संविधान बचाओ संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
संविधान बचाओ संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापनShashikant Kushwaha

संविधान बचाओ संयुक्त मोर्चा ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

सिंगरौली,मध्यप्रदेश: संविधान बचाओ संयुक्त मोर्चा सिंगरौली के सभी सामाजिक संगठनों के तत्वाधान में सीएए, एनपीआर के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन।

राज एक्सप्रेस। संविधान बचाओ संयुक्त मोर्चा सिंगरौली के सभी सामाजिक संगठनों के तत्वाधान में केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे असंवैधानिक तथा विघटनकारी सीएए,एनपीआर,एनआरसी जन विरोधी तथा पूंजीवादी व्यवस्था को बढ़ाना देने वाले गलत निर्णय के विरोध में महामहिम राष्ट्रपति महोदय को द्वारा कलेक्टर प्रतिनिधि तहसीलदार जितेंद्र वर्मा सिंगरौली को ज्ञापन सौंपा एवं संगठन के सभी वक्तागण व पदाधिकारी गण ने देश की हालात को एवं एनआरसी, एनपीआर, सीएए को गलत ठहराया।

प्रदर्शन कारियों ने दिया तर्क

प्रदर्शनकारियों के दिये बयान की बात करें तो उनका कहना है कि, जंगलों में रहने वाला आदिवासी कभी भी अपने पूर्वजों का दस्तावेज नहीं पेश कर सकता जिससे वे अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकते हैं। औद्योगीकरण एवं प्राकृतिक आपदा की वजह से विस्थापित भी अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सकते, इस काले कानून से सिर्फ मुस्लिम समुदाय को नहीं बल्कि अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़ा वर्ग को भी नुकसान है, अपने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि हमारा भारत देश एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है जिसमें अनेक जातियां एवं अनेक धर्मों तथा विभिन्न भाषाओं के लोग रहते हैं और सभी को समान संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं किंतु वर्तमान समय में केंद्र सरकार में सत्तारूढ़ सरकार के द्वारा एनआरसी एनपीआर और सीएए जैसे काले कानून लाने से देश की छवि विश्व स्तर पर धूमिल हो रही है

देश की अखंडता और भाईचारे पर पड़ रहा बुरा असर

देश की अखंडता एकता और भाईचारे पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है साथ ही पूंजीपतियों और चुनिंदा उद्योगपतियों को सरकार द्वारा बढ़ावा मिल रहा है और आम जनमानस असमंजस की स्थिति में है तथा महंगाई और भ्रष्टाचार ,बेरोजगार की मार से परेशान हैं ऐसे में उक्त काला कानून लाना असंवैधानिक है एवं एनपीआर ही एनआरसी का प्रथम चरण है यह सामान्य जनगणना की विपरीत है, इससे चाही जाने वाली जानकारियों से निजता एवं अधिकारों का हनन होगा और चाहे जाने वाली जानकारियां और प्रमाण पत्र देश की अधिकांश लोग नहीं दे पाएंगे जैसे कि बहुत सी घुमक्कड़ जातियां हैं, जिनका स्थाई निवास नहीं है जो लोग बटाई की खेती करते हैं अपनी कोई जमीन नहीं कोई दस्तावेज नहीं है, प्राकृतिक आपदाओं में जिनके दस्तावेज गुम हो गए हैं तथा अधिकांश सभी वर्ग के महिलाओं को दस्तावेज मिल पाना असंभव है ऐसी स्थिति में इस तरह के लोग शंका की श्रेणी में डाल दिए जाएंगे और आगे चलकर नागरिकता रजिस्टर में नाम नहीं होने से परेशान होंगे।

समान शिक्षा नीति लागू कर निःशुल्क शिक्षा देने के प्रावधान की माँग

एनपीआर में चाही गई जटिलताओं को हटाकर सामान्य जनगणना कराए जाना न्यायोचित और जनहित में होगा। शिक्षा ही विकास की कुंजी है और शिक्षा प्राप्त करना हर समाज और हर वर्ग के लोगों का मौलिक अधिकार है, इसलिए प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की सभी तरह की शिक्षा प्रत्येक नागरिक को समान शिक्षा नीति लागू कर निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया जाए, वर्तमान समय में प्रदूषण वातावरण में तरह-तरह की बीमारियों का प्रकोप है सामान्य जनमानस महंगे उपचार कराने में असमर्थ है इसलिए समुचित चिकित्सा व्यवस्था प्रत्येक नागरिक को प्रदान करने हेतु चाहे वह अमीर हो या गरीब हो निःशुल्क चिकित्सा व्यवस्था प्रदान करायी जाए, जो जनहित में व स्वास्थ्य समाज के निर्माण में आवश्यक है। उक्त सभी मांगों पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए तत्काल प्रभाव से पालन कराए जाने की व्यवस्था कराई जाए।

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