भोपाल : लंबित रेत भंडारणों को राज्य सरकार की हरी झंडी

भोपाल, मध्य प्रदेश : पांच जिलों में दोबारा टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, ठीक उसी बीच राज्य शासन ने लंबित रेत भंडारणों को पुन: शर्तो के तहत् शुरू करने की अनुमति दी है।
लंबित रेत भंडारणों को राज्य सरकार की हरी झंडी
लंबित रेत भंडारणों को राज्य सरकार की हरी झंडीAfsar Khan

भोपाल, मध्य प्रदेश। भाजपा शासन काल में बनाई गई रेत नीति 2018 में रेत भंडारणों को पांच साल के लिए स्वीकृत किया था, कांग्रेस शासनकाल में 30 अगस्त 2019 को मध्यप्रदेश रेत (खनन, परिवहन, भंडारण एवं व्यापार) नियम 2019 में स्वीकृत भंडारणों को निरस्त करते हुए निर्धारित समयावधि में रेत के निपटारे के प्रावधान किये थे, 38 जिलों में इस नियम के तहत ठेकेदारों का चयन भी हो चुका है और उन्होंने कार्य भी प्रारंभ कर दिये हैं, पांच जिलों में दोबारा टेंडर की प्रक्रिया चल रही है, ठीक उसी बीच राज्य शासन ने लंबित रेत भंडारणों को पुन: शर्तो के तहत् शुरू करने की अनुमति दी है।

मंजूरी के लिए अटका था कारोबार :

अधिकांश जिलों में अगस्त 2019 के बाद कलेक्टर के द्वारा अनुमति न देने के अलावा संचालनालय स्तर पर मंजूरी का कार्य अटका हुआ था, जिसके चलते रेत के भंडारण शुरू नही हो पाये थे, निर्धारित मात्रा का उठाव समयावधि में नहीं हो पाया था, इसके अलावा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के द्वारा रेत भंडारणों में सीटीओ के प्रावधान भी कर दिये गये थे, वहीं ठेकेदारों के कार्य शुरू करने के बाद शासन ने एक आदेश और जारी किया था कि तीन दिवस के भीतर भंडारणों में रेत का मूल्यांकन कर उसे ठेकेदार को ठेका धन की राशि के अनुसार रायल्टी लेकर सौंपा जाये।

इन शर्तो के तहत मिलेगी मंजूरी :

भौमिकी तथा खनिकर्म संचालनालय द्वारा प्रदेश के सभी कलेक्टरों को जारी किये गये आदेश में कहा गया है कि भंडारणकर्ता द्वारा दी गई सूचना में दर्शाई गई मात्रा की जांच विभागीय पोर्टल के अनुसार सही होनी चाहिए। भंडारण स्थल पर भंडारित रेत की मात्रा की जांच विभागीय अधिकारियों के द्वारा की जायेगी, जिसमें राजस्व विभाग के एक अधिकारी शामिल होगा और पंचनामा भी बनाया जायेगा।

सरकार को राजस्व की भी चिंता :

संचालक ने अपने आदेश में कहा है कि मौके पर मौजूद रेत और पोर्टल में दशाई गई मात्रा में भिन्नता तो नहीं है, निरीक्षण में यह सब देखना अनिवार्य होगा साथ ही जिलेभर के कलेक्टरों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वर्तमान में प्रचलित रेत नियम और शासन के द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार राज्य सरकार को इन भंडारणों के शुरू होने से कोई हानि तो नहीं है। इसके अलावा रेत नियम 2019 के अध्याय 9 के नियम 18 के प्रावधानों का भी पालन करना अनिवार्य होगा, इन सभी शर्तो को जो भंडारणकर्ता पूरा करेंगे उन्हे एक बार फिर से एक समायावधि में रेत बेचने का मौका मिलेगा।

आदेश की प्रतिलिपि
आदेश की प्रतिलिपिAfsar Khan
आदेश की प्रतिलिपि
आदेश की प्रतिलिपिAfsar Khan

पोर्टल में मात्रा, मौके पर नही रेत :

नियम लागू होते ही प्रदेश भर में रेत भंडारणों के पोर्टल बंद कर दिये गये थे। जिसके बाद से कुछ जिलों में तो रेत भंडारणों का संचालन करने की अनुमति नियमों के तहत जारी की गई थी, लेकिन प्रदेशभर के रेत भंडारणों का अगर हाल देखा जाये तो भंडारण स्थल पर रेत की मात्रा या तो कम है या मौजूद भी नहीं है। अब अगर इन भंडारणों को अनुमति तो प्रदेशभर में पोर्टल में दर्शाई गई मात्रा की पूर्ति के लिए भंडारणकर्ता मानसून सत्र में अवैध उत्खनन कर मूल्यांकन करायेंगे, जिससे एनजीटी के नियमों का उल्लंघन होगा, इसे रोकना प्रदेशभर में खनिज विभाग के अलावा पुलिस और प्रशासन के लिए भी खासी चुनौती होगी।

ठेकेदारों के लिए बनेगा मुसीबत :

38जिलों में ठेकेदार ने अपना कारोबार शुरू कर दिया है, और करोडो रूपए शासन के खजाने में जमा भी कराये जा चुके हैं, इस बीच इन भंडारणों को शुरू करना ठेकेदार के लिए मुसीबत भी बन सकती है। पूर्व में ऐसे भंडारणों में अपराधी और माफियाओं का कब्जा रहा है, कई जिलों में तो गैंगवार भी रेत के कारोबार को लेकर हो चुकी है, कानून व्यवस्था के लिए भी यह भंडारण कोरोनाकाल में भी चुनौती साबित हो सकती है। देखना यह होगा कि शासन का यह निर्णय कितना कारगर साबित होता है।

इनका कहना है :

लंबित भंडारणों को निर्धारित शर्तो के तहत शुरू करने के आदेश सभी कलेक्टरों को जारी किये गये है, शासन के नियमों का पालन करने वालों को स्वीकृति दी जायेगी, साथ ही यह सुनिश्चित करने के भी आदेश दिये गये है कि शासन के राजस्व को हानि न हो।

विनीत कुमार, ऑस्टीन संचालक, भौमिकी तथा खनिकर्म, भोपाल

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