मंडी अधिनियम संशोधन से किसानों ने व्यापारियों को सीधे बेचा गेहूं

हाल ही में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंडी अधिनियम में कुछ संशोधन किए गए, जिसके चलते किसानों ने सौदा-पत्रक से सीधे व्यापारियों को डेढ़ लाख क्विंटल गेहूं बेचा।
मध्य प्रदेश में मंडी अधिनियम में किए गए  कुछ संशोधन
मध्य प्रदेश में मंडी अधिनियम में किए गए कुछ संशोधनSocial Media

राज एक्सप्रेस। देश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप के कारण 17 तारीख तक बड़े लॉकडाउन के दौरान मध्य प्रदेश में भी अधिकतर स्थान बंद रहेंगे। क्योंकि मध्य प्रदेश में कोरोना के कई हॉटस्पॉट है, परंतु इसके बाबजूद भी हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को अपने खेतों में कटाई और फसल के रखरखाव के लिए अनुमति प्रदान की थी। इसक बाद मध्य प्रदेश में मंडी अधिनियम में संशोधन किया गया। जिससे किसान को इसका फायदा मिला।

किसानों को हुआ फायदा :

सरकार ने किसानों को उपज की अच्छी कीमत दिलाने के लिए अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाकर किसान हित में सौदा-पत्रक व्यवस्था शुरू की है। इसके तहत जबलपुर जिले 1692 किसानों ने व्यापारियों को 1724 सौदा पत्रकों के माध्यम से अब तक एक लाख 40 हजार 988 क्विंटल गेहूं की बिक्री कर चुके हैं। बताते चलें, सरकार द्वारा यह संशोधन करने को लेकर सरकार का दावा था कि, किसान आराम से घर बैठे ही अपनी फसल की बिक्री प्राइवेट व्यापारियों को कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री की सराहना :

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक मूल्य दिलाने के उद्देश्य से किसान हित में मंडी अधिनियम में संशोधन कर रबी उपार्जन में सौदा-पत्रक व्यवस्था शुरू किया है। जबलपुर जिले के किसानों ने इस व्यवस्था के लिए मुख्यमंत्री की सराहना की है। किसानों को सौदा-पत्रक व्यवस्था काफी पसंद भी आ रही है । इस व्यवस्था के तहत व्यापारी किसान के घर, खेत और खलिहान पर जाकर उनकी फसल खरीद रहे हैं ।

अधिनियम में संशोधन :

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा मंडी के अधिनियम में संशोधन के तहत किसान घर बैठकर अपनी फसल की बिक्री निजी व्यापारियों को कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें मंडी जाने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, जो किसान अपनी फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल की बिक्री करना चाहता है तो, वह ऐसा भी कर सकता है। किसानों के लिए यह विकल्प भी जारी ही रहेगा।

उप संचालक का कहना :

उप संचालक मंडी आनंद मोहन शर्मा ने बताया कि 'सौदा पत्रक से बिक्री किए गए कुल गेहूं में बिक्री शामिल हैं-

  • जबलपुर कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 34 हजार 324 क्विंटल गेहूं

  • शहपुरा कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 12 हजार 499 क्विंटल गेहूं

  • सिहोरा कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 32 हजार 138 क्विंटल गेहूं

  • पाटन कृषि उपज मंडी के अंतर्गत 62 हजार 27 क्विंटल गेहूं

किसान का कहना :

235 बोरा गेहूं सौदा पत्रक से बेच चुके ग्राम सोनतलाई के किसान रमाकांत पुरी और 231बोरा गेहूं की बिक्री करने वाले ग्राम हड़ा के किसान विनय पुरी कहते हैं कि, सौदा पत्रक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में सोशल डिस्टेंसिंग का अच्छे से पालन हो जाता है। किसान अपनी उपज का नमूना कृषि उपज मंडी में व्यापारियों को दिखाकर सौदा-पत्रक से उपज बेच रहे हैं। इससे उन्हें उपज की मनचाही कीमत भी मिल रही है।

वहीं सौदा पत्रक से व्यापारी को 241 बोरा गेहूं बेंच चुके ग्राम सकरा के राम बिहारी, ग्राम लुहारी के विजय पटेल ने 225 बोरा और अनूप पटेल ने 234 बोरा गेहूं व्यापारी को सीधे बेंचा है। वे कहते हैं कि सौदा-पत्रक व्यवस्था में व्यापारी किसान के घर व खेत से ही उपज की खरीदी कर रहे हैं, इससे किसानों को शासन द्वारा बनाये गये सरकारी समर्थन मूल्य पर खरीदी केन्द्र तक अपनी उपज को लाने का परिवहन, हम्माली और फसल की सुरक्षा आदि का खर्च बच जाता है । साथ ही किसान अपनी उपज की अच्छी कीमत पाने के लिए व्यापारी से खुलकर मोलभाव भी कर पा रहे हैं।

संशोधन का मकसद :

अधिनियम में संशोधन का मकसद मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि, इन संशोधनों के तहत कोई भी प्राइवेट व्यापारी किसान के घर जाकर या उसके खेत जाकर उसकी फसल को खरीद सकता है, परंतु इसके लिए व्यापारी के पास लाइसेंस होना अनिवार्य है। उन्होंने यह भी बताया कि, पूरे प्रदेश के लिए एक लाइसेंस जारी किया गया है। इस लाइसेंस के द्वारा व्यापारिक कहीं भी फसल खरीद सकेंगे। उन्होंने आगे बताया कि, हमने ई-ट्रेडिंग व्यवस्था भी लागू कर दी है। जिससे देश में अलग-अलग मंडियों के दाम किसानों को आसानी से उपलब्ध हो जाए, वह देश की किसी भी मंडी में जहां उनकी फसलों का अधिक दाम मिले वहां से अपनी फसलों का सौदा कर उनकी बिक्री कर सकेगा।

संशोधन करने का विकल्प :

बताते चलें भारत सरकार द्वारा एग्रीकल्चर प्रोड्यूस एवं लाइव स्टॉक मैनेजमेंट एंड 2017 मॉडल के अनुसार, मंडी अधिनियम सभी राज्यों को भेजकर उसे अपनाने और साथ ही उस अधिनियम में किसी तरह का संशोधन करने का विकल्प प्रदान करता है। इन अधिनियम को लागू करने के लिए रोडमैप तैयार करने के उद्देश्य गठित मुख्यमंत्री के उच्च स्तरीय समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में बताया है कि, यदि कोई भी राज्य सरकार अपने राज्य की मंडी के अधिनियम में किसी प्रकार का संशोधन या किसी तरह का बदलाव करना चाहती हैं तो, उन्हें इसके लिए IPLM के प्रावधानों में से कम से कम 7 को शामिल कर संशोधन करना होगा।

IPLM के लागू हुए प्रावधान :

मध्य प्रदेश में वर्तमान में IPLM के प्रावधानों में से दो प्रावधान पहले से ही लागू किए हुए हैं। इसलिए, अन्य सात प्रावधानों को मंडी अधिनियम के संशोधन के माध्यम से प्रदेश में लागू किया किया गया है। बताते चलें IPLM के जो दो प्रावधान पहले से मध्य प्रदेश में लागू है। उनमें... -

  • पहला प्रावधान है, पूरे राज्य में कृषि उपज पहली बार खरीदने के समय ही मंडी शुल्क लिया जाता है। तत्पश्चात ही पूरे प्रदेश में पश्चातवर्ती क्रय-विक्रय में मंडी शुल्क नहीं लिया जाता है।

  • दूसरे प्रावधान है कि, फल और सब्जियों के व्यापार का विनियमन मंडी अधिनियम के दायरे से बाहर रखा गया है। यानी सरल शब्दों में कहे तो फल और सब्जियों को मंडी की गिनती में नहीं गिना जाता है।

शेष लागू होने वाले प्रावधान :

बताते चलें, मंडी के प्रावधानों में संशोधन करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार को बचे हुए प्रावधानों को मंडी के अधिनियम में शामिल किया है।

7 प्रावधान :

  1. निजी क्षेत्रों में मंडियों की स्थापना के लिए प्रावधान

  2. गोदामों, साइलो कोल्ड स्टोरेज आदि को भी प्राइवेट मंडी घोषित किया जा सकेगा

  3. किसानों से मंडी के बाहर ग्राम स्तर से फूड प्रोसेसर, निर्यातक, होलसेल विक्रेता और अंतिम उपयोगकर्ता को सीधे उपज खरीदने का प्रावधान

  4. मंडी समितियों का निजी मंडियों के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं रहेगा

  5. प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड से रेगुलेटरी शक्तियों को पृथक कर संचालक विपणन को दिए जाने का प्रावधान

  6. पूरे प्रदेश में एक ही लाइसेंस से व्यापारियों को व्यापार करने का प्रावधान

  7. ट्रेनिंग के लिए प्रावधान

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