एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी किये निर्देश

मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में एनजीटी ने डेडलाइन जारी करते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी किए निर्देश, प्राकृतिक जलस्त्रोतों को मैला कर रहे उद्योग।
एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी किये निर्देश
एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी किये निर्देशAfsar Khan

हाइलाइट्स

  • रेस्टोरेंट, होटल, मोटेल, बारात घर फैला रहे प्रदूषण

  • 30 अप्रैल तक अनुपालन न करने पर होगी सख्त कार्यवाही

  • प्राकृतिक जलस्त्रोतों को मैला कर रहे उद्योग

  • एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जारी किये निर्देश

राज एक्सप्रेस। राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली के आदेश के तहत अब रेस्टोरेंट, बारात घर, मैरिज गार्डन, होटल और मोटेल संचालकों को अपने संस्थानों को संचालित करने के लिए प्रदूषण व्यवस्था, जिसमें दूषित जल अपशिष्ट तथा ठोस अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, जल एवं ध्वनि प्रदूषण रोकथाम व्यवस्था, ग्राउण्ड वॉटर अथॉरिटी से पानी निकालने की अनुमति, पार्किंग व्यवस्था, आवश्यक प्रदूषण रोधी व्यवस्था सहित अन्य दस्तावेजों के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से विधि अनुसार शुल्क जमाकर सम्मति लेनी होगी और पर्यावरण संबंधी नियमों का अनुपालन करना होगा, जिसके लिए 30 अप्रैल की डेड लाईन तय की गई है, ऐसा न करने वालों के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही सुनिश्चित करने के भी आदेश दिये गये हैं।

बदतर हैं संभाग के हालात

बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व को छोड़कर शहडोल, अनूपपुर, उमरिया व डिण्डोरी जिलों में संचालित होने वाले अधिकांश संस्थान बिना सम्मति प्राप्त किये, अवैधानिक रूप से संचालित हो रहे हैं। इन संस्थानों से निकलने वाला दूषित जल नालों से होते हुए नदियों में मिल रहा है और उन्हें भी प्रदूषित कर रहा है। पीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय के रिकार्ड को अगर देखा जाये तो, सभी रेस्टोरेंट, बारात घर एवं मैरिज गार्डनों को कड़े नोटिस देने के बावजूद नियमों का उल्लंघन अर्सों से जारी है।

यह करनी होगी व्यवस्था

एनजीटी के आदेशों के तहत संचालकों को अब दूषित जल अपशिष्ट, ठोस अपशिष्ट निपटान व्यवस्था, वायु एवं ध्वनि प्रदूषण रोकथाम व्यवस्था, ग्राउण्ड वॉटर अथॉरिटी पानी निकालने की अनुमति, पार्किंग व्यवस्था, आवश्यक प्रदूषण रोधी व्यवस्था के साथ अन्य दस्तावेजों सहित म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से विधि अनुसार शुल्क जमा कर सम्मति प्राप्त करने के साथ ही पर्यावरण संबंधी नियमों का अनुपालन करना होगा।

पर्यावरण को हो रही अपार क्षति

सुनवाई के दौरान पीठ ने माना कि होटल, रेस्टोरेंट, बारात घरों से निकलने वाले दूषित जल, ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट आदि या तो नाले के द्वारा नदी में मिलते हैं, या तो फिर यत्र-तत्र बिखरे रहते हैं, जिससे पर्यावरण को अपार क्षति पहुंच रही है, प्रदूषण से जल स्त्रोंतों की बीओडी मात्रा में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, जो कि नदियों के लिए खतरा है।

पार्किंग की करनी होगी व्यवस्था

सारी सम्मतियां तभी जारी होंगी, जब उद्योग संचालकों को पार्किंग की भी व्यवस्था अपने-अपने संस्थानों में करनी होगी, क्योंकि उचित पार्किंग न होने के चलते आस-पास के क्षेत्र में ट्रॉफिक जाम हो जाता है, जिससे वायु, ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ता है, साथ ही आम लोगों को आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, अगर निर्धारित समयावधि में आदेशों का पालन नहीं किया गया तो, संचालकोंं के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही के आदेश जारी किये गये हैं।

एनजीटी के निर्देश पर सभी जिलो में डिस्टिक इनवारमेंटल प्लान के तहत कमेटी का गठन किया गया है, आगामी बैठक में सभी जिलो में इसे रखा जायेगा। प्रशासन के निर्देश पर पीठ के आदेश के पालन कराने की कार्यवाही होगी। लापरवाही करने वालों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही भी प्रस्तावित की जायेगी।

संजीव कुमार मेहरा, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल

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