तानसेन समारोह : बर्फीली हवाओं को मिली वेस्टर्न म्यूजिक की तपन

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : हिमालय की ओर से आ रही बर्फीली हवाओं से हुए सर्द मौसम में वेस्टर्न म्यूजिक ने तपन पैदा कर दी। तानसेन समारोह, समाधि स्थल पर गूंजी सुरलहरियां आज बेहट में समापन।
तानसेन समारोह : सर्द मौसम में घुली सुरों की गर्माहट
तानसेन समारोह : सर्द मौसम में घुली सुरों की गर्माहटSocial Media

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। हिमालय की ओर से आ रही बर्फीली हवाओं से हुए सर्द मौसम में वेस्टर्न म्यूजिक ने तपन पैदा कर दी। तानसेन समारोह में मंगलवार की सांध्यकालीन सभा में ब्रिटेन के ख्यातिनाम पियानो वादक स्टीफन काय ने तेज रिदम में बेहतरीन धुनें निकालकर कड़कड़ाती ठंड में जेबों में हाथ डाले बैठे रसिकों को तालियां बजाने के लिए मजबूर कर दिया। उनके वादन में पश्चिमी धुनों के साथ भारतीय रागों की छाया भी साफ झलक रही थी। उन्होंने वेस्टर्न क्लासिकल म्यूजिक की ओजपूर्ण धुनें बजाईं। स्टीफन को सर्वश्रेष्ठ भारतीय कीबोर्ड प्लेयर श्रेणी में जैक डेनियल रॉक पुरस्कार मिल चुका है। सन 1920 के दशक में बनीं मूक फिल्मों को अपने संगीत से आवाज देने का काम भी स्टीफन कर रहे हैं।

तानसेन समारोह की छठवीं एवं मंगलवार की सुबह सभा का शुभारंभ पारंपरिक रूप से साधना संगीत कला केन्द्र के ध्रुपद गायन से हुई। दानेदार, बुलंद और सुरीली आवाज में जब युवा पीढ़ी के उदयीमान शास्त्रीय गायक यश देवले ने राग शुद्ध सारंग और तीन ताल में निबद्ध छोटा ख्याल अब मोरी बात मानी रे का सुमधुर गायन किया तो प्रांगण घरानेदार गायकी से गुंजायमान हो उठा। गायन की शुरुआत इसी राग और विलंबित एक ताल में बड़ा ख्याल ऐ बनाबन आयो री से की। सुंदर आलापचारी और बढ़त के साथ ठहराव ने रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तबला संगत डॉ विनय विन्दे व हारमोनियम पर महेश दत्त पांडे ने संगत की।

मैंडोलिन से मिले हिंदुस्तानी सुर :

पश्चिमी वाद्य यंत्र मैंडोलिन पर जब कोलकाता से आए अग्रणी पंक्ति के कलाकार सुगातो भादुड़ी की अंगुलियां थिरकीं तो रसिकों को कभी धुंध व कोहरा तो कभी तेज धूप का एहसास हुआ। उन्होंने राग अहीर विभास में मनोहारी वादन किया।

मैंडोलिन से मिले हिंदुस्तानी सुर
मैंडोलिन से मिले हिंदुस्तानी सुरRaj Express

इस राग का सृजन राग अहीर व विभास के मेल से हुआ है। राग अहीर जहां धुंध व कोहरे का आभास कराता है वहीं मारवा ठाठ का राग विभास धूप की अनुभूति देता है। जब इस राग का गायन सुबह व दोपहर के मिलन की बेला में होता है तो सुरों का अलग ही जादू पैदा होता है। सुगातो भादुड़ी ने विधिवत आलापचारी के बाद मध्य लय तीन ताल में सितारखानी पेश की तबले पर उदयीमान तबला वादक की संगत शानदार रही।

हिंदुस्तानी के साथ कर्नाटक शैली की जुगलबंदी :

रसिकों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दो धाराओं का भरपूर आनंद उठाया। इस सभा में जहां मधु भट्ट तैलंग ध्रुपद गायिका ने अपने गायन की अनूठी छाप छोड़ी वहीं ग्वालियर के युवा गायक यश देवले ने अपनी बेहतरीन गायकी से रसिकों को मुग्ध कर दिया। कर्नाटक शैली के गायक कावालम श्रीकुमार ने अपनी विशिष्ट गायकी से अलग ही आनंद का अहसास कराया।

ध्रुपद गायन से हुआ सुबह की सभा का आगाज :

सभा का शुभारंभ साधना संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से हुआ। राग कोमल ऋषभ आसावरी के सुरों में पगी और चौताल में निबद्ध बंदिश रतन सिंघासन तापर आसान को बड़े ही सहजता से गाया। अनंत महाजनी के संयोजन में सजी इस प्रस्तुति में पखवाज पर अविनाश महाजनी और तबले पर बसंत हरमरकर ने संगत की।

डागरवाणी में मधु भट्ट का ध्रुपद :

इसके बाद मंच संभाला जयपुर से आईं देश की जानी मानी ध्रुपद गायिका मधु भट्ट तैलंग ने। डागरवाणी में ध्रुपद गाने वाली मधु ने राग कोमल ऋषभ आसावरी आलापचारी से शुरू करके उन्होंने धमार में बंदिश पेश की जिसके बोल थे-लाजन भीज गई..। शुद्ध धैवत के राग गुनकली से गायन को आगे बढ़ाते हुए शूलताल में तानसेन रचित ध्रुपद जय शारदे भवानी पेश किया। पखवाज पर अंकित पारिख व सारंगी पर आबिद हुसैन ने संगत की।

डागरवाणी में मधु भट्ट का ध्रुपद
डागरवाणी में मधु भट्ट का ध्रुपदRaj Express

शाम की सभा में राजा मानसिंग का ध्रुपद :

तानसेन समारोह की सातवी एवं मंगलवार की सांध्यकालीन सभा की शुरूआत राजा मानसिंह तोमर कला एवं संगीत विश्व विद्यालय के ध्रुपद गायन से हुई। राग भीम पलाशी और चौताल में निबद्ध बंदिश के बोल थे एरी आनंद भयोरी...। पखावज पर जयवंत गायकवाड़, हारमोनियम पर विवेक जैन एवं सारंगी पर उस्ताद अब्दुल हमीद खां ने संगत की।

तीन घरानों की गायकी सुनकर रसिक झूमे :

तानसेन समारोह में पुणे से प्रस्तुति देने आईं साधना देशमुख मोहिते ने अपनी गायन में ग्वालियर, आगरा व जयपुर घरानों की गायकी का एहसास कराया। उन्होंने सायंकालीन राग पूरिया धनाश्री में सुमधुर गायन किया। साधना देशमुख ने इस राग और एक ताल में बड़ा ख्याल तन मन वारूँ एवं तीन ताल में छोटा ख्याल (पंजाबी बंदिश) आना वे दिल माना वे पेश किया। उनके गायन में सिलसिलेवार बढ़त व बंदिश के शब्दों का स्पष्ट उ'चारण के साथ साथ तीनों घराने की विशेषताएं साफ झलक रहीं थीं। उन्होंने एक खमाज टप्पा सुनाकर अपने गायन को विराम दिया। तबले पर मनोज पाटीदार व हारमोनियम पर विवेक जैन ने संगत की।

सितार के तारों के सम्मोहन में बंधे रसिक :

प्रो पंडित साहित्य कुमार नाहर ने अपने सितार वादन से रसिकों को आनंदित कर दिया। ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति पदस्थ प्रो नाहर ने अपनी पदस्थापना के ठीक सौंवे दिन राग वाचस्पति की शानदार प्रस्तुति दी। कर्नाटक शैली के राग में प्रो नाहर ने कई रंग भरे। आलाप और जोड़ आलाप से शुरू करके दो गतें बजाईं। रागदारी की बारीकियों के साथ आपने विविध लयकरियां बजाने में कमाल दिखाया समापन मिश्र खमाज में एक पारंपरिक धुन से किया। तबले पर बनारस घराने के युवा तबला वादक अभिषेक मिश्र ने मनोहारी संगत की।

सितार के तारों के सम्मोहन में बंधे रसिक
सितार के तारों के सम्मोहन में बंधे रसिकRaj Express

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