मध्य प्रदेश बनेगा आत्महत्या रोकथाम नीति लागू करने वाला देश का पहला राज्य
मध्य प्रदेश, भारत। देश में बढ़ते सड़क हादसों के बीच ही आत्महत्या जैसी घटनाएं भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते कुछ समय में आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। दरअसल, कई बार ऐसा होता है कि, इंसान कुछ समझ नहीं पाता है। वह अपनी लाइफ में चल रही कुछ समस्याओं के चलते अपनी ज़िंदगी से बहुत हारा हुआ सा महसूस करता है। वह कुछ समझ नहीं पाता है कि, आगे क्या करना है ऐसे में उस इंसान का मन करता है अब जीने के लिए कुछ नहीं बचा तो क्यों न मौत को ही गले लगा लिया जाए। इस इरादे से इंसान आत्महत्या करने का मन बना लेता है। जो कि, बिलकुल गलत है। इंसान कई बार जल्दबाजी में लिए ऐसे फैसले से अपनी जान से हाथ धो बैठता है। इस तरह की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए अब मध्य प्रदेश आत्महत्या रोकथाम नीति लागू की जाएगी।
प्रदेश में लागू की जाएगी आत्महत्या रोकथाम नीति :
दरअसल, पिछले दिनों मध्य प्रदेश से लगातार आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। जिनको ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में आत्महत्या के मामलों को रोकने के मकसद से आत्महत्या रोकथाम नीति (Suicide Prevention Policy) प्रदेश में लागू करने पर विचार किया है। बता दें, इस तरह की पॉलिसी लागू करने पर अब तक किसी राज्य या प्रदेश द्वारा विचार नहीं किया गया है। मध्य प्रदेश इस तरह की पॉलिसी लाने वाला पहला राज्य बन जाएगा। इस मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी दी है।
शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी :
बताते चलें, प्रदेश में जल्द लागू होने वाली आत्महत्या रोकथाम नीति को लेकर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'नीति तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की गई है। फिलहाल प्रदेश सुसाइड के मामले में तीसरे नंबर पर है। 2022 खत्म होते-होते सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी प्रदेश में लागू हो जाएगी। आत्महत्या रोकथाम नीति को तैयार करने के लिए जो कमेटी बनाई की गई है, उस कमेटी में डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट को शामिल किया गया हैं। ये कमेटी आत्महत्या की मुख्य वज़हों पर स्टडी कर इस नीति को बनाने में मदद करेगी। फिलहाल नीति तैयार होने का काम अंतिम चरण में है।'
NCRB की रिपोर्ट :
जानकारों के मुताबिक, हर व्यक्ति के आत्महत्या करने का कारण अलग-अलग हो सकता है। किसी में डिप्रेशन और तनाव के चलते आत्महत्या करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है तो किसी के आत्महत्या करने का कारण मेडिकल इशू भी होता है। कई बार जब इंसान के पास अपनी परेशानीयों से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता, तो भी वो आत्महत्या करने का मन बना लेता है। इस मामले में सामने आई NCRB की रिपोर्ट की मानें तो, 'आत्महत्या करने वाले फैमिली प्रॉब्लम और बीमारी से तंग आकर लोग सबसे ज्यादा आत्महत्या करते हैं। पिछले साल देश मे 33% सुसाइड फैमिली प्रॉब्लम और 19% बीमारी की वजह से हुई हैं।'
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