उमरिया : बस मालिक ने प्रताड़ना से तंग आकर की थी अग्निस्नान की कोशिश

उमरिया, मध्य प्रदेश : अधिकारी मुख्यालय पहुंचे, लेकिन जांच की जगह दे दी क्लीन चिट।
बस मालिक ने प्रताड़ना से तंग आकर की थी अग्निस्नान की कोशिश
बस मालिक ने प्रताड़ना से तंग आकर की थी अग्निस्नान की कोशिशRaj Express

उमरिया, मध्य प्रदेश। परिवहन कार्यालय में दलालों का कब्जा और बिना रिश्वत कोई काम न करने का पुराना नाता रहा है, विभाग के अधिकारी, बाबू, चपरासी व कम्प्यूटर ऑपरेटर की प्रताड़ना से तंग आकर अधिकारी के सामने ही चंदिया के बस मालिक पवन गुप्ता ने परिसर के भीतर ही अपने आपको पेट्रोल डालकर आग के हवाले करने की कोशिश की, लेकिन इस मामले में डैमेज कंट्रोल कर लिया गया, वहीं वसूली एक्सप्रेस नहीं रूकी, नौरोजाबाद में सतकतार, के.के. माईनिंग व सिंह ट्रांसपोर्ट का मामला परिवहन अधिकारी के संज्ञान में होने के बावजूद कार्यवाही और जांच की जगह कंपनी के कारिंदे से फीलगुड करना ही मुनासिब समझा।

बाड़ी ही खा रही खेत :

कोल व्यवसायी की कंपनी के द्वारा छत्तीसगढ़ के वाहनों को बिना एमपी टैक्स और बिना परमिट के चलाने के साथ ही जिन वाहनों पर बकाया है, उन्हें खुले तौर पर कटवाकर कबाड़ियों को बेंच दिया गया। विभाग की कोई अनुमति भी नहीं थी। पूरा मामला अधिकारी के संज्ञान में था। कई दिनोंं बाद बालाघाट से लौटे जरूर थे, लेकिन उन्होंने कार्यवाही न करते हुए ये साबित कर दिया कि विभाग के अधिकारी ही परिवहन विभाग के राजस्व को चूना लगाने में तुले हुए हैं। कुल मिलाकर इस मामले में बाड़ी ही खा रही खेत की कहावत अनिमेष गढ़पाल ने चरितार्थ कर दी।

खुल सकता था बड़ा राज :

बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ के कोल व्यवसायी की फर्म ने शासन के राजस्व की चोरी की। इसके अलावा गैर कानूनी तरीके से वाहनों को काटकर कबाड़ियों के हवाले कर दिया। अगर अधिकारी कार्यालय छोड़कर मौके पर जा कर जांच करते तो, कई बड़े राजों का खुलासा हो सकता था। जिससे शासन को लाखों का राजस्व भी मिल सकता था। इसके अलावा एसईसीएल के अधिकारी भी रडार में आ सकते थे, लेकिन महीने मे होने वाले लिफाफे के मैनेजमेंट के चलते, इस पूरे मामले को दफन करने के लिए मोटी रकम का सौदा कर निपटा दिया गया।

कार्यालय में जंगलराज :

परिवहन अधिकारी ने बालाघाट जिले का प्रभार मिलने से ही अपना मुख्यालय बालाघाट में बना लिया था। जग्गा चौकीदार फाइलों और रकम लेकर वहीं पर पहुंचा करता था, वहीं परिवहन कार्यालय में पूरी तरीके से जंगलराज हावी हो गया था। बिना रिश्वत के कर्मचारियों ने कोई काम न करने की कसम खा ली। परमिट, फिटनेस, पंजीयन, लायसेंस जैसे कार्याे में मोटी रकम की उगाही हुई। कथित अधिकारी के कार्यालय को देखा जाये तो, कई ऐसे वाहनों के फिटनेस जारी किये गये हैं, जो कि नियमत: गलत है। डिण्डौरी के शहपुरा के एक मामले में आरटीओ ने तो सारी हदें लाघतें हुए ऐसा कार्य कर डाला कि अगर इस मामले में परिवहन मुख्यालय के अधिकारी जांच करें तो, लेने के देने भी पड़ सकते हैं।

परिसर में ही अग्निस्नान की कोशिश :

आरटीओ बीते दिनों कार्यालय पहुंचे थे, जहां पर चंदिया के बस मालिक पवन गुप्ता ने परिसर में ही पेट्रोल डालकर अग्निस्नान करने की कोशिश की। बस मालिक ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि अधिकारी ने दबाव डालकर कार्यालय में पहले काम के लिए बुलाया था। उसने सभी दस्तावेज चौकीदार जग्गा, राय बाबू और आपरेटर समीम को दे दिये। लेकिन उसके बावजूद उसका कोई काम नहीं हुआ और यह सब अधिकारी की मौजूदगी में बस आपरेटर ने कदम उठाया। मामले को तो निपटा लिया गया, लेकिन वसूली करने वाले कथित कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही न कर साहब बैक टू पवेलियन हो गये।

दलालों के हवाले विभाग :

अगर किसी को आरटीओ दफ्तर में किसी भी प्रकार का कोई काम करना है तो, उसे दलालों को ही पकड़ना होता है। अधिकारी ने लोगों को दलालों के माध्यम से हलाल होने के लिए छोड़ रखा है, क्योंकि दलालों के मार्फत अधिकारियों और कर्मचारियों को अच्छी खासी रकम काम के एवज में मिल जाती है। 90 प्रतिशत कार्य दलालों के मार्फत परिवहन कार्यालय में संचालित हो रहे हैं। आरोप तो यह भी है कि कथित अधिकारी का आचरण शासन के नियमों के विपरीत है।

इनका कहना है :

विभाग के बड़े अधिकारी से पूरे मामले की बिन्दुवार जांच कराई जायेगी, अगर इस मामले में अधिकारी सहित किसी की भी लापरवाही सामने आई तो, निश्चित ही कठोर कार्यवाही प्रस्तावित की जायेगी, ऐसे गंभीर मामले में आरटीओ को स्वयं जांच करनी चाहिए, ताकि शासन के राजस्व में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही अवैध कार्य करने वालों पर कार्यवाही हो सकें।

अरविन्द सक्सेना, अपर परिवहन आयुक्त, परिवहन मुख्यालय, ग्वालियर

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