MP सियासी संकट: सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ तर्को का दौर,टली सुनवाई

प्रदेश में मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट में जारी रहा वकीलों की दलीलों का दौर।
सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ तर्को का दौर
सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुआ तर्को का दौरSocial Media

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की राजधानी में सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है, बेंगलुरु में बागी विधायकों से मिलने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जहां गिरफ्तार करने की खबरें सामने आई थी वहीं आज सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट मामले पर सुनवाई में सरकार और विपक्ष के वकीलों की दलीलों का दौर जारी रहा है। दरअसल बीते सोमवार को विधानसभा सत्र के बाद भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी जहां भाजपा की फ्लोर टेस्ट की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का मप्र सरकार को नोटिस जारी किया और बुधवार सुबह 10.30 बजे सुनवाई का आदेश दिया था जिसके बाद प्रदेश की कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इसके साथ ही सुनवाई अब कल 10:30 तक टल गई है।

सरकार और विपक्ष के वकीलों ने तर्क किए पेश

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिवराज सिंह चौहान की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल के आदेश पूरी तरह कानून सम्मत हैं। साथ ही दलील देते हुए कहा कि, अगर कोई सीएम फ्लोर टेस्ट से बच रहा हो तो यह साफ संकेत है कि वह बहुमत खो चुका है। राज्यपाल को बागी विधायकों की चिट्ठी मिली थी। उन्होंने सरकार को फ्लोर पर जाने के लिए कह के वही किया जो उनकी संवैधानिक ज़िम्मेदारी है। हम सभी 16 विधायकों को जजों के चैंबर में पेश करने को तैयार हैं। बहरहाल कोर्ट ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

बागी विधायकों के वकील के तर्क

बागी विधायकों की ओर से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इन विधायकों ने वैचारिक मतभेद के कारण इस्तीफा दिया है। मुद्दा स्पीकर के संवैधानिक दायित्वों का है। क्या वो अनिश्चित काल तक त्यागपत्र को विचाराधीन रख सकते हैं? क्या वो चुपचाप बैठे रहेंगे और कोई कदम नहीं उठाएंगे। साथ ही कहा सुरक्षा कारण से विधायक भोपाल नहीं जाना चाहते। कमलनाथ सरकार भरोसा खो चुकी है और उसे बहुमत साबित करना चाहिए। अगर कांग्रेस की दलील को मान लिया जाए तो विधायकों को इस्तीफा देने का अधिकार ही नहीं रह जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है। हम TV पर कुछ देख कर तय नहीं कर सकते। देखना होगा कि विधायक दबाव में हैं या नहीं। उन्हें स्वतंत्र कर दिया जाए। फिर वह जो करना चाहें करें। सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वह स्वतंत्र फैसला ले सकें जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने स्पीकर के वकील अभिषेक मनुसिंघवी से पूछा कि अगर बेंगलुरु में मौजूद विधायक स्पीकर के सामने कल पेश हो जाते हैं तो क्या वो इस्तीफों पर तुरंत फैसला लेंगे। फिलहाल सुनवाई में अब तक कोई फैसला नहीं लिया जा सका है जिसके चलते सुनवाई कल गुरुवार 10:30 तक टल गई है।

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