को खुलकर लाभ पहुंचाया गया, वहीं दूसरी सरपंच-सचिवों का साथ देते हुए उक्त पंचायतों में पदस्थ उपयंत्रियों ने भी भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाई है।

तो क्या उपयंत्रियों की है सांठ-गांठ :

जानकारों की माने तो पंच परमेश्वर द्वारा किये जा रहे भुगतान में सीधा नियंत्रण जनपद पंचायत का नहीं होता, पंचायत के खाते में राशि रहती है, निर्माण कार्य के नाम पर उपयंत्री मूल्यांकन कर देते हैं और सरपंच-सचिव के हस्ताक्षर से राशि आहरित कर ली जाती है, अगर पंच परमेश्वर मद से हुए बीते 5 सालों में हुए निर्माण सहित अन्य कार्यों की सूक्ष्मता से जांच हुई तो, कई उपयंत्री भी इस हमाम में नजर आयेंगे, आरोप है कि ग्राम पंचायतों में हुए इन्द्रकुमार सिंह ग्राम जमुनिहा, पोस्ट केशवाही के मामले में उपयंत्रियों ने भी बराबर सहभागिता निभाई है। अगर उक्त फर्म के बिलों में दिखाई गई सामग्री सहित निर्माण कार्य का जनपद सहित जिला स्तर में बैठे अधिकारी जांच करें तो, पंचायतों में हुआ भ्रष्टाचार उजागर हो सकता है, वहीं वाणिज्य कर विभाग अगर पूरे मामले में जांच करे तो, शासन के खाते में लाखों का राजस्व पहुंच सकता है।

इनका कहना है :

हां फर्म बंद थी, भुगतान लगातार हो रहे हैं, फिर भी मैं एक-दो दिन के अंदर इसका निराकरण कर लूंगा

इन्द्रकुमार सिंह, ग्राम जमुनिहा, पोस्ट केशवाही

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