चिकित्सकों की परेशानी के साथ स्वास्थ्य सेवाएं चरमरायीं
चिकित्सकों की परेशानी के साथ स्वास्थ्य सेवाएं चरमरायींSyed Dabeer-RE

चिकित्सकों की परेशानी-मरीजों की आफत: स्वास्थ्य सेवाएं चरमरायीं

मध्य प्रदेश में व्याप्त कोरोना संकट के बीच सीधी जिले से आईं खबर सामने, चिकित्सको की कमी के चलते स्वास्थ्य सेवाएं हुई बदहाल, जनता हुई परेशान।

राज एक्सप्रेस। मध्य प्रदेश के सीधी जिले में जनता कर्फ्यू के बाद से जहॉ शासन द्वारा जारी आदेश के तहत शासकीय चिकित्सालयों का पूरा ध्यान कोरोना वायरस के मरीजों पर केन्द्रित हो गया वहीं सामान्य बीमारियों के लिये मजबूरी बस आम जन मेडिकल स्टोर संचालक व झोला छाप चिकित्सकों पर निर्भर होने लगे।

शासकीय ऑकड़ों के आधार पर जिले में अभी तक एक भी कोरोना वायरस का पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है उसके बावजूद 22 मार्च से अभी तक कुछ चिकित्सक इस कदर डरे सहमें हैं कि ये अपना मोबाइल ही बन्द कर घर में ताला लगा लिये हैं, जहं आम जनों के लिये प्रवेश पूरी तरह से वर्जित हो चला है।

ऐसा ही एक वाक्या मंगलवार की दोपहर करीब तीन बजे देखने को मिला जब कोसों की दूरी तय करके बेहतर चिकित्सकीय लाभ लेने के मंशा से पीड़िता और परिजन जिला मुख्यालय पहुॅचें किन्तु उन्हे उपचार तो नहीं मिला बदले में दुत्कार और अपमान का घूंट जरूर पीना पड़ा।

परिजनों द्वारा बताया गया कि महिला चिकित्सक द्वारा उपचार तो बहुत दूर की बात है पहले ही सीधे तौर पर देखने से ही मना कर दिया गया साथ ही दर्द पीड़ा से कराहती महिला के साथ आये परिजनों को 24 घंटे बाद आने के लिये कहा गया। क्या इन चिकित्सकों में दया मानवता कष्ट पीड़ा को समझने वाली शक्ति पूरी तरह से शून्यवत हो चली है, समाज में चिकित्सकों को भगवान का दर्ज दिया गया है। इस प्रकार की घटना को देख कर सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि आखिर कैसे कह दें इनको भगवान जब इनका चरित्र व क्रिया कलाप ही शैतानों जैसा है।

विपदा की इस घड़ी में जहॉ जिले के कई वरिष्ट चिकित्सक जिनका समाज में केवल नाम ही काफी है ऐसे कई चिकित्सक भय वश या अन्य कारणों के चलते पीड़ित व उनके परिजनों से कोसों की दूरी बनाये हुए हैं।

वहीं जनता कर्फ़्यू के पूर्व इनके पास प्रतिदिन सैकड़ों मरीज लाभन्वित होते थे पर अचानक अपनी सारी सेवायें बन्द करने से जनता में काफी असंतोष पैदा हो चला है। वहीं जिले के गली मोहल्लों में अपनी दुकान चलाने वाले झोला छाप चिकित्सक पीड़ितों के लिये रहनुमा बन कर सामने आ रहे हैं।

बताया गया कि एक तो पहले जिले में चिकित्सकों की कमी थी ऊपर से इस कोरोना वायरस के भय के चलते कई चिकित्सक सेवा नहीं दे रहे हैं अगर देते भी हैं तो अपनी निजी शर्तो पर जिसके चलते मजबूरी में झोला छाप चिकित्सकों की ओर इनको रूख करना पड़ता है, जहॉ आर्थिक शोषण तो होता है किन्तु तत्काल दर्द पीड़ा से छुटकारा मिलना बताया जा रहा है।

जिले में लॉक डॉउन की स्थिति के चलते अन्य राज्यों से आने वाले चिकित्सकीय उपकरणों का आवागमन वाधित हो चला है, परिणाम स्वारूप जिले में अभी तक मिलने वाली आवश्यक मेडिकल ट्रीटमेंट में सोनोग्राफी सहित अन्य आवश्यक सेवाओं पर मानो ताले लग चले हैं। इस कोरोना महामारी का भय इस कदर समाज में छाया हुआ है कि अन्य गंभीर बीमारियों पर इसका प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष असर प्रतीत होने लगा है।

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