शहडोल: रेत माफिया का बनास में ताण्डव

शहडोल, मध्यप्रदेश : मध्यप्रदेश रेत माफिया का बनास में ताण्डव-जिम्मेदारों ने कार्यवाही की बजाय मूंद ली आंखे, पुलिस, राजस्व, ग्रामीण विकास, वन, खनिज, विभागों को मिल रही है पीसीबी की खुली छूट।
रेत माफिया
रेत माफियाAfsar Khan

राज एक्सप्रेस। अवैध उत्खनन रोकने और नदियों के संरक्षण के लिए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले बनाये अपने वचन पत्र में प्रभावी नियम बनाने का जो वादा किया था, उसे निभाते हुए 30 अगस्त को नवीन रेत नियम 2019 लागू किया गया, लेकिन प्रदेश में रेत की किल्लत न हो, इसके लिए निविदा प्रक्रिया पूर्ण न हो जाने तक पुरानी खदानों के संचालन की अनुमति जारी करने का आदेश दिया गया।

जिले के ब्यौहारी तहसील के बोर्डिंग में पंचायत की रेत खदान स्वीकृत कर दी गई, जबकि उक्त खदान के शुरू होने से जिले में रेत की किल्लत की पूर्ति नहीं की जा सकती, केवल माफियाओं और रेत तस्करों के लिए ही उक्त खदान को शुरू कराया गया, जबकि जिले की अन्य खदाने भी शुरू हो सकती थी, जिससे शहडोल, बुढ़ार, धनपुरी आदि स्थानों के साथ ही दूसरे जिलों को भी फायदा मिल सकता था, यह बात जगजाहिर है कि ब्यौहारी अंचल में रेत का अवैध कारोबार स्थानीय मैनेजमेंट से फल-फूल रहा है। गुरूवार को जो वीडियो और फोटो सामने आये, उसमें वाहनों की संख्या में इजाफा होने के साथ पोकलेन के साथ जेसीबी मशीन लगा दी गई है।

पोकलेन और जेसीबी से छलनी

पुराने नियमों के तहत खदान को संचालित कराये जाने के प्रावधान है, जिसमें बाहरी व्यक्तियों का किसी भी प्रकार का कोई दखल नहीं होना चाहिए, छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह का ससुराल बुढ़वा गढ़ी में है, खुलेतौर पर कभी छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के जनकपुर-भरतपुर में बनास नदी को छलनी करने वाले उपेन्द्र सिंह छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रदेश में फिर से बनास का अस्तित्व मिटाने के लिए ग्राम पंचायत के सरपंच धर्मेन्द्र सिंह के साथ मिलकर धड़ल्ले से दिन-दहाड़े पोकलेन, जेसीबी और हाईवा जैसे प्रतिबंधित मशीनों और वाहनों से रेत का उत्खनन और परिवहन रोक के बावजूद करा रहे हैं, पूरे अंचल में उपेन्द्र के इस कारनामें की चर्चा है, जो कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रमन सिंह के साले हैं। इस पूरे मामले में एक बार फिर से माफियाओं और तस्करों का मैनेजमेंट स्थानीय स्तर पर हावी होता नजर आ रहा है।

प्रदेश के बाहर खप रही रेत

नियमों के तहत व्यवसायिक उपयोग वाले ट्रैक्टर ट्राली ही खदान में उतारी जा सकती हैं, लेकिन खदान के संचालन में पोकलेन, जेसीबी से न सिर्फ उत्खनन कराया जा रहा है, बल्कि नदी में हाईवा वाहन उतारे जा रहे हैं, उक्त खदान के शुरू हो जाने से पूरी रेत रीवा सहित उत्तरप्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भेजी जा रही है, लेकिन ब्यौहारी सहित आस-पास के क्षेत्र में रेत की कोई ज्यादा खपत नहीं है, दलाल, तस्कर और रेत चोर की इन दिनों चांदी है, खदान से ट्रांजिट पास के सहारे पूरा माल ऊंचे दामों में खपाया जा रहा है, जिस मंशा से खदान की शुरूआत की गई थी, वह साकार होती नजर नहीं आ रही है।

प्रदेश के बाहर खप रही रेत
प्रदेश के बाहर खप रही रेत Afsar Khan

कार्यवाही के बजाय संरक्षण

पहले पूरे अंचल में रेत चोरों, तस्करों ने माफियाओं के साथ मिलकर सोन का अस्तित्व छलनी कर दिया, प्राकृतिक स्वरूप भी बिगाड़ दिया गया, सोन घड़ियाल अभ्यारण में रहने वाले घड़ियाल, मगरमच्छ सहित अन्य जलीय जीव-जन्तु ने भी अपना ठिकाना बदल लिया, वैध के सहारे अब स्थानीय मैनेजमेंट हावी होता नजर आ रहा है, बोड्डिया रेत खदान में तहसील स्तर पर बैठे वन, राजस्व, वर्दीधारी के अलावा जिला मुख्यालय से आने वाली खनिज विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीमों ने भी इन माफियाओं के सामने चंद चांदी के सिक्कों के चलते अपना जमीर बेच डाला। पूरा मामला और करतूत जानने के बाद भी यह अधिकारी कार्यवाही की बजाय संरक्षण दे बैठे हैं।

नमक का कर्ज कर दिया अदा

रेत खदान में बड़े वाहन और मशीन उतरने का मामला जब जिला मुख्यालय पहुंचा और वहां से कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने कार्यवाही के निर्देश जारी किये, तो कार्यवाही की खानापूर्ति करने के लिए टीम बोड्डिया पहुंची, लेकिन उससे पहले इस गोरखधंधे को संचालित करने के लिए मलाई खा चुके कर्णधारों ने पहले से ही नमक का कर्ज अदा कर दिया और सूचना भेज दी, मशीन और वाहन इधर से उधर कर दिये गये, इस पूरे मामले में तहसील में बैठे अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व, वन के साथ ही स्थानीय थाने के प्रभारी की संलिप्ता तो सीधे तौर पर नजर आती है, लेकिन खनिज विभाग में उक्त क्षेत्र की जिम्मेदारी देख रहे खनिज सर्वेयर समय लाल गुप्ता ने भी अपना नमक का कर्ज अदा कर दिया।

वही हाल प्रदूषण विभाग के जिला प्रमुख का भी है, यह सारे लोग अपने विभाग के अधिकारियों के साथ ही पुलिस कप्तान और कलेक्टर को गुमराह कर रहे हैं। इस पूरे मामले में अगर सूक्ष्मता से जांच हुई तो कई चौंकाने वाले राज सामने आ सकते हैं।

तो क्या जानते थे साहब

इस पूरे मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पी.के. पाण्डेय का कहना है कि उन्हें आज की जानकारी नहीं है और न ही किसी ने अवगत कराया है, दो दिनों से उन्हें यह जानकारी थी कि मजदूरी के माध्यम से रेत का खनन बोड्डिहा में हो रहा है, सवाल यह खड़ा होता है कि क्या जब मशीन लगाई गई तो इस बात की जानकारी साहब को थी, या नहीं। सूत्रों की माने तो अनुविभाग में साहब की अनुशंसा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता।

पोर्टल में ऑन लाईन मामले की जांच कराई जा रही है, जिससे यह प्रमाणित होगा कि बड़े वाहनों को ऑन लाईन ईटीपी जारी की गई है, साथ ही अगर इस पूरे मामले में नियमों का उल्लंघन मिला तो ग्राम पंचायत के साथ ही जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी।

सुश्री फरहत जहां खनिज अधिकारी, शहडोल

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