सिगरेट बनाने के मामले में 105 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी आई सामने
सिगरेट बनाने के मामले में 105 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी आई सामनेRaj Express

इंदौर: सिगरेट बनाने के मामले में 105 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी आई सामने

इंदौर, मध्यप्रदेश: दो वित्तीय वर्षों में केवल 2.09 करोड़ और 1.46 करोड़ रुपए ही टैक्स भरा, कारखाने के पर्यवेक्षक और लेखाकार ने कबूला कई सालों से उत्पादन का 5 प्रतिशत से कम का ही हिसाब दिखाया।

इंदौर, मध्यप्रदेश। करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी का आरोपी गुटखा कारोबारी किशोर वाधवानी को सोमवार को जेल भेजा गया। डीजीजीआई ने पूछताछ पूरी होने के बाद सोमवार को वाधवानी को कोर्ट में पेश किया। डीजीजीआई द्वारा आरोपी की और रिमांड नहीं मांगने पर कोर्ट ने उसे जेल भेजने के आदेश दिए। आरोपी वाधवानी को सेंट्रल जेल भेजा गया है। सोमवार को ही वाधवानी द्वारा सिगरेट बनाने के मामले में 105 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी किए जाने का खुलासा हुआ है। इस तरह पान मसाले में 233 करोड़ की टैक्स चोरी मिलने के बाद अब डीजीजीआई द्वारा सोमवार को सिगरेट बनाने के मामले में भी 105 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी होने का खुलासा किया है। आरोपी वाधवानी द्वारा अब तक कुल 338 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी सामने आ चुकी है।

105 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी :

ऑपरेशन कर्क के तहत पान मसाला और गुटखा के अवैध कारोबार को लेकर डीजीजीआई ने नया खुलासा किया है। अप्रैल 2019 से मई 2020 तक 105 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी की गई है। डीजीजीआई ने पाया है कि सिगरेट की टैक्स चोरी का घोटाला भी मुंबई में गिरफ्तार मास्टरमाइंड द्वारा ही किया गया है। टीम ने कुछ दिन पहले सांवेर रोड स्थित इसके गोदामों में छापामार कार्यवाही की थी। जांच एजेंसियों के अनुसार, यहां से 5000 बॉक्स मिले थे। एक बॉक्स में 12 हजार सिगरेट रहती थीं, इसकी कीमत 27 करोड़ रुपए आंकी गई। डीजीजीआई के अनुसार ऑपरेशन कर्क के पहले चरण में 9 से 12 जून 2020 तक पान मसाला और तम्बाकू के कई डीलरों और वितरकों के ठिकानो पर दबिश दी गई। यहां से बिना जीएसटी भरा हुआ पान मसाला और तंबाकू का स्टॉक जब्त किया गया था। इसके मास्टरमाइंड को 15 जून को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। इंदौर सेंट्रल जीएसटी इंटेलिजेंस द्वारा डाटा मिलान करने पर मास्टरमाइंड की इकाई से दो वित्तीय वर्षों में केवल 2.09 करोड़ और 1.46 करोड़ रुपए ही टैक्स भरा गया है। जांच में अप्रैल 2019 से मई 2020 तक करीब 105 करेाड़ रुपए के टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है।

अवैध धन को फर्जी तरीके से कर दिया सफेद :

डीजीजीआई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन के लिए अलग से अधिकारियों की टीम लगा दी है। यह टीम टैक्स चोरी से आई राशि को जिन कंपनियों में लगाया, उनकी जांच कर रही है। अब तक करीब 30 कंपनियां जांच के दायरे में आई है, जिसमें से कुछ डमी है। कुछ रियल एस्टेट सेक्टर और होटल इंडस्ट्री की है। डीजीजीआई द्वारा चलाए गए ऑपरेशन कर्क के तहत मुंबई की एक होटल से वाधवानी को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में संजय माटा, विजय नायर, अशोक डागा और अमित बोथरा पहले गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मास्टरमाइंड/वित्तीय लाभार्थी, के अकाउंट की वित्तीय जांच से संकेत मिलता है कि उन्होंने एक मीडिया हाउस खोला था जिसमें उन्होंने प्रतिमाह 1.2-1.5 लाख समाचार पत्रों की प्रतियों के वितरण की घोषणा की थी, जबकि वास्तव में प्रतिमाह केवल 4000-6000 का प्रचलन था। इस प्रकार इस धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड ने अखबारों की फर्जी बिक्री व भारी मात्रा में फर्जी विज्ञापन की आय दिखाकर पान मसाला और सिगरेट के अवैध धन (जो नगद में था) को सफेद कर लिया।

गुप्त रास्ते से कारखाने में लाया जाता था माल :

टीम के अनुसार कर चोरी सिंडिकेट में कंपनी के निदेशक, ट्रांसपोर्टर्स, सहायक निर्माता और कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। इनमें से बहुत सारे लोग फरार है। दबिश के दौरान पता चला कि फैक्ट्री के पीछे की ओर से एक गुप्त रास्ता है, जहां से बड़ी मात्रा में कच्चा माल कारखाने में लाया जाता था और तैयार माल को अवैध रुप से बाहर किया जाता था। टीम ने यह भी पाया कि सिगरेट के निर्माण के लिए ऑपरेटिंग मशीनों को चलाने वाले जेनरेटर सेट की रीडिंग में, उत्पादन को दबाने के लिए हेरफेर किया गया था। कारखाने के पर्यवेक्षक, लेखाकार और अन्य कर्मचारियों से पूछताछ में यह बात सामने आई कि पिछले कई सालों से उत्पादन का 5 प्रतिशत से कम का ही हिसाब दिखाया जा रहा था। यहां तक कि रिकॉर्ड में दर्ज उत्पादन के प्रमुख खरीदार भी डमी पाए गए हैं।

शासन करें सख्त कार्यवाही :

आरटीआई एक्टिविस्ट राजेंद्रसिंह अटल ने गुटखा माफिया वाधवानी के टैक्स चोरी प्रकरण को लेकर डीजीजीआई को शिकायत दर्ज की। उन्होंने शिकायत में स्पष्ट किया कि पाकिस्तान से भी लिंक सामने आ रही है इस संबंध में अनुसंधान होना आवश्यक है। जिन्होंने भी अपने पद का दुरुपयोग किया है उनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाए। यदि शासन आरोपी की मदद करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करती है तो इससे माफियाओं में भय व्याप्त होगा।

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