दम तोड़ चुका 'सीधी-सिंगरौली' राष्ट्रीय राजमार्ग

सिंगरौली, मध्य प्रदेश : उर्जाधानी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ पूरी तरह से दम तोड़ चुका है।
सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग
सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्गShashikant kushwaha

राज एक्सप्रेस। उर्जाधानी को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ पूरी तरह से दम तोड़ चुका है भारी वर्षा के कारण निर्माणाधीन सड़क के कई हिस्से इस बरसात में बेहद खतरनाक हो चुके हैं व आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। सीधी-सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग 39 के संबंध में शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधि बात करने को भी तैयार नहीं सीधी-सिंगरौली राष्ट्रीय राजमार्ग सन 2008 में केंद्र सरकार के द्वारा फोरलेन निर्माण के लिए प्रस्तावित किया गया था।

तत्कालीन मनमोहन सरकार से प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य 2012 से शुरू हुआ जिसमें कि निविदा कार एजेंसी गेमन इंडिया रही, वहीं पेटी कांट्रेक्टर टेक्नो यूनिक के माध्यम से कार्य होना शुरू हुआ। लगातार कई वर्षों तक फंड की कमी का होना बताकर कार्य टालती रही, जिसमें कि लगभग 50 छोटे-बडे़ पुलों का निर्माण किया जाना था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका कई वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक राष्ट्रीय राजमार्ग का कार्य पूरा नहीं हो सका है 2012 से लेकर अब तक निर्माण कार्य अधूरा चल रहा है जिससे की आम जनमानस में आक्रोश व्याप्त हो चुका है।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

केंद्र व प्रदेश सरकार के बदल जाने के फलस्वरुप आज तक राष्ट्रीय राजमार्ग 39 का कार्य अधूरा है। राष्ट्रीय राजमार्ग के संबंध में जनप्रतिनिधियों से बात करने पर जनप्रतिनिधि राजनीतिक पार्टियों से संबंधित होकर केवल आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आ रहे हैं। सिंगरौली ऊर्जा धानी जिसमें की कई औद्योगिक इकाइयों ने अपने औद्योगिक संस्थान जिले में स्थापित किये हैं। आपको बताते चलें सिंगरौली मध्यप्रदेश में इंदौर के बाद दूसरा ऐसा जिला है जिससे की सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने का कार्य किया है साथ ही आपको बताते चलें सिंगरौली जिले में कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी एनसीएल एनटीपीसी साथ ही रिलायंस एस्सार ग्रुप हिंडालको जेपी जैसे बड़े संस्थान जिले में संचालित हो रहे हैं।

सीधी-सिंगरौली राज्यमार्ग के खस्ताहाल होने के कारण सिंगरौली आज प्रदेश के अन्य जिलों से कटा हुआ है। बीते दिनों सिंगरौली से रीवा को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग एनएच 39 के बीच पड़ने वाले जोगिरी, कोतरी नदी पर बना पुल भारी बरसात के कारण बह गया जिससे आवागमन पूरी तरह से अवरूद्ध हो गया। पूर्व में उक्त पुल को तोड़कर नया पुल बनाने की बात कही गयी थी परन्तु वह मामला अधर में ही लटका रहा।  बरसात के दिनों में तो हालात ऐसे हो जाते हैं कि आवागमन ही अवरूद्ध हो जाता है परन्तु इसके बावजूद भी जिम्मेदारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। राष्ट्रीय राजमार्ग की दुर्दशा को लेकर लोगों के बीच आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

सिंगरौली सीधी निर्माणाधीन एनएच रोड निर्माण के खस्ताहाल को लेकर रविवार शाम मोरवा में स्थानीय लोगों ने युवा व्यापार मंडल एवं सिंगरौली ट्रक एसोसिएशन के बैनर तले एकत्रित होकर कैंडल मार्च निकाल अपना विरोध प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में शुरू हुए कार्य 6 वर्षों बाद भी अधर में अटका हुआ है, जिस कारण स्थानीय लोग धूल, प्रदूषण एवं दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण कैंडल मार्च निकालकर विरोध जताते हुए सिंगरौली ट्रक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश सिंह ने बताया कि सिंगरौली से होकर गुजर रही रीवा रांची एनएच 39 राष्ट्रीय राजमार्ग में एमपीआरडीसी द्वारा उत्तर प्रदेश बॉर्डर के खनहना से सीधी तक रोड निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था, परंतु 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्य अधूरा पड़ा है।

औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण इस मार्ग से भारी वाहनों की आवाजाही होती है और खस्ताहाल सड़कों के कारण लोगों को भयानक स्तर पर प्रदूषण का सामना करना पड़ रहा है। न कोई जनप्रतिनिधि, न प्रशासनिक अधिकारी और न सीएसआर का दम भरने वाली कोल इंडिया की एनसीएल कंपनी इसके समाधान के लिए आगे आती है। बीते वर्ष मेन रोड के व्यवसायियों को रोड निर्माण के लिए उजाड़ दिया गया यह बताते हुए कि 1 माह के भीतर यहां सड़क का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा, परंतु साल भर बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी है और प्रदूषण के बीच लोगों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है।

इसलिए जागरूक हुए लोगों ने अभी यह पूछना शुरू कर दिया है कि इन खस्ताहाल सड़कों का जिम्मेदार कौन है? रविवार शाम बस स्टैंड के समीप में ट्रक मालिकों व युवा मंडल के साथ सैंकड़ों लोगों ने जुड़कर सांकेतिक प्रदर्शन करते हुए कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध जताया। यह कैंडल मार्च एलआईजी चौक, मस्जिद तिराहा, मुख्य बाजार में निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि जल्द अगर इस समस्या का समाधान नहीं किया जाता है तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

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