पन्ना: बड़ी संख्या में खुलेआम संचालित हो रहीं पत्थर खदानें

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रेत के अवैध उत्खनन पर हमेशा कार्यवाही होती देखी जाती है, लेकिन इन दिनों जिले में व्यापक स्तर पर पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा है।
पत्थर खदान
पत्थर खदानAnil Tiwari

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में रेत के अवैध उत्खनन पर हमेशा कार्यवाही होती देखी जाती है और जिला प्रशासन के अधिकारी भी रेत के कारोबार पर अंकुश लगाने पर ही रूचि दिखाते हैं, जिसके चलते पत्थरों का अवैध कारोबार कहीं छिप जाता है। लेकिन इन दिनों जिले में व्यापक स्तर पर पत्थर का अवैध उत्खनन हो रहा है। जिले के पवई शाहनगर क्षेत्र में सैंकड़ों अवैध खदानें संचालित हैं। प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर खनिज विभाग के लोगों को इसकी जानकारी है, लेकिन इस पर अंकुश लगा पाने में सब नाकाम हैं। बताया जाता है कि इस कारोबार से कई बड़े रसूखदार लोग जुड़े हैं। जिसके चलते कोई भी इस पर कार्यवाही नहीं करता।

निर्धारित खनन क्षेत्र के बाहर जगह-जगह अवैध खदानें संचालित हो रहीं हैं, लेकिन खनिज विभाग के अधिकारी इन क्षेत्रों में जाना भी पसंद नहीं करते या तो उन्हें रसूखदारों का डर है, या उनकी सहभागिता से यह कार्य हो रहा है। बात जो हो, लेकिन पत्थरों का अवैध कारोबार इन दिनों खूब फल-फूल रहा है। जिले के दूरांचल पहाड़ी क्षेत्रों में रसूखदार नेताओं द्वारा गरीब, हरिजन,आदिवासियों की जमीनें कौड़ियों के दाम खरीदकर या किसी का अनुबंध कराकर करोड़ों का फर्शी पत्थर एवं जुड़ाई पत्थर प्रतिमाह निकालकर शासन को भारी क्षति पहुंचाई जा रही है। यहां तक पता चला है कि कुछ रसूखदार नेता आदिवासियों की जमीनों पर आदिवासियों के नाम पर ही खदानें चला रहे हैं। नाम मात्र के पिटपास कुछ वाहनों को दिये जाते हैं।

पत्थर खदान
पत्थर खदानAnil Tiwari

शेष दिन रात बिना पिटपास के पत्थरों को अवैध उत्खनन एवं परिवहन किया जाता है। यहां तक पता चला है कि कुछ खदानें वोल्डर पत्थर आदि के नाम पर स्वीकृत कराई गई हैं और वहां से वोल्डर के पिटपास पर फर्शी पत्थर निकाला जाता है। जिले के अंदर किये जा रहे परिवहन और अधिकांश वाहनों में पिटपास भी नहीं रहता मात्र उ.प्र. एवं बिहार जाने वाले वाहनों को सही पिटपास दिया जाता है। शेष बेधड़क बिना पिटपास के कारोबार जारी है। सर्वाधिक पहाड़ी क्षेत्रों का पत्थर बिहार एवं उ.प्र. को भेजा जाता है। खदानों को खनन माफियाओं द्वारा मासिक किराये पर दे रखा है, तो कुछ स्वयं संचालित कर रहे हैं। अवैध रूप से चल रही खदानें आय का नियमित स्त्रोत बन जाती हैं। इससे उन पर जिम्मेदारों की मेहरबानी बनी रहती है। एक सप्ताह तक लगातार क्षेत्र के जंगलों और उससे लगे राजस्व क्षेत्र का मुआयना कर करीब आधा सैंकड़ा के बारे में पता लगाया गया।

जंगल में हो रही खदानें संचालित

गौरतलब है कि पवई, शाहनगर, कल्दा और सलेहा, कुटरहिया, पिपरहा, जेतूपुरा, घोना एवं बछौन जूड़ी मडैयन क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाला फर्शी पत्थर पाया जाता है। क्षेत्र में करीब 40 किमी. जंगल के अंदर तक खदानें संचालित पाई गई हैं। इनके संबंध में प्रशासन को जानकारी भी दी गई, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी यह तय नहीं कर पा रहे कि कौन सी खदान अवैध है और कौन सी वैध है। बताया जाता है कि जहां खदानें चल रही हैं वे अधिकांशत: स्वीकृत क्षेत्र से हटकर चल रही हैं तथा वन भूमि मे अवैध उत्खनन भले ही नाम मात्र का पाया गया। लेकिन अधिकांश पत्थरों का अवैध परिवहन वन भूमि से ही होता है। क्योंकि बिना वन भूमि के निकल पाना संभव ही नहीं है, क्योंकि जिस स्थान पर खदान स्वीकृत की गई है न तो वहां पर खदान चल रही और जो रूट उनके अनुबंध में दिया गया है। वहां से कतई परिवहन न करते हुए वन विभाग की भूमि से खुलेआम परिवहन होता है।

स्वीकृत खदानों में पहुंचता है अवैध पत्थर

स्वीकृत क्षेत्र से हटकर चल रही उक्त खदानों में पत्थरों को ट्रकों एवं ट्रेक्टरों से परिवहन कर वैध खदान एवं डंप में रख लिया जाता है और फिर वहां से विक्रय किया जाता है। यदि वहां तक वाहन का पहुंचना संभव नहीं है तो खदान संचालक मजदूरों से एक एक पटिया सिर पर रखवाकर वहां तक लाते हैं। जहां वाहनों का पहुंचना संभव हो। इसके बाद वहीं पर फर्शी पत्थर का डंप लगा दिया जाता है। वन क्षेत्र में खदान संचालकों द्वारा लगाए गए ऐसे सैंकड़ों से भी अधिक फर्शी पत्थर के ढेर पाए गए। ताला के राजबंधियन, मचबंधियन, छुल्हा, दहैडा, परेबगार पुल के पास सहित एक सैंकड़ा स्थानों पर फर्शी पत्थर के ढेर लगे हैं।

पिपरहा में हो रहा व्यापक अवैध उत्खनन

पिपरहा में लगभग 250 की संख्या में अवैध पत्थर खदानों के गड्ढे संचालित किये जा रहे हैं। जिनमें से अधिकांशत: ऐसे क्षेत्र में है, जिसमें वन और राजस्व सीमा का विवाद है। विवादित एरिया में आखिर कैसे ये खदाने संचालित हो रही हैं। यह तो जिला प्रशासन ही समझ सकता है। जानकर बताते हैं कि विवादित एरिया में खदान कतई स्वीकृत नहीं हो सकती। क्योंकि ऐसे एरिया में खदान चलने से कार्यवाही करना बड़ा कठिन कार्य है। क्योंकि जब यही तय नहीं है उक्त भूमि राजस्व की है या वन की है तो फिर कार्यवाही किस विभाग द्वारा की जायेगी। यही संभव नहीं तो कार्यवाही कहां होगी।

क्षेत्र में हो रहा व्यापक अवैध उत्खनन

बताया जा रहा है कि ग्राम पिपरहा, जेतूपुरा, बछौन, जूड़ा मढैयन, सुर्रू में, घोना में, ताला के राजबंधियन में, छुल्हा, दहैडा, बूची, परेबगार पुल के सामने, जमड़ा झिरिया, सत्धारा, कचौरी जंगल, पुरैना, बिसानी मंडी के पीछे, महिलवारा, महगंवा सरकार, बीजाखेडा, करौंदा, उमरिया ग्यावार, उचेहरी आदि क्षेत्रों में खदानें संचालित होना बताया जा रहा है। यहां स्वीकृत क्षेत्र के बाहर व्यापक उत्खनन किया जा रहा है। बावजूद इसके कोई अधिकारी इस ओर जाने की जरूरत नहीं समझता। जिला प्रशासन द्वारा अक्सर अवैध उत्खनन पर अंकुश लगाने हेतु प्रभावी कार्यवाही करने की बात कही जाती है, लेकिन पवई-शाहनगर क्षेत्र में हो रहा व्यापक अवैध उत्खनन प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े करता है।

पवई-शाहनगर-सलेहा क्षेत्र में चल रही अवैध पत्थर खदानों को चिन्हित करने के लिए खनिज निरीक्षक को भेजा गया था उनके द्वारा क्षेत्र का दौरा कर खदानों की सूची तैयार की गई है। हीरा नीलामी की व्यस्तता के चलते कार्यवाही नही हो पा रही है सात दिन बाद अवैध पत्थर खदानों पर बड़ी कार्यवाही की जायेगी।

आर.के.पाण्डेय खनिज अधिकारी पन्ना

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