निगम के शव रथ कर रहे कोविड से मृत देह का अपमान
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इंदौर : निगम के शव रथ कर रहे कोविड से मृत देह का अपमान

इंदौर, मध्य प्रदेश : खुले वाहन में टपकते खून से सने शवों को बीच बाजार में लेकर निकल रहे हैं निगम के शव रथ। इससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ेगा। प्रशासन मौन।

इंदौर, मध्य प्रदेश। पिछले दिनों दिल्ली, महाराष्ट्र में कोविड-19 बीमारी से मारे गए शवों के अपमान का मामला सुर्खियों में आया था। इसी तरह का शवों का अपमान नगर निगम के शव रथ द्वारा भी किया जा रहा है। कोविड-19 से मृत हुए लोगों का शव खुले गेट के रथ में टपकते खून के साथ बीच बाजार से ले जाया जा रहा है। इतना ही शव वाहन में इस तरह रखे हुए हैं, जिनमें से एक शव का सिर की तरफ का हिस्सा बाहर आ रहा है।

इस तरह से शवों को ले जाते, जिसने भी देखा, उनके पूरे बदन में सिरहन दौड़ गई और उन्होंने निगम के जिम्मेदारों को न सिर्फ कोसा, बल्कि वाहन का फोटो खींचकर इस मामले की शिकायत की भी बात की। लोगों का कहना है कि इस तरह से आए दिन निगम के वाहनों से कोविड-19 से मारे गए, लोगों के शवों का अपमान किया जा रहा है। परिजन शव के साथ रहते नहीं, इसलिए कोई बोलने वाला नहीं होता है।

यह तो हद दर्जे की बेशर्मी है :

सोमवार को दोपहर 12.30 के करीब वाहन क्रमांक एमपी 09, जीजी 7255 (शव रथ) इसी प्रकार से शवों को लेकर एमजी रोड, शास्त्री बाजार से गुजरा। जिन्होंने भी इसे देखा, उनके मुंह से यही निकाला होगा कि यह तो हद दर्जे की बेशर्मी है। इस तरह से तो पशुओं के शवों को भी नहीं ले जाया जाता होगा, जिस प्रकार से इंसानों के शवों को ले जाया जा रहा है। बड़ी बात तो यह है कि इन लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है, भले ही शव से संक्रमण न फैलता हो, लेकिन जिस प्रकार से शव से रक्त टपक रहा है और वाहन का पिछला दरवाजा खोलकर शवों को सार्वजनिक करते हुए ले जाया जा रहा है, कहां तक उचित है। इतना ही नहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि कोविड-19 से मारे गए लोगों के शवों की बेकद्री अस्पताल से लेकर शमशान तक होती है। संक्रमण से बचने के लिए यदि शवों को हाथ न लगाते हुए किसी सहारे से उठाया जाए या बेध्यानी में कोई बेकद्री हो जाए, तो समझ में आता है, लेकिन इस प्रकार से जानबूझकर शवों का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए।

परिजनों को नहीं सौंपा जाता शव :

कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत जो कोविड-19 संदिग्ध और पॉजिटिव मरीजों की मौत अस्पतालों में होती है, उनका शव परिजनों को नहीं सौंपा जाता है। शव को अस्पताल में सेनेटाइज कर, कपड़े में लपेट कर निगम के वाहन से संबंधित क्षेत्र के श्मशान, कब्रिस्तान तक लाया जाता है। इसके लिए नगर निगम द्वारा तीन शव रथ बनाए हुए हैं, जो शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। वाहन से उताकर इन शवों का सीधे अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। इस दौरान परिवार के दो से तीन लोग मौके पर होते हैं और उन्हें शव को खोलने या हाथ लगाने नहीं दिया जाता है। यही कारण है कि लोगों को जानकारी ही नहीं लग पाती है कि उनके अपने परिजनों का शव श्मशान या कब्रिस्तान तक कैसे पहुंच रहा है।

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